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शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में ममता बनर्जी सरकार को सुप्रीम झटका, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

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Bengal Teacher Recruitment Scam| हाइकोर्ट के समक्ष, राज्य ने इस आधार पर याचिका की पोषणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति उठायी थी कि यह मामला 2016-17 की भर्ती प्रक्रिया से संबंधित है और जनहित याचिका (पीआइएल) दाखिल करने में देरी हुई थी.

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Bengal Teacher Recruitment Scam: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कलकत्ता हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गयी थी. हाइकोर्ट ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीइटी), 2014 के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में सहायक शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं को लेकर दायर याचिका की पोषणीयता पर राज्य की प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपील की थी.

हाइकोर्ट में याचिका में आरोप लगाया गया है कि टीइटी 2014 में 42,897 उम्मीदवारों का चयन किया गया था, लेकिन लिखित परीक्षा या साक्षात्कार में प्राप्त अंकों का खुलासा करने वाली कोई मेधा सूची प्रकाशित नहीं की गयी थी और न ही आरक्षित श्रेणी-वार सूची प्रकाशित नहीं की गयी थी.

न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ ने कहा कि वह हाइकोर्ट के पिछले साल 12 जुलाई के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर विचार नहीं करेगी. पीठ ने कहा कि राज्य उच्च न्यायालय के समक्ष अपना बचाव करने के लिए स्वतंत्र है. हाइकोर्ट के समक्ष, राज्य ने इस आधार पर याचिका की पोषणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति उठायी थी कि यह मामला 2016-17 की भर्ती प्रक्रिया से संबंधित है और जनहित याचिका (पीआइएल) दाखिल करने में देरी हुई थी.

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राज्य की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया कि एक सेवा मामले में जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी और यह टीइटी के आठ साल बाद दायर की गयी है. उन्होंने तर्क दिया कि इस मुद्दे पर एक अन्य जनहित याचिका को पहले हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया था.

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) पर विचार नहीं करना चाहेंगे. राज्य के लिए वहां (उच्च न्यायालय में) इसका बचाव करने का रास्ता खुला है. कहने की आवश्यकता नहीं है कि विधि के सभी प्रश्नों का जवाब नहीं दिया गया है.’

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