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हेमंत सरकार के 4 साल : सत्ता पक्ष ने सराहा, विपक्ष ने नाकामी गिनायी

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राज्य में हेमंत सरकार के गठन के दो वर्ष का कार्यकाल कोविड के कारण प्रभावित रहा. हालांकि, इस दौरान राज्य सरकार ने राहत कार्य चलाया. प्रवासी मजदूरों को दूसरे प्रदेशों से झारखंड लाने का काम किया.

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गिरिडीह, सूरज सिन्हा : हेमंत सरकार के चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. एक ओर जहां सत्ता पक्ष के झामुमो व कांग्रेस के नेताओं ने हेमंत सरकार के कार्यकाल की सराहना की है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां भाजपा, आजसू पार्टी आदि ने राज्य सरकार की नाकामियों को गिनाया है.

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क्या कहते हैं नेता

राज्य में हेमंत सरकार के गठन के दो वर्ष का कार्यकाल कोविड के कारण प्रभावित रहा. हालांकि, इस दौरान राज्य सरकार ने राहत कार्य चलाया. प्रवासी मजदूरों को दूसरे प्रदेशों से झारखंड लाने का काम किया. कोविड काल के बाद झारखंड में विकास कार्यों की रफ्तार पकड़ी. हेमंत सरकार का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा रहा. आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के अलावे विकास की कई योजनाओं को धरातल पर उतारा गया. आदिवासी-मूलवासी के हित में कई कार्य किये गये. रोजगार सृजन, कृषि विकास समेत अंतिम व्यक्ति तक विकास की रोशनी पहुंचाने के लिए विकास योजनाओं को क्रियान्वित किया गया.

संजय सिंह, जिलाध्यक्ष, झामुमो

झारखंड सरकार के चार साल का कार्यकाल बेमिसाल है. सरकार सभी तरह की उलझन से उलझते हुए बहुत बेहतरीन तरीके से काम कर रही है, जबकि संघीय ढांचे की गरिमा को दरकिनार करते हुए विपक्ष द्वारा बहुत ही अशोभनीय तरीके से इस सरकार को परेशान करने की कोशिश जारी है. इसके बावजूद राज्य सरकार अपने वादा को पूरा करने का काम कर रही है. विकास को लेकर कई योजना चल रही हैं. रोजगार के अवसर सृजित किये जा रहे हैं. इस राज्य के लिए भगवान बिरसा मुंडा ने जो सपने देखे थे उसको साकार करने की दिशा में राज्य सरकार मजबूती से कदम बढ़ा रही है. विकास की कई योजनाओं को धरातल पर उतारा गया है.

सतीश केडिया, कार्यकारी जिलाध्यक्ष, कांग्रेस

राज्य की जनता को सिर्फ भ्रम एवं धोखा ही मिला है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पांच लाख युवाओं को नौकरी देने, बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था, लेकिन ना नौकरी मिली और ना ही भत्ता मिला. जल जंगल जमीन, कोयला, बालू, पत्थर की खुलेआम लूट हो रही है. हेमंत सरकार में कानून व्यवस्था चौपट हो गयी है. आये दिन चोरी, डकैती, हत्या, अपहरण, छिनतई हो रही है. बहू-बेटियां सहित आदिवासी भी सुरक्षित नहीं है. किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया. यह सरकार महिला सशक्तीकरण की बात तो करती है, लेकिन इसके लिए एक भी कार्य नहीं किया. अबुआ आवास का सिर्फ आवेदन लिया जा रहा है.

महादेव दुबे, जिलाध्यक्ष, भाजपा

राज्य सरकार के चार साल का कार्यकाल में भय, भूख व भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा. खनिज संपदाओं की लूट मची हुई है. बगैर कमीशन के कोई काम नहीं हो रहा है. जनता काफी त्रस्त हैं. गिरिडीह समेत पूरे प्रदेश में चोरी, डकैती, दुष्कर्म की घटनाएं घटित हो रही है. एक भय का माहौल बना हुआ है. विकास का कोई काम नहीं हुआ है. हेमंत सरकार ने जनता से कई वादा किया था. लेकिन, सत्तासीन होने के बाद एक भी वादा पूरा नहीं किया. रोजगार व बेरोजगारी भत्ता नहीं मिलने के कारण शिक्षित युवाओं में काफी आक्रोश है. जेटेट की परीक्षा नहीं हो पायी है, जिससे विद्यार्थियों में काफी नाराजगी है.

गुड्डू यादव, जिलाध्यक्ष, आजसू पार्टी

झारखंड में मिली करारी हार का बदला लेते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को अपेक्षित सहयोग नहीं किया. पूर्व की सरकार से मिले खाली खजाने, डीवीसी के कई हजार करोड़ के बकाया जैसे बोझ के साथ राज्य सरकार को कोविड जैसी आपदा से भी निपटना पड़ा. इसके बाद भी कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किये गये. लेकिन, झारखंडियों के रोजगार की मुकम्मल व्यवस्था, गैरमजरुआ जमीन का रसीद काटने की शुरुआत नहीं होने, विकास कार्यों में कमीशनखोरी व अधिकारियों पर लगाम नहीं लगाने, सभी गरीब परिवारों को राशन उपलब्ध नहीं कराने जैसी विफलताओं का कोई जवाब सरकार के पास नहीं है.

राजेश यादव, राज्य कमेटी सदस्य, भाकपा माले

झारखंड में सभी लोगों के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल मुफ्त होना चाहिये. स्थानीय नीति नहीं बनने से नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही है. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में भी सरकार विफल रही है. मुख्यमंत्री हेल्प लाइन नंबर जनता के लिए जारी होना चाहिये, ताकि लोग अपनी समस्या सीधे सीएम के पास रख सकें. ताकि, जनता की समस्याओं का समाधान जल्द हो सके. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना व सावित्री बाई फुले योजना बेहतर है. इससे लोग लाभान्वित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना में गारंटी का जिम्मा यदि सरकार ले ले तो नौजवानों को काफी लाभ मिलेगा.

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