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कानपुर में PMO का प्रतिनिधि बताकर लूटे 20 लाख रुपये, सड़क की जमीन पर बनवा दिया बंगला, जानें पूरा मामला

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कानपुर में एक शख्स ने पीएमओ का प्रतिनिधि बताकर बिल्डर से 20 लाख रुपये की ठगी कर ली. मामला यही नहीं रूका जब शख्स ने दुबारा रुपये की मांग की तो परेशान होकर पीड़ित ने आरोपी के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है. जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है.

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Kanpur: कानपुर में सिंहपुर स्थित पायनियर ग्रीन सिटी टाउनशिप में रोड की जमीन पर नक्शों में फर्जीवाड़ा कर अवैध तरीके से बंगला बनाने का मामला सामने आया है. एमराल्ड गार्डन निवासी बिल्डर निखिल शर्मा ने अभिषेक सिंह नाम के शख्स पर बिठूर थाने में वसूली और धमकाने संबंधी धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई. उनका आरोप है कि आरोपित अभिषेक ने खुदको पीएमओ का प्रतिनिधि बताया और आईकार्ड दिखाया.

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उसने अवैध निर्माण को लीगल करने के लिए 20 लाख रुपए की ठगी की. इसके बाद नक्शा भी पास हो गया. आरोप है कि 12 अगस्त 2023 को निखिल अपने कार्यालय पहुंचे तो अभिषेक ने दो लाख रुपये की मांग की. पुलिस ने आरोपी अभिषेक सिंह को लखनऊ के एक नामी होटल से हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. वहीं, प्राथमिक जांच में सामने आया कि बिल्डर निखिल शर्मा ने फर्जी तरीके से नक्शा पास कराया और बंगला बना दिया. मामले में डीएम और केडीए के VC विशाख जी ने कानपुर के स्वरुपनगर थाने में फर्जीवाड़े के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया है.

यह है पूरा मामला

दरअसल, स्वरूपनगर स्थित एमराल्ड गार्डन निवासी निखिल शर्मा पायनियर ग्रीन सिटी में डायरेक्टर हैं. निखिल के मुताबिक, उनकी बिठूर सिंघपुर स्थित टाउनशिप पायनियर ग्रीन सिटी के विला नंबर 67 को अभिषेक सिंह नाम के युवक को किराए पर दिया था. इस दौरान उनका पायनियर ग्रीन सिटी स्थित ऑफिस में आना-जाना शुरू हो गया. उसने बताया कि वह पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) का प्रतिनिधि है. साथ ही आईडी कार्ड भी दिखाया. उसके विला के बाहर होमगार्ड भी तैनात था.

नवंबर-2022 तक दिए 20 लाख रुपए

निखिल ने बताया कि मैं अभिषेक की बातों से प्रभावित हो गया. उसे नवंबर, 2022 से अब तक करीब 20 लाख रुपए दे चुका हूं. जिसमें एप्पल कंपनी का मोबाइल फोन और एक लैपटॉप भी शामिल है. वह व्यापारिक काम को सही से चलने देने के नाम पर ये रुपए ले रहा था. पैसे देने से मना करने पर वह काम बंद करवाने की धमकी देता था. 12 अगस्त को उसने फिर दो लाख रुपए की मांग की. विरोध करने पर फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी दी. जिसके आधार पर रविवार शाम को उसके खिलाफ FIR दर्ज करवाई.

तीन छोटे-छोटे ले-आउट प्लान बनाए

सिंहपुर कछार की हनुमंत विहार पार्ट और पायनियर ग्रीन सोसाइटी में बिल्डरों ने पहले जिस जमीन पर नौ मीटर रोड दर्शाकर नक्शा पास कराया. उसे संशोधित नक्शे में छिपाकर प्लॉट काट दिया. खास बात यह है कि इस खेल के लिए पायनियर डेवलपर्स ने तीन छोटे-छोटे ले-आउट प्लान पास कराए. इसमें धीरे-धीरे मौके की सच्चाई को गायब करते रहे. बाद में बगल में खरीदी गई एक जमीन का अलग से ले-आउट पास कराया. जिसे मूल नक्शे के साथ जोड़ दिया. इसे संशोधित ले-आउट प्लान बताया. इसमें पुराने ले-आउट प्लान की रोड ही गायब कर दी.

