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UP Chunav 2022: आगरा में 10 फरवरी को मतदान, दांव पर लगी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा, तीन सीटों पर सबकी नजर

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UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 का प्रथम चरण आगरा में 10 फरवरी को होगा. मंगलवार की शाम को प्रथम चरण के मतदान वाले आगरा, मथुरा समेत 11 जिलों में चुनाव प्रचार का शोर थम गया.

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UP Chunav 2022, Agra News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 के पहले चरण में ताजनगरी आगरा में 10 फरवरी को मतदान होगा. आगरा में विधानसभा की तीन सीटें ऐसी हैं, जिन पर बड़े-बड़े प्रत्याशियों की किस्मत दांव पर लगी हुई है. एक सीट पर जहां राज्यमंत्री हैं तो वहीं दूसरी सीट पर पूर्व राज्यपाल हैं. अगर तीसरी सीट की बात करें तो एक राजघराना अपनी किस्मत को चमकाने के लिए लगा हुआ है.

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तीन वीवीआईपी सीटों पर सबकी नजर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले चरण के लिए आगरा, मथुरा समेत 11 जिलों में चुनाव प्रचार मंगलवार की शाम थम गया. ताजनगरी की बात की जाए तो ताज नगरी में 9 विधानसभा हैं, जिनमें तीन विधानसभा वीवीआइपी मानी जा रही है. दरअसल इन तीनों विधानसभाओं पर माननीय की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.

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आगरा छावनी पर उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री जीएस धर्मेश फिर से मैदान में हैं. आगरा ग्रामीण से पूर्व राज्यपाल व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य भाजपा की प्रत्याशी हैं और बाह विधानसभा से भदावर राजघराने की रानी पक्षालिका सिंह चुनाव मैदान में हैं. इन तीनों माननीय की किस्मत 10 फरवरी को ईवीएम में बंद हो जाएगी और दस मार्च को पता चलेगा कि कौन जीत का ताज पहनता है और किसे हार का सामना करना पड़ेगा.

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आगरा छावनी विधानसभा सीट सन 1967 में अस्तित्व में आई थी. उसके बाद सन 1985 से इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा और 1989 में भाजपा को इस जीत पर जीत मिली. 1996 तक भाजपा इस सीट पर काबिज रही. 2002 से 2012 तक बसपा का कब्जा रहा. इसके बाद 2017 में भाजपा के प्रत्याशी डॉक्टर जी एस धर्मेश ने इस सीट पर कमल खिलाया और योगी सरकार में राज्यमंत्री बने. अगर सपा की बात की जाए तो इस सीट पर अभी तक इसका खाता नहीं खुला है. इस बार फिर से बीजेपी ने राज्यमंत्री डॉक्टर जी एस धर्मेश पर दांव लगाया है.

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Up chunav 2022: आगरा में 10 फरवरी को मतदान, दांव पर लगी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा, तीन सीटों पर सबकी नजर 4
छावनी विधानसभा का सियासी समीकरण

अगर प्रत्याशियों के अनुभव की बात की जाए तो आगरा छावनी विधानसभा पर भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर जी एस धर्मेश के सामने सभी नौसिखिया है. सपा के कुंवर चंद वकील आगरा से लोकसभा चुनाव लड़े हैं, मगर अनुभव और लोकप्रियता में भाजपा विधायक डॉक्टर जी एस धर्मेश से पीछे हैं. बसपा के भारतेंदु अरुण की बात की जाए तो उनकी जाटव वोटर्स पर अच्छी पकड़ है. भारतेंदु अरुण की यह भी कोशिश है कि मुस्लिम वोटर को अपने पक्ष में लाया जाए. अगर भारतेंदु अरुण के पास मुस्लिम वोटर पहुंच गया तो वह इस विधानसभा से जीत हासिल कर सकते हैं.

कांग्रेस ने सिकंदर बाल्मीकि को दिया टिकट

वहीं दूसरी तरफ अगर कांग्रेस के प्रत्याशी सिकंदर बाल्मीकि की बात की जाए तो उनकी भी समाज में अच्छी पकड़ है. वह भी दलित चेहरा हैं. ऐसे में छावनी विधानसभा जो कि दलितों का गढ़ बताया जाता है, सिकंदर बाल्मीकि अगर दलित वोट बैंक में सेंध लगा पाते हैं तो वह भी भाजपा को टक्कर देंगे. आगरा छावनी विधानसभा में,

  • कुल मतदाता- 4,62,281

  • महिला मतदाता- 2,10,099

  • पुरुष मतदाता- 2,52,162

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आगरा की बाह विधानसभा की अगर बात की जाए तो करीब 11 चुनावों में बराबर राजघराने के सदस्य यहां पर विधायक बने हैं. 1962 में पहली बार भदावर राजघराने के राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह ने यहां से निर्दलीय चुनाव जीता था, जिसके बाद लगातार यहां से राजघराने के सदस्य ही विधायक चुने गए. वहीं, 2007 में बसपा के मधुसूदन शर्मा ने राजघराने के वोट बैंक में सेंध लगाई और राजा अरिदमन सिंह को हराकर इस सीट पर काबिज हुए. लेकिन फिर से 5 साल बाद चुनाव में राजा अरिदमन सिंह ने सपा के टिकट पर मधुसूदन शर्मा को हरा दिया और राज्य में कैबिनेट मंत्री बने. सन 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से रानी पक्षालिका सिंह विधायक बनी और इस बार फिर से भाजपा ने रानी पक्षालिका सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है.

