24.1 C
Ranchi
Thursday, February 6, 2025 | 07:40 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

खेल संघ नेताओं के कब्जे से मुक्त हों

Advertisement

हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे खेल संघों पर नेताओं ने कब्जा कर रखा है. अगर कोई खेल नेताओं से बचा, तो प्रभावशाली नौकरशाह या बड़े कारोबारी उस पर कब्जा कर लेते हैं. ऐसा केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तरों पर भी हो रहा है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

तीन महीने में दूसरी बार देश के पहलवान राजधानी दिल्ली में धरने पर बैठे हैं. इस मुद्दे पर इतनी राजनीति हो रही है कि असल मुद्दा नेपथ्य में चला गया है. दुखद यह है कि अब वह विपक्ष बनाम सत्ता पक्ष की नूरा कुश्ती में तब्दील हो गया है. शुरुआत में पहलवानों ने नेताओं को अपने धरने से दूर रखने की कोशिश की थी, लेकिन धीरे-धीरे नेताओं ने इसमें सेंध लगा ली. जिन कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप हैं, वे उत्तर प्रदेश से भाजपा के सांसद हैं और दबंग नेता के रूप में जाने जाते हैं. दूसरी ओर धरना स्थल पर विपक्ष के सभी बड़े नेता, प्रियंका गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक पहुंच चुके हैं. इस देश की खासियत यह है कि कोई भी बात जाति से ऊपर नहीं है. इसमें भी राजपूत बनाम जाट की जातिगत राजनीति आ गयी है. एक तरफ खाप वालों ने झंडा गाड़ दिया है, तो दूसरी ओर लड़ाई राजपूती आन, बान और शान की हो गयी है. इसमें कोई शक नहीं है कि खिलाड़ी मेहनत करते हैं और देश का सम्मान बढ़ाते हैं. यह एक संवेदनशील मुद्दा है और हम सबकी अपेक्षा है कि इसका निपटारा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होना चाहिए.

- Advertisement -

शुरुआत में तो मामले की एफआईआर भी दर्ज नहीं हो रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एफआइआर दर्ज हुई. मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की. मुख्य न्यायाधीश ने पूछा था कि पहलवानों ने याचिका में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाये हैं, तो दिल्ली पुलिस एफआइआर दर्ज क्यों नहीं कर रही है. भारत सरकार के महाधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि आरोपों की जांच के लिए भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन द्वारा बनायी गयी कमेटी से जांच रिपोर्ट मांगी गयी थी. दिल्ली पुलिस एफआइआर दर्ज करने से पहले कुछ प्रारंभिक जांच करना चाहती थी. यौन उत्पीड़न के आरोपों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने का दिल्ली पुलिस का निर्णय सही है. यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या यह प्राथमिकी बिना विरोध के दर्ज नहीं हो जानी चाहिए थी. वैसे सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश हैं कि यदि पुलिस यौन उत्पीड़न के ऐसे मामलों में केस दर्ज नहीं करती है, तो पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है. पहलवानों का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल ने मांग की कि आरोपी पर 40 मामले हैं, इसलिए महिला पहलवानों को सुरक्षा भी दी जाए.

अब कार्रवाई को लेकर खींचतान चल रही है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस प्रदर्शन से देश की छवि खराब हो रही है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि हर धरना-प्रदर्शन देश की छवि को प्रभावित नहीं करता है. विरोध अंतर्निहित समस्या का एक लक्षण मात्र है. यह एक सुरक्षा वाल्व के रूप में भी कार्य करता है. इस पूरे मामले पर दृष्टि डालने की जरूरत है. इस साल जनवरी में महिला कुश्ती चैंपियन विनेश फोगाट दिल्ली के जंतर मंतर पर जब धरने पर बैठीं थीं, तो भारी हलचल मच गयी थी. उनके साथ बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक जैसे ओलंपियन भी धरने पर बैठे हुए थे. इन्होंने भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला कुश्ती खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था. बृजभूषण शरण सिंह ने आरोपों का लगातार खंडन किया है. उनका कहना है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और इसमें हरियाणा कांग्रेस के नेताओं का हाथ है, लेकिन आरोप बेहद संगीन थे और तीन दिनों के धरने के बाद युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय के हस्तक्षेप से मामले की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया. जांच पूरी होने तक बृजभूषण शरण सिंह को कुश्ती संघ के अध्यक्ष को पद की जिम्मेदारियों से दूर रहने को कहा गया था. अभी तक जांच रिपोर्ट सामने नहीं आयी है. पहलवानों के फिर धरना देने से यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.

जब भी कोई महिला यौन उत्पीड़न के मामले को सार्वजनिक करती है, तो यह सवाल पूछा जाता है कि पहले क्यों नहीं शिकायत की गयी. हम सब जानते हैं कि हमारे समाज की संरचना ऐसी है कि यौन उत्पीड़न के बारे में बात करना हमेशा मुश्किल होता है. अधिकतर जानकार यह भी बताते हैं कि खेल में लड़कियां गरीब या मध्यम वर्ग की पृष्ठभूमि से आती हैं. खेल के जरिये उनकी गरीबी दूर हो सकती है, उन्हें नौकरी मिलने की संभावना होती है. ऐसे में वे अपने करियर व जीवन को जोखिम में डालने से बचना चाहती हैं. इसलिए वे शिकायत नहीं करती हैं. भारतीय खेल जगत की व्यवस्था ऐसी है कि इसमें महिला खिलाड़ियों के लिए शिकायत करना और भी मुश्किल है. वैसे तो भाजपा में परंपरा रही है कि ऐसे गंभीर आरोप लगे होने पर नेता सबसे पहले अपना पद छोड़ देते हैं. एक वक्त भाजपा के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी पर आरोप लगा था कि जैन हवाला डायरी में उनका भी नाम है. उन्होंने तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन यह तुलना बेमानी है, क्योंकि बृजभूषण शरण सिंह कोई आडवाणी तो हैं नहीं, लेकिन यह बहुत चिंता की बात है कि हमारे पहलवानों को भारतीय कुश्ती संघ में उत्पीड़न के आरोपों को लेकर सड़क पर उतरना पड़ रहा है.

हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी तरह का उत्पीड़न रोकने और प्रभावित लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित किया जाए, लेकिन हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे खेल संघों पर नेताओं ने कब्जा कर रखा है. अगर कोई खेल नेताओं से बचा, तो प्रभावशाली नौकरशाह या बड़े कारोबारी उस पर कब्जा कर लेते हैं. ऐसा केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि स्थानीय स्तरों पर भी हो रहा है. देश में खेल संस्कृति पनपे, इसके लिए खेल प्रशासन पेशेवर लोगों के हाथ में ही होना चाहिए, लेकिन हुआ इसके उलट. नतीजतन अधिकतर खेल संघ राजनीति का अखाड़ा बन गये. खेल संघों में फैले भाई-भतीजावाद, भ्रष्टाचार और निहित स्वार्थों ने खेलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. यही वजह है कि हम आज भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कहीं नहीं ठहरते. हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है. यदि बेहतर माहौल तैयार हो और उचित प्रक्रिया द्वारा चयन किया जाए, तो हम हर खेल में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें