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Exclusive: भक्षक फिल्म के सेट पर ऑफ कैमरा भी माहौल सीरियस ही रहता था- सई ताम्हणकर

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शाहरुख खान के प्रोडक्शन में बनी फिल्म भक्षक 9 फरवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. इस फिल्म में अभिनेत्री सई ताम्हणकर अहम भूमिका में नजर आने वाली हैं. उन्होंने कहा, शूटिंग के दौरान वर्दी पहनना और वर्दी पहनकर परफॉर्म करना वाकई बहुत खास था.

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शाहरुख खान के प्रोडक्शन की फिल्म भक्षक आगामी 9 फरवरी को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम करने जा रही है. इस फिल्म में अभिनेत्री सई ताम्हणकर अहम भूमिका में नजर आने वाली हैं. सईं इस फिल्म के विषय को बहुत अपीलिंग करार देती है. वह बताती हैं कि यही सबसे महत्वपूर्ण चीज थी. जिसने मुझे इस प्रोजेक्ट की ओर खिंच लिया. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत….

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फिल्म में आपका किरदार क्या है और वह किस तरह से कहानी में अहम भूमिका दर्शा रहा है ?

इस फिल्म में मैं रश्मि कौर की भूमिका कर रही हूं, जो एसएसपी हैं. भूमि के किरदार की जो भी खोज है कि बालिका गृह में क्या चल रहा है. वो रश्मि कौर के साथ मिलकर ही वह क्रैक कर रही है और कैसे एक दूसरे की मदद कर रही है. यही फिल्म की कहानी है. कई बार एक आदमी कुछ कर नहीं पाता है, टीम वर्क होता है और मेरा किरदार इस कहानी को सामने लाने में भूमि के किरदार की बहुत मदद करता है.

वर्दी पहनना कितना खास अनुभव था ?

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान वर्दी पहनना और वर्दी पहनकर परफॉर्म करना वाकई बहुत खास था. आप जब वो वर्दी पहनते हो तो आपके अंदर बाहर कुछ बदल जाता है. क्या बदल जाता है. ये मैं शब्दों में नहीं बता पाउंगी. शायद जो फीलिंग आती है. वो बहुत ही यूनिक और अलग होती है. एक वांटेड जैसा एहसास होता है कि ये मुझे करना है.

भक्षक की कहानी मुजफ्फरपुर बालिका गृह काण्ड से कितनी प्रेरित है ?

ये फिल्म सिर्फ एक घटना पर आधारित नहीं है. इस तरह के कुकर्म हर जगह हो सकता है और होते भी रहते हैं. वैसे इस फिल्म में हमारे जो निर्देशक हैं. उन्होंने इस बारे में बहुत गहरा रिसर्च किया है. उनका रिसर्च इतना गहरा था कि हम एक्टर लोग को ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ा. बस हमने उनके निर्देशक को फॉलो किया है. वो बहुत ही अच्छे निर्देशक हैं. मैं उनके साथ आगे भी काम करना चाहूंगी.

क्या आपलोग पीड़िताओं से भी मिली ?

नहीं जरूरत नहीं पड़ी. जैसा कि मैंने पहले भी बताया है कि निर्देशक पुलकित रिसर्च वर्क बहुत कमाल का है. फिल्म की शूटिंग शुरू होने से पहले हमारे साथ उनका वर्कशॉप हुआ था. उस दौरान उन्होंने बहुत डिटेल में हमें हर चीज समझायी थी. जो भी हमें जरूरत थी.

यह फिल्म लड़कियों के साथ दुष्कर्म की कहानी को कह रहा है, मानसिक तौर पर इस फिल्म से जुड़ना कितना मुश्किल रहा था?

मुझे लगता है कि हर किरदार आपसे कुछ ले जाता है और कुछ आपको दे जाता है और ये किरदार उस लिहाज से अव्वल नंबर पर है. फिल्म की शूटिंग करते हुए मानसिक तौर पर आप परेशान हो जाते हैं लेकिन जब ऐसे किरदार आपको करने मिलते हैं, तो आपको लगता है कि हम समाज को अपनी तरफ से कुछ दे रहे हैं. हर कोई अपने काम से समाज को कुछ देना चाहता है, तो यह बात बहुत ही संतोषजनक थी.

यह फिल्म महिलाओं शारीरिक शोषण की कहानी को कह रहा है, निजी जिंदगी में क्या कभी आप किसी तरह के छेड़छाड़ या शोषण से गुजरी हैं?

रोजमर्रा की जिंदगी में हम जो सोशल मीडिया पर ट्रॉल्लिंग को सहते हैं. वो कहीं ना कहीं हमें मानसिक तौर पर बहुत प्रभावित करता है. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूंगी कि ऐसे किरदार करने के बाद उससे भिड़ने की ताकत और एनर्जी मिल जाती है. अप्रोच भी बदलता है. हमारे देश ही नहीं पूरी दुनिया में ऐसी चीजें होती रहती हैं और इस फिल्म को देखने के बाद मैं चाहती हूं कि यह फिल्म बातचीत की शुरुआत करें. अगर आसपास ऐसा कुछ हो रहा है, तो उसे नजरअंदाज ना करके उसपर एक्शन लिया जाए.

भूमि के साथ काम करने के अनुभव को कैसे परिभाषित करेंगी ?

बहुत बढ़िया है. बहुत अप्प्रोचेबल हैं. बहुत ग्राउंडेड हैं. वैसे इस फिल्म के सेट पर हम मस्ती मज़ाक नहीं कर सकते थे क्योंकि फिल्म का विषय ऐसा था कि हम ऑफ कैमरा भी ज़्यादातर सीरियस ही रहते थे फिल्म का विषय आपको अंदर तक झकझोरता रहता है लेकिन हमेशा एक दूसरे को अच्छा सपोर्ट किया है. ये जरूर कहूंगी.

इन-दिनों लार्जर देन लाइफ सिनेमा सभी की पसंद आ रहा है क्या वुमन सेंट्रिक फिल्में अब ओटीटी में ही दिखेंगी ?

पेंडेमिक के बाद जो भी हुआ. उसके बाद सबकुछ पहले जैसा होने में थोड़ा समय जाएगा और समय के साथ चीज़ें बदलेंगी. ये मुझे भरोसा है.

आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स

राहुल ढोलकिया की फिल्म अग्नि में दिखूंगी. उसके बाद नेटफ्लिक्स के एक और फिल्म में भी दिखूंगी.

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