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रात की मेट्रो सेवा पर रोज का खर्च सवा तीन लाख, कमाई हो रही मात्र छह हजार रुपये की

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ात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो रेलवे द्वारा हाल में रात्रिकालीन सेवा शुरू की गयी थी. पर, अब इसका हिसाब-किताब गड़बड़ ही लग रहा है. रात्रिकालीन मेट्रो सेवा के लिए पर्याप्त संख्या में यात्री ही नहीं मिल रहे. अप और डाउन दिशा में यात्रा करने वाले औसतन कुल छह सौ लोग ही रोज मेट्रो तक पहुंच रहे हैं.

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श्रीकांत शर्मा, कोलकाता.

यात्रियों की सुविधा के लिए मेट्रो रेलवे द्वारा हाल में रात्रिकालीन सेवा शुरू की गयी थी. पर, अब इसका हिसाब-किताब गड़बड़ ही लग रहा है. रात्रिकालीन मेट्रो सेवा के लिए पर्याप्त संख्या में यात्री ही नहीं मिल रहे. अप और डाउन दिशा में यात्रा करने वाले औसतन कुल छह सौ लोग ही रोज मेट्रो तक पहुंच रहे हैं. इससे मेट्रो के अधिकारियों की चिंता बढ़ गयी है. चिंता की बड़ी वजह रोज रात की मेट्रो सेवा पर हो रही आर्थिक क्षति है. यात्रियों के हित में शुरू हुई यह सेवा मेट्रो को महंगी पड़ने लगी है.

मेट्रो रेलवे के अनुसार, इसकी दमदम और कवि सुभाष स्टेशनों से रात 11 बजे की रात्रिकालीन सेवा से मात्र 6000 रुपये की ही कमाई हो पा रही है. दूसरी तरफ इस सेवा पर प्रति मेट्रो ट्रेन के परिचालन का खर्च करीब पौने तीन लाख रुपये हो जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक एक ट्रेन को एक तरफ से चलाने पर मेट्रो को 1,35,000 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. अर्थात अप व डाउन- दोनों दिशाओं में मेट्रो परिचालन पर रेलवे को प्रतिदिन लगभग 2,70,000 रुपये खर्च कर करने पड़ रहे हैं. इसके अलावा अन्य खर्च भी हैं ही. लगभग 50,000 रुपये. यानी रोज रात की इस सेवा की कुल लागत 3,20,000 रुपये तक पहुंच जा रही है.

मेट्रो रेलवे के मुताबिक, विगत 24 मई से ब्लू लाइन में प्रयोग के तौर पर रात्रिकालीन सेवा शुरू की गयी है. अब तक का हिसाब-किताब बता रहा है कि औसतन छह सौ यात्री प्रतिदिन मेट्रो की इस रात्रिकालीन सेवा सुविधा का लाभ ले रहे हैं. पर, दूसरी तरफ जब खर्चे का हिसाब हो रहा है, तो वह सवा तीन लाख तक पहुंच जा रहा है. सीपीआरओ कौशिक मित्रा कहते हैं कि मेट्रो को रात्रिकालीन सेवा के लिए भारी खर्च उठाना पड़ रहा है. उनके अनुसार, सप्ताह में सोमवार से शुक्रवार तक चलने वाली इस रात्रिकालीन मेट्रो सेवा की शुरुआत के बाबत प्रचार-प्रसार के बावजूद यात्रियों में बहुत उत्साह नहीं दिख रहा है.

हाइकोर्ट के निर्देश पर मेट्रो ने किया था रात्रिकालीन सेवा के समय में बदलाव : उल्लेखनीय है कि हाल में मेट्रो की रात्रिकालीन सेवा में विस्तार की अपील करते हुए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआइएल) दायर की गयी थी. इसे सुनते हुए चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की डिवीजन बेंच ने रेलवे से मेट्रो सेवा में विस्तार करने पर विचार करने को कहा था. याचिकाकर्ता ने अपनी अपील में कहा था कि रात में चलने वाली अंतिम मेट्रो ट्रेन के समय को कम से कम 45 मिनट के लिए और बढ़ा दिया जाए. इसी याचिका और अदालत के निर्देश पर मेट्रो ने अपनी रात्रिकालीन सेवा के समय में विगत 24 मई से बदलाव किया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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