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जूनियर डॉक्टरों ने मुख्य सचिव मनोज पंत को किया ई-मेल, दिये छह सुझाव

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ईमेल के जरिए जूनियर डॉक्टरों ने छह सुझाव दिये हैं.

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सेंट्रल रेफरल सिस्टम को भी लागू करने को कहा अस्पतालों में बेड बढ़ाने का भी किया जिक्र कोलकाता. 10 सूत्री मांग पर सीएम ममता बनर्जी के साथ बैठक के बाद अब फिर जूनियर डॉक्टरों ने राज्य के मुख्य सचिव को ई मेल किया है. इस बार जूनियर डॉक्टरों से राज्य सरकार को सुझाव देने के लिए मेल किया है. ईमेल के जरिए जूनियर डॉक्टरों ने छह सुझाव दिये हैं. वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट की ओर से मुख्य सचिव को मेल भेजा गया है. मेल के जरिये मेडिकल कॉलेजों में समस्याओं का शीघ्र समाधान, टास्क फोर्स की बैठकें, मेडिकल कॉलेजों में केंद्रीय रेफरल प्रणाली लागू करने और संबंधित जानकारी नियमित रूप से उपलब्ध कराने के लिए मेल की गयी है. गुरुवार रात 12.05 बजे ईमेल मुख्य सचिव मनोज पंत को मेल भेजा गया. हालांकि प्रशासन की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. आंदोलनकारी डॉक्टरों का दावा है कि स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए केवल कुछ समितियां बनाना ही काफी नहीं है, वे कितनी सक्रिय और प्रभावी हैं, यह देखना भी सरकार की जिम्मेदारी है. आरजी कर घटना के बाद से जूनियर डॉक्टर अस्पताल परिसर में सुरक्षा की मांग को लेकर लंबे समय से आंदलोन कर रहे हैं. समय-समय पर उनकी सरकारी प्रतिनिधियों के साथ बैठकें भी की. मुख्यमंत्री ने भी उनसे कई बार चर्चा की और उनकी मांगों को सुनकर समाधान का आश्वासन दिया. जूनियर डॉक्टरों की मांगों के मुताबिक, 10 में से 7 सूत्री मांगें पूरी हो चुकी हैं. न सिर्फ जूनियर डॉक्टरों की सुरक्षा बल्कि मरीजों के हित के लिए भी उनकी कई मांगें हैं. जिनमें से एक है सेंट्रल रेफरल सिस्टम. जूनियर डॉक्टरों ने ई-मेल कहा है कि इस पद्धति को सभी अस्पतालों में लागू किया जाना चाहिये. वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने मनोज पंत को लिखे पत्र में कुल छह मुद्दे उठाए हैं. जूनियर डॉक्टरों ने इन्हें स्वास्थ्य क्षेत्र में लागू करने की जरूरत बतायी. उन्होंने मांग की कि केंद्रीय रेफरल प्रणाली के प्रत्येक विवरण को सार्वजनिक हित में अच्छी तरह से प्रचारित किया जाना चाहिए. ईमेल में सभी शिकायतों की पारदर्शिता के साथ जांच करने, विभिन्न अस्पतालों में बेड़ों की संख्या बढ़ाने का भी जिक्र किया गया है. उनके मुताबिक, राज्य के स्वास्थ्य ढांचे के विकास के लिए इन्हें अब लागू करना जरूरी है. जूनियर डॉक्टरों को मुख्य सचिव से सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद है.

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