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नवरात्र में देवी के रजस, तमस और सत्व रूप की साधना करें

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नवरात्र का समय देवी आराधना या शक्ति की उपासना से जुड़ा है. इसके नौ दिन मूल रूप से तीन गुणों- रजस, तमस और सत्व- में बांटे गये हैं, जो त्रिगुण के नाम से भी जाने जाते हैं. किसी भी जीव के अस्तित्व के लिए ये तीन गुण ही मुख्य आधार हैं.

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सद्गुरु जग्गी वासुदेव

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संस्थापक ईशा फाउंडेशन

नवरात्र का समय देवी आराधना या शक्ति की उपासना से जुड़ा है. इसके नौ दिन मूल रूप से तीन गुणों- रजस, तमस और सत्व- में बांटे गये हैं, जो त्रिगुण के नाम से भी जाने जाते हैं. किसी भी जीव के अस्तित्व के लिए ये तीन गुण ही मुख्य आधार हैं. रजो, तमो और सतो- इन तीनों गुणों के बिना किसी चीज का अस्तित्व संभव नहीं है. यहां तक कि एक अणु भी इन गुणों से मुक्त नहीं है. हर अणु में इन तीनों गुणों या तत्वों की ऊर्जा, स्पंदन व प्रकृति का कुछ न कुछ अंश पाया जाता है. अगर ये तीनों तत्व मौजूद नहीं होंगे तो कोई भी चीज टिक नहीं सकती, वह बिखर जायेगी.

अगर आपमें सिर्फ सतो गुण है, तो आप यहां एक पल के लिए भी टिक नहीं पायेंगे. इसी तरह अगर आप में सिर्फ रजो गुण होगा, तो भी यह काम नहीं करेगा, और सिर्फ तमस होगा तो आप हमेशा निष्क्रिय रहेंगे. इसलिए हर चीज में ये तीनों ही गुण मौजूद हैं. अब सवाल यह है कि आप इन तीनों को किस अनुपात में मिलाते हैं. तमस का शाब्दिक अर्थ है- निष्क्रियता और ठहराव. रजस का आशय है, सक्रियता और जोश. जबकि सत्व का मतलब है, अपनी सीमाओं को तोड़ना, विसर्जन, विलयन व एकाकार. तीन मुख्य आकाशीय पिंडों- सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा- से हमारे शरीर की मूल संरचना का गहरा संबंध है. पृथ्वी को तमस का, सूर्य का रजस का और चंद्रमा को सत्व का प्रतीक मानते हैं.

जो लोग अधिकार, सत्ता, अमरत्व व ताकत की कामना करते हैं, वे देवी के तमस रूप की आराधना करेंगे, जैसे काली व धरती माता. जो लोग धन-दौलत, ऐश्वर्य, जीवन व सांसारिकता से जुड़ी चीजों की कामना करते हैं, वे स्वाभाविक तौर पर देवी के रजस रूप की आराधना करेंगे, जिसमें देवी लक्ष्मी व सूर्य आते हैं. लेकिन जो लोग ज्ञान, चेतना, उत्कर्ष, और नश्वर शरीर की सीमाओं से ऊपर उठने की कामना करते हैं, वे देवी के उस सत्व रूप की आराधना करेंगे, जिसका प्रतीक सरस्वती और चंद्रमा हैं.

नवरात्र के पहले तीन दिन तमस के माने जाते हैं, जिसकी देवी प्रचंड और उग्र हैं, जैसे दुर्गा या काली. इसके अगले तीन दिन रजस या लक्ष्मी से जुड़े माने जाते हैं, जो बहुत सौम्य हैं, लेकिन सांसारिकता से जुड़ी हैं. जबकि, आखिरी तीन दिन सत्व से जुड़े माने जाते हैं, जिसकी देवी सरस्वती हैं, जो विद्या और ज्ञान से संबंधित हैं. इन तीनों गुणों में अपनी जिंदगी निवेश करने के तरीके से आपके जीवन की दशा व दिशा तय होती है.

अगर आप तमस पर ज्यादा जोर देते हैं तो आप जीवन में एक खास तरीके से ताकतवर होते हैं, इसी तरह से अगर आप रजस पर जोर देते हैं तो आप एक अलग तरीके से शक्तिशाली होते हैं, लेकिन अगर आप सत्व में निवेश करते हैं तो आप बिल्कुल अलग तरीके से समर्थ बन जाते हैं. लेकिन अगर आप इन तीनों ही तत्वों से ऊपर उठ जाते हैं तो फिर मामला शक्ति का नहीं, बल्कि मुक्ति से जुड़ जाता है. तो इस प्रकार ये तीन गुण आपको अलग-अलग तरीकों से सामर्थ्यवान और शक्तिशाली बनाते हैं.

नवरात्र के उत्सव का एक अर्थ यह भी है कि आपने तमस, रजस, और सत्व इन तीनों ही गुणों को जीत लिया है, उन पर विजय पा ली है. यानी इस दौरान आप इनमें से किसी में नहीं उलझे. आप इन तीनों गुणों से होकर गुजरे, तीनों को देखा, तीनों में भागीदारी की, लेकिन आप इन तीनों से किसी भी तरह बंधे नहीं, आपने इन पर विजय पा ली. इस तरह से नवरात्र के नौ दिनों का आशय जीवन के हर पहलू के साथ उत्सवमय होकर जुड़ना है.

माता का आगमन : चैत्र नवरात्र में इस बार मां का आगमन बुधवार (25 मार्च, 2020) को हो रहा है. देवीभागवत पुराण में बताया गया है कि नवरात्र का आरंभ बुधवार को होगा, तो देवी नौका पर यानी नाव पर चढ़ कर आयेंगी. इसका अर्थ यह है कि वे भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धि देती हैं.

माता की विदाई : नवरात्र का समापन शुक्रवार (3 अप्रैल, 2020) को रहा है. पुराण में कहा गया है कि अगर शुक्रवार को माता विदा होती हैं, तो उनका वाहन हाथी होता है. हाथी वाहन होना इस बात का सूचक है कि अच्छी वर्षा होगी. अच्छी उपज से किसान उत्साहित रहेंगे.

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