इसके बाद पायनियर ग्रीन सिटी के ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इसकी शिकायत डीएम विशाख जी से की. जांच के बाद डीएम के आदेश पर पायनियर डेवलपर्स के चार निदेशकों के साथ ही आर्किटेक्ट के खिलाफ स्वरूप नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई. इनमें इंदिरा नगर के रहने वाले मेसर्स पायनियर कन्सट्रक्टविल्ड के अधिकृत निदेशक अखिल शर्मा और निखिल शर्मा शामिल हैं. साथ ही शुक्लागंज के रहने वाले अमित अग्रवाल, स्वरूप नगर के रहने वाले आशीष सिंह और आर्किटेक्ट वैभव चौहान के खिलाफ भी धोखाधड़ी, दस्तावेजों में हेर-फेर से फर्जीवाड़ा करने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है.

बगल की 16 हजार वर्ग मीटर जमीन पर भी किया खेल

डेवलपर ने एक और बड़ा खेल बगल की 16 हजार वर्ग मीटर की जमीन पर भी किया. इस जमीन का स्वामित्व अपना दर्शाते हुए ओबीपास पोर्टल पर संशोधित नक्शा दाखिल किया. उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 की धारा-13 के अन्तर्गत समाचार पत्रों में इसकी विज्ञप्ति प्रकाशित कराई जाती है. मगर इसमें पायनियर ग्रीन का कोई जिक्र था ही नहीं. इससे सोसाइटी के आवंटियों को पता ही नहीं लगा कि किस जमीन का जिक्र हुआ है. आवंटियों ने इसकी शिकायत की कि आवश्यक सूचनाओं के अभाव में वह आपत्ति दाखिल नहीं कर सके.

जो प्लॉट नक्शे में थे ही नहीं, वो भी कराए पास

आराजी संख्या-499, 500, 501 पार्ट एवं 486 पार्ट हनुमंत विहार स्थित सिंहपुर कछार में 26330.49 वर्ग मीटर ले-आउट नक्शा 20 अगस्त 2008 को मेसर्स पायनियर कन्सट्रक्टविल्ड प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में स्वीकृत किया गया था. डेवलपर ने विकास कार्यों के साथ ही पार्क का भी निर्माण कराया. नक्शे में बाईं ओर प्लॉट नंबर 3, 33, 39, 48 एवं 10 ए के बगल में 9 मीटर की रोड दर्शाया.

डेवलपर को इसे रोड के रूप में ही विकसित करना अनिवार्य था. मगर नक्शे में सृजित प्लॉट नंबर 03 के बगल में स्थित 9 मीटर रोड पर कूटरचित रूप से प्लॉट नंबर-2 दर्शाया. इसका नक्शा ओबीपीएएस पोर्टल पर दाखिल कर 7 अक्टूबर, 2021 को स्वीकृत करा लिया. खास बात यह है कि प्लॉट नंबर 02 जो नक्शे में था ही नहीं, उसे आवासीय बना दिया. यानी प्लॉट नंबर-2 दिखा रोड ही गायब कर दी.

स्वीकृत नक्शे में सृजित प्लॉट नंबर-48 के बगल में डेवलपर ने 9 मीटर रोड पर प्लॉट नंबर-47 दर्शाया और इसका छोटा नक्शा 2 नंबर 2021 को ओबीपास पोर्टल पर दाखिल करके पास करा लिया. इसी तरह नक्शे में प्लॉट नंबर 39 के बगल में 9 मीटर रोड पर भूखंड संख्या 38 दर्शाया और इसका नक्शा ओबीपास पोर्टल पर दाखिल करके 12 जनवरी, 2022 को पास करा लिया। हकीकत यह प्लॉट नंबर 38 पूर्व के स्वीकृत नक्शे में है ही नहीं.

स्वीकृत भवनों के नक्शे भी होंगे निरस्त

डीएम ने आदेश दिया है कि पहले पास कराए गए ले-आउट के साथ ही बाद के तीनों छोटे ले-आउट और संशोधित ले-आउट को निरस्त कर दिया जाए. KDA ने इसकी कार्रवाई शुरू कर दी है. इसमें वो नक्शे भी निरस्त होंगे, जो इस योजना के भूखंडों पर भवन बनाने के लिए पास कराए गए थे. अभी मैनावती मार्ग पर ग्रीन बेल्ट पर ग्रुप हाउसिंग और शैक्षणिक संस्थान के भू-उपयोग को बदलकर कॉमर्शियल के नक्शे पास करने का मामला चल ही रहा था कि इस मामले ने फर्जीवाड़े की नई कहानी खोल दी है. इन दोनों मामलों की जांच पहले से विधान परिषद की अंकुश समिति कर रही है.

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