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Up chunav 2022: आगरा में 10 फरवरी को मतदान, दांव पर लगी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा, तीन सीटों पर सबकी नजर 5
बाह विधानसभा का सियासी समीकरण

अगर जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो बाह विधानसभा में 80 हजार ठाकुर, 80 हजार ब्राह्मण, 42 हजार निषाद और 42 हजार जाट मतदाता है. इसके अलावा यहां पर अन्य जातियां भी काफी संख्या में हैं. देखा जाए तो क्षत्रिय रानी पक्षालिका सिंह को वोट करने के मूड में है. सपा के मधुसूदन शर्मा ब्राह्मणों में सेंध लगा सकते हैं. भाजपा के पूर्व प्रत्याशी और फतेहाबाद से वर्तमान विधायक जितेंद्र वर्मा ने सपा ज्वाइन कर लिया है और इस समय वह आगरा के जिलाध्यक्ष हैं. यह भी देखा जा रहा है कि जितेंद्र वर्मा निषाद है और अगर वह बाह विधानसभा पर निषादों में सेंध लगाते हैं तो यह सभी वोट मधुसूदन शर्मा की तरफ जाएगा, जिससे मधुसूदन शर्मा के जीतने के अच्छे आसार बन जाते हैं.

बसपा और कांग्रेस ने भी चला सियासी दांव

वहीं, अगर बसपा की बात की जाए तो बसपा ने निषाद वोट बैंक को तोड़ने के लिए नितिन वर्मा पर अपना भरोसा जताया है. लेकिन नितिन वर्मा का राजनीतिक अनुभव अत्यधिक ना होने की वजह से बाह की रानी पक्षालिका और मधुसूदन शर्मा में कांटे की टक्कर है. वहीं, ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस ने बाह विधानसभा से मनोज दीक्षित को मैदान में उतारा है. अगर आंकड़ों की मानी जाए तो मनोज दीक्षित कुछ हद तक ब्राह्मण वोट में सेंध लगा सकते हैं.

बाह विधानसभा में कुल मतदाता
  • कुल मतदाता- 3,32,703

  • महिला मतदाता- 1,50,837

  • पुरुष मतदाता- 1,81,576

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ताजनगरी की ग्रामीण विधानसभा सीट पर इस समय भाजपा ने उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को मैदान में उतारा है. वहीं, बेबी रानी मौर्य के सामने रालोद से महेश जाटव, बसपा से किरणप्रभा केसरी और कांग्रेस से उपेंद्र सिंह व आम आदमी पार्टी से अरुण कांत कठेरिया मैदान में है. पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस सीट से मैदान में उतरने के बाद यह सीट वीवीआईपी हो गई है.

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Up chunav 2022: आगरा में 10 फरवरी को मतदान, दांव पर लगी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा, तीन सीटों पर सबकी नजर 6
दलितों का बड़ा चेहरा हैं बेबी रानी मौर्य

भाजपा प्रत्याशी पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य दलितों का बड़ा चेहरा हैं, लेकिन उनकी राह में सबसे बड़ा रोड़ा जनता का आक्रोश है, जो मौजूदा विधायक हेमलता दिवाकर के लिए था. दरअसल, क्षेत्र की जनता ने कई बार हेमलता दिवाकर का विरोध किया था और उनके लापता होने के पोस्टर भी लगाए थे, जिसकी वजह से बेबी रानी मौर्य की राह ग्रामीण विधानसभा पर आसान नहीं है. इस सीट के सवा लाख दलित मतदाता भाजपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद में बंट रहे हैं.

अरुण कांत कठेरिया आम आदमी पार्टी से लड़ रहे चुनाव

आगरा ग्रामीण विधानसभा सीट पर करीब एक लाख से ज्यादा मुस्लिम, यादव और कुशवाहा मतदाता हैं, जिसमें रालोद प्रत्याशी महेश जाटव, बसपा प्रत्याशी किरणप्रभा केसरी और आम आदमी प्रत्याशी अरुण कांत कठेरिया भी सेंध लगा रहे हैं. अरुण कांत भाजपा के पूर्व सांसद प्रभु दयाल कठेरिया के बेटे हैं, जो दो साल से क्षेत्र में तैयारी कर रहे थे, लेकिन ऐन वक्त पर भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसकी वजह से उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अपना दांव चला है. वह भाजपा प्रत्याशी के लिए मुसीबत बने हुए हैं.

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  • कुल मतदाता- 4,23,456

  • महिला मतदाता- 1,93,255

  • पुरुष मतदाता- 2,30,201

रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा

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