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उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र की समस्या के समाधान के लिए त्रिपक्षीय बैठक बुलाने का दिया निर्देश

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट को दिया निर्देश कोलकाता. उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र की समस्या का स्थायी समाधान खोजने में अब तक केंद्र सरकार विफल रही है. अब वहां की समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने नयी उम्मीद जगाते हुए नये साल में एक और त्रिपक्षीय बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दार्जिलिंग से सांसद राजू बिष्ट को 2025 की शुरुआत में पहाड़ियों में यह बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्री शाह ने तृणमूल की करीबी माने जाने वाली अनित थापा की पार्टी बीजीपीएम को आमंत्रित नहीं करने का भी निर्देश दिया. गौरतलब है कि श्री शाह एसएसबी के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर शुक्रवार को सिलीगुड़ी में थे. कार्यक्रम के बाद उन्होंने दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट सहित पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. अमित शाह के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सांसद राजू बिष्ट ने कहा कि शुक्रवार सुबह गृह मंत्री के साथ हमारी करीब एक घंटे तक पहाड़ियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई. 2021 में उनके निर्देश पर स्थायी राजनीतिक समाधान को लेकर बातचीत शुरू हुई. हालांकि काफी समय बीत चुका है, लेकिन इस बार मुझे जनवरी के पहले सप्ताह में बैठक कर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस बैठक में वह राज्य सरकार के प्रतिनिधि को भी उपस्थित रहने का अनुरोध करेंगे, लेकिन वे इसमें भाग लेंगे या नहीं, यह उन पर निर्भर है. लेकिन हमें उम्मीद है कि यदि वे समाधान के साथ आगे बढ़ेंगे, तो वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बैठक में भेजेंगे. हालांकि, दूसरी ओर, जीटीए की उपस्थिति के बारे में भाजपा सांसद ने कहा कि बैठक में कौन शामिल होगा, इसका फैसला भारत सरकार करेगी. जीटीए के प्रवक्ता शक्तिप्रसाद शर्मा ने जवाब दिया कि जीटीए के बिना त्रिपक्षीय बैठक कैसे हो सकती है. वे यह बैठक कैसे आयोजित करेंगे. जीटीए केंद्र और राज्य के अधीन एक स्वशासी संगठन है. इसलिए जीटीए के प्रतिनिधियों के बिना त्रिपक्षीय बैठक संभव नहीं है. गौरतलब है कि इससे पहले दो बार पहाड़ियों में त्रिपक्षीय बैठक बुलायी गयी थी, लेकिन राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के भाग नहीं लेने के कारण असफल हो गयी थीं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट को दिया निर्देश कोलकाता. उत्तर बंगाल के पहाड़ी क्षेत्र की समस्या का स्थायी समाधान खोजने में अब तक केंद्र सरकार विफल रही है. अब वहां की समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने नयी उम्मीद जगाते हुए नये साल में एक और त्रिपक्षीय बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दार्जिलिंग से सांसद राजू बिष्ट को 2025 की शुरुआत में पहाड़ियों में यह बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया. पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, श्री शाह ने तृणमूल की करीबी माने जाने वाली अनित थापा की पार्टी बीजीपीएम को आमंत्रित नहीं करने का भी निर्देश दिया. गौरतलब है कि श्री शाह एसएसबी के 61वें स्थापना दिवस के अवसर पर शुक्रवार को सिलीगुड़ी में थे. कार्यक्रम के बाद उन्होंने दार्जिलिंग से भाजपा सांसद राजू बिष्ट सहित पार्टी नेताओं के साथ बैठक की. अमित शाह के साथ बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सांसद राजू बिष्ट ने कहा कि शुक्रवार सुबह गृह मंत्री के साथ हमारी करीब एक घंटे तक पहाड़ियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई. 2021 में उनके निर्देश पर स्थायी राजनीतिक समाधान को लेकर बातचीत शुरू हुई. हालांकि काफी समय बीत चुका है, लेकिन इस बार मुझे जनवरी के पहले सप्ताह में बैठक कर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस बैठक में वह राज्य सरकार के प्रतिनिधि को भी उपस्थित रहने का अनुरोध करेंगे, लेकिन वे इसमें भाग लेंगे या नहीं, यह उन पर निर्भर है. लेकिन हमें उम्मीद है कि यदि वे समाधान के साथ आगे बढ़ेंगे, तो वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बैठक में भेजेंगे. हालांकि, दूसरी ओर, जीटीए की उपस्थिति के बारे में भाजपा सांसद ने कहा कि बैठक में कौन शामिल होगा, इसका फैसला भारत सरकार करेगी. जीटीए के प्रवक्ता शक्तिप्रसाद शर्मा ने जवाब दिया कि जीटीए के बिना त्रिपक्षीय बैठक कैसे हो सकती है. वे यह बैठक कैसे आयोजित करेंगे. जीटीए केंद्र और राज्य के अधीन एक स्वशासी संगठन है. इसलिए जीटीए के प्रतिनिधियों के बिना त्रिपक्षीय बैठक संभव नहीं है. गौरतलब है कि इससे पहले दो बार पहाड़ियों में त्रिपक्षीय बैठक बुलायी गयी थी, लेकिन राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के भाग नहीं लेने के कारण असफल हो गयी थीं.

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