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नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसानों के समर्थन में कोलकाता में 10 राजनीतिक कैदी अनशन पर

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तीन नये कृषि कानूनों (Farm Laws 2020) को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों (Farmers Protest) के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के मद्देनजर पश्चिम बंगाल (West Bengal) की राजधानी कोलकाता (Kolkata) के एक जेल में बंद 10 राजनीतिक कैदियों ने रविवार (27 दिसंबर, 2020) से भूख हड़ताल (10 Political Prisoners on Fast) शुरू कर दी है.

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कोलकाता : तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के मद्देनजर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक जेल में बंद 10 राजनीतिक कैदियों ने रविवार (27 दिसंबर, 2020) से भूख हड़ताल शुरू कर दी है.

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दमदम केंद्रीय जेल से जारी बयान में प्रदर्शनकारियों ने नये कानूनों को किसान विरोधी करार दिया और आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना की परिस्थितियों का फायदा उठाते हुए इन कानूनों को पारित किया है.

बयान में केंद्र सरकार के उस दावे की भी आलोचना की गयी है, जिसमें नये कृषि कानूनों को किसानों के हित में बताया गया है. राज्य कारागार विभाग के सूत्रों ने बताया कि इसी मुद्दे को लेकर किसानों के समर्थन में सोमवार से मुर्शिदाबाद जिले की बरहमपुर जेल में बंद 8 अन्य राजनीतिक कैदी भी भूख हड़ताल की शुरुआत करेंगे.

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उल्लेखनीय है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के अलावा कई अन्य राज्यों के हजारों किसान तीन नये कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.

इन राजनीतिक कैदियों का किस पार्टी से संबंध से इस बारे में अभी तक कोई खुलासा नहीं किया गया है. उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और प्रदेश की मख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है.

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दूसरी तरफ, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस एवं वामदलों की यह कहकर आलोचना कर रहे हैं कि बंगाल के किसानों को केंद्र सरकार की पीएम किसान योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. इसके लिए राज्य के किसानों के हित में कोई आवाज नहीं उठा रहा.

Posted By : Mithilesh Jha

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