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Air Pollution in Varanasi: वाराणसी में दशाश्वमेध घाट की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित, उठने लगे ये सवाल

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क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने कहा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वाराणसी इकाई को शहर में वायु प्रदूषण के वर्ष पर्यन्त बढ़े हुए स्तर की चिंता केवल तब होती है, जब देश में दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में वायु प्रदूषण पर चर्चा होती है.

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Varanasi News: क्लाइमेट एजेंडा द्वारा वाराणसी शहर में वायु की गुणवत्ता निगरानी करने के लिए शहर के चार प्रतिष्ठित घाटों दशाश्वमेध, अस्सी, पंचगंगा, केदार घाट पर कुछ मशीनों द्वारा आंकड़े प्राप्त किये गए. इससे निष्कर्ष निकला कि दशाश्वमेध घाट पर हवा में सबसे ज्यादा प्रदूषण व्याप्त हैं. प्रदूषण का स्तर तुलनात्मक तौर पर गर्मियों में कम रहता है, फिर भी सभी घाटों पर हालात चिंताजनक मिले. इन चार घाटों में अस्सी घाट पर प्रदूषण का स्तर बेहद खराब मिला. जबकि केदार और पंचगंगा पर तुलनात्मक तौर पर साफ़ देखने को मिला.

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Air pollution in varanasi: वाराणसी में दशाश्वमेध घाट की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित, उठने लगे ये सवाल 2

वायु गुणवत्ता की निगरानी से प्राप्त आंकड़े शहर के निजामों की आंखें खोलने की क्षमता रखते हैं. यह निगरानी करने का उद्देश्य आम नागरिक और जिला प्रशासन को गहरी और बेपरवाह मुद्रा से जगाने का था. इसके पहले अस्सी घाट पर स्थापित किया गया कृत्रिम फेफड़ा मात्र तीन दिनों में काला पड़ गया था, जिसके बाद से वायु प्रदूषण को लेकर सभी ने चिंता व्यक्त की.

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इस गतिविधि के बारे में जानकारी देते हुए क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने कहा, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वाराणसी इकाई को शहर में वायु प्रदूषण के वर्ष पर्यन्त बढ़े हुए स्तर की चिंता केवल तब होती है, जब देश में दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में वायु प्रदूषण पर चर्चा होती है. अगर यह विभाग वर्ष पर्यन्त सक्रिय रहता तो वाराणसी में गर्मियों के दौरान प्रदूषण की मार इतनी भयावह नहीं होती कि हमारे द्वारा अस्सी घाट पर स्थापित किया गया कृत्रिम फेफड़ा मात्र तीन दिनों में काला पड़ जाए.

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत बनारस जिले को प्राप्त करोड़ों रुपये की रकम का उपयोग शहर के प्रदूषण को कम करने में किया जाना चाहिए था, ताकि वाराणसी में बच्चे, वरिष्ठ नागरिक एवं मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का असर कम हो सके.

जिलाधिकारी द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के सही तरीके से अनुपालन के लिए बनी जिला कमिटी में शामिल संस्थाओं और संगठनों को भी कुछ पहल करनी चाहिए. केवल बंद कमरों में बैठकर अधिकारियों संग बैठकें करने से शहर का प्रदूषण काम नहीं हो सकता. ज्ञात हो कि क्लाइमेट एजेंडा द्वारा अस्सी घाट पर स्थापित कृत्रिम फेफड़े केवल 72 घंटों में वायु प्रदूषण के कारण काले पड़ गए थे.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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