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नया कानून मौजूदा कानून से केवल पांच फीसदी अलग : मलय घटक

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राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने दावा किया है कि परिवर्तन करने के बाद जो नये कानून बनाये गये हैं. उसमें केवल पांच प्रतिशत का बदलाव है.

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आसनासेल बार एसोसिएशन के सेमिनार में नये कानून पर हुई चर्चा

प्रतिनिधि, आसनसोल

राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा आइपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में परिवर्तन करने की बात कही गयी है. लेकिन उन्होंने दावा किया कि परिवर्तन करने के बाद जो नये कानून बनाये गये हैं. वह पहले के कानून से सिर्फ पांच प्रतिशत ही अलग हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा संसद में परिवर्तन करने का बिल पेश किया गया था. लेकिन बाद में उसे हटा लिया गया. इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से दलील दी गयी कि इस बदलाव को लेकर सभी स्टेकहोल्डर्स से बात की जायेगी. इस तरह के कानूनी बदलाव के पूर्व सबसे बड़े स्टेक होल्डर लॉ कमीशन को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए यह नये बदलाव किये गये हैं. जिन सात व्यक्तियों ने नये कानून व्यवस्था को बनाने के लिए सलाह दी थी उनमें सिर्फ एक व्यक्ति प्रैक्टिसिंग लॉयर हैं. बाकी सभी प्रोफेसर हैं.

मंत्री श्री घटक ने इस बात पर हैरानी जतायी कि भारत के कानून को लेकर इतने बड़े बदलाव की सिफारिश करने वाले छह व्यक्ति प्रोफेसर हैं और सिर्फ एक व्यक्ति अधिवक्ता है. केंद्र सरकार की दलील थी कि मौजूदा कानून व्यवस्था औपनिवेशिक कानून व्यवस्था है. जिसमें अब बदलाव की आवश्यकता है. मंत्री ने कहा कि इस औपनिवेशिक कानून व्यवस्था में क्या कमी थी ? सिर्फ एक कमी थी, वह यह कि विश्व के किसी भी देश के कानून व्यवस्था में यह प्रावधान नहीं है कि किसी आरोपी को पुलिस रिमांड में लिया जा सके. लेकिन औपनिवेशिक कानून व्यवस्था में यह प्रावधान होता है. जिससे किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार को छीना जाता है. रविवार को भारतीय कानून व्यवस्था में नये बदलाव को लेकर आसनसोल बार एसोसिएशन की पहल पर रवींद्र भवन में आयोजित एक सेमिनार में श्री घटक ने यह कहा.

मौके पर डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज गोपाल कुमार डालमिया, कलकत्ता हाइकोर्ट के सीनियर वकील मिलन मुखर्जी, एनयूडीएस के सूर्यबल अधिकारी, वरिष्ठ अधिवक्ता आसनसोल कोर्ट शेखर कुंडू, आसनसोल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश तिवारी, सचिव वाणी कुमार मंडल, उपमेयर तथा अधिवक्ता अभिजीत घटक, कार्यकारी सदस्य अभय गिरि आदि उपस्थित थे.

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