15.1 C
Ranchi
Friday, February 21, 2025 | 03:01 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

हाईकोर्ट ने कर्मचारी का बर्खास्तगी किया रद्द, कहा- दूसरी शादी की है तब भी नहीं कर सकते नौकरी से बर्खास्त

Advertisement

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी ने भले ही दूसरी शादी कर ली हो, उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता क्योंकि यूपी सरकारी सेवक आचरण नियमावली में सरकारी कर्मी की दूसरी शादी के मामले में मामूली सजा दी जा सकती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी कर ली है, तब भी उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने हाल ही में एक सरकारी कर्मचारी की पहली शादी के अस्तित्व में रहने के दौरान दूसरी शादी करने के आरोप में उसकी बर्खास्तगी को रद्द कर दिया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्क में योग्यता पाते हुए कहा कि सजा अनुचित है क्योंकि कथित दूसरी शादी पर्याप्त रूप से साबित नहीं हो सकी है.

न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र ने आगे कहा कि कर्मचारी ने भले ही दूसरी शादी कर ली हो, उसे नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि यूपी सरकारी सेवक आचरण नियमावली के नियम 29 में सरकारी कर्मचारी की दूसरी शादी के मामले में केवल मामूली सजा का प्रावधान है.

कोर्ट ने तथ्यात्मक और कानूनी प्रस्ताव पर विचार करते हुए कहा कि, जैसा कि हिंदू विवाह अधिनियम-1955 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872 में बताया गया है और इस न्यायालय एवं अधिकारियों के समक्ष कोई अन्य सामग्री नहीं है, मेरा मानना है कि पहली शादी के अस्तित्व के दौरान दूसरी शादी करने का अनुमान लगाकर याचिकाकर्ता को दंडित करना तथ्य और कानून के अनुरूप नहीं है. यहां तक कि जब सरकारी कर्मचारी की ओर से उपरोक्त कृत्य स्थापित होता है, तब भी उसे केवल मामूली दंड ही दिया जा सकता है, बड़ा दंड नहीं.

दरअसल, याचिकाकर्ता को 8 अप्रैल, 1999 को जिला विकास अधिकारी, बरेली के कार्यालय में बतौर प्रशिक्षु नियुक्त किया गया था. विवाद तब खड़ा हुआ जब आरोप लगाए गए कि उसने दूसरी शादी कर ली है, जबकि वह पहले से शादी-शुदा है और वह शादी चल रही है. इसके बाद याचिकाकर्ता पर कदाचार का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ आरोप पत्र जारी किए गए और बाद में बर्खास्त कर दिया गया.

हालांकि, कर्मचारी ने अपनी दूसरी शादी से इनकार किया. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे सेवा से बर्खास्त करने से पहले कोई उचित जांच नहीं की गई. उसकी विभागीय अपील भी सरसरी तौर पर खारिज कर दी गई. बाद में कर्मचारी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां उसकी बर्खास्तगी को रद्द कर दिया गया.

कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि उनकी दूसरी शादी को साबित करने के लिए पहली पत्नी के बयान और विक्रय पत्र के अलावा कोई सबूत नहीं है, जिसमें सुश्री खंडेलवाल ने याचिकाकर्ता को अपने पति के रूप में नामित किया था. जिस विक्रय विलेख पर भरोसा किया गया था, उसे याचिकाकर्ता का नाम हटाने के लिए एक पूरक दस्तावेज के माध्यम से भी सही किया गया था. जिसमें सुश्री खंडेलवाल ने मामूली सजा देते हुए यह दर्ज करवाया था कि उनके और याचिकाकर्ता के बीच कोई विवाह नहीं हुआ था.

Also Read: इलाहाबाद हाईकोर्ट का गैंगस्टर एक्ट पर टिप्पणी- सनक और मनमर्जी से अधिकारी कर रहे दुरुपयोग, नोटिस किया निरस्त
हाईकोर्ट ने महिला कांस्टेबल के लिंग परिवर्तन के याचिका पर की सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि लिंग परिवर्तन कराना एक संवैधानिक अधिकार है. समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के निहित अधिकार से वंचित करते हैं या स्वीकार नहीं करते हैं तो हम केवल लिंग पहचान विकार सिंड्रोम को प्रोत्साहित करेंगे. कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को एक महिला कांस्टेबल द्वारा लिंग परिवर्तन कराने की मांग के प्रार्थना पत्र को निस्तारित करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही यूपी सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने नेहा सिंह की याचिका पर दिया है.

सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कराना चाहती है पीड़िता

कोर्ट ने कहा कि कभी-कभी ऐसी समस्या घातक हो सकती है. क्योंकि ऐसा व्यक्ति विकार, चिंता, अवसाद, नकारात्मक आत्म-छवि और किसी की यौन शारीरिक रचना के प्रति नापसंदगी से पीड़ित हो सकता है. यदि इस तरह के संकट को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय विफल हो जाते हैं तो सर्जिकल हस्तक्षेप करना चाहिए.

Also Read: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरार आरोपी की याचिका पर की सुनवाई, कहा- भगोड़ा घोषित व्यक्ति को भी अग्रिम जमानत का अधिकार

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष आग्रह किया कि वह जेंडर डिस्फोरिया से पीड़ित है और खुद को अंततः एक पुरूष के रूप में पहचानने और सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी कराना चाहती है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने पुलिस महानिदेशक के समक्ष इस संबंध में 11 मार्च को अभ्यावेदन किया है, लेकिन अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है. इस वजह से उसने यह याचिका दाखिल की है.

21 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

याचिकाकर्ता के वकील की ओर से राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ व अन्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला दिया गया. कहा कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आवेदन को रोकना उचित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने लिंग पहचान को व्यक्ति की गरिमा का अभिन्न अंग घोषित किया है. कोर्ट ने कहा कि यदि कोई ऐसा नियम नहीं है तो राज्य केंद्रीय कानून के अनुरूप ऐसा अधिनियम बनाना चाहिए. कोर्ट ने मामले में सुनवाई के लिए 21 सितंबर की तारीख तय की है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें