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कोलकाता, भारती जैनानी : पाथुरिया घाट पांचेर पल्ली सर्वोजनिन दुर्गोत्सव कमेटी इस साल पूजा के 84वें साल में प्रवेश कर रही है. इस कमेटी द्वारा इस साल ‘रितुमती’ (मैन्सट्रुअल) को थीम बनाकर समाज को यह संदेश देने की कोशिश की है कि महिलाओं के मासिक धर्म यानि कि मैन्सट्रुअल को लेकर गलत धारणाएं न बनायें बल्कि इसको लेकर फैले मिथ से बाहर आयें,
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क्योंकि यह एक नैचुरल प्रक्रिया है. इस खास संदेश के साथ पूजा कमेटी ने एक अनूठे ढंग का पंडाल तैयार किया है. इस विषय में पूजा कमेटी की मुख्य सदस्य व वार्ड नंबर 24 की पार्षद इलोरा साहा ने बताया कि महिलाओं को मासिक धर्म (मैन्सट्रुअल) के दौरान कई प्रतिबंधों को झेलना पड़ता है.
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उनको अशुद्ध मानते हुए कई सामाजिक व धार्मिक अनुष्ठानों से दूर रखा जाता है, इस मिथ को तोड़ने की जरूरत है. आज की 21वीं सदी में महिलाओं को इस स्थिति में दुर्गा पूजा में भाग लेने से रोका नहीं जा सकता है. इस पंडाल में पेंटिंग, स्कल्पचर व फोटोग्राफी का गजब कांबीनएशन दिखाते हुए इस सामाजिक मसले को उजागर किया गया है. यहां 11 फुट लंबे बंगाली कलेंडर को स्थापित किया गया है, जिसमें प्रत्येक मास के चार दिनों को रेड क्रास के निशान के साथ दिखाया गया है.
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इसके साथ ही इस चक्र में महिलाओं को मैन्सट्रुअल हाइजिन बनाये रखने का संदेश दिया गया है. पूजा पंडाल के आर्टिस्ट मानस राय ने बताया कि यह थीम उनकी कल्पनाशीलता के आधार पर डिजाइन की गयी है.
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पंडाल का इंटीरियर प्राचीन ठाकुर दालान के रूप में बनाया गया है, इसमें यह दिखाया गया है कि दुर्गा देवी से मिलती-जुलती महिला को ही मासिक धर्म या माहवारी होने पर मंदिर में जाने से रोक दिया जाता है.
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इस थीम मेकर कलाकार का कहना है कि पंडाल की सीलिंग फूल के आकार में इस तरह तैयार की गयी है, जो यूटरस की तरह दिखाई देता है. यहां समाज के उन ठेकेदारों को असुर के रूप में दर्शाया गया है, जो इस पीरियड के दौरान महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगा देते हैं और उनको अशुद्ध मानते हैं.