कोलकाता.
राज्य खाद्य विभाग ने किसानों को फंड आवंटन की पद्धति की दोबारा जांच कराने का फैसला किया है, ताकि प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया सके. इस संबंध में खाद्य व आपूर्ति मंत्री रथिन घोष ने किसानों को आश्वस्त किया कि खाद्य विभाग के फंड आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित है. किसानों को चिंता करने की कोई बात नहीं है. लेकिन फिर भी विभाग अपने स्तर पर इसे और सुरक्षित करने के प्रयास में जुटा है, ताकि भविष्य में कभी कोई समस्या ना हो. खाद्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने किसानों से 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा है. अब तक 51 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है. किसानों को उनकी उपज के लिए 2300 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से राशि प्रदान की जाती है. सीधे क्रय केंद्रों पर धान बिक्री करने पर किसानों को प्रति क्विंटल 2320 रुपये दिये जाते हैं. राज्य सरकार इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी है.धान का उत्पादन बढ़ाने की पहल
धान उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष पहल शुरू की गयी है. जानकारी के अनुसार, मॉनसून के दौरान मिनीकिट चावल की खेती लगभग नहीं होती है. अगर कुछ स्थानों पर इसकी खेती की भी जाये, तो कीड़ों की समस्या से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. परिणामस्वरूप, किसानों ने मॉनसून में मिनीकिट की खेती में रुचि नहीं दिखायी. लेकिन अब बीज अनुसंधान और विनिर्माण कंपनी नुजिवीडु सीड्स ने मॉनसून सीजन के दौरान मिनीकिट धान की खेती की पहल की है. उनके प्रयासों से पश्चिम बंगाल के कई जिलों में उच्च उपज वाले ”वर्षा मिनिकिट सतानवे छिहत्तर” चावल की खेती में सफलता मिल चुकी है. किसानों का मानना है कि इस मिनीकिट से चावल उत्पादन में कमी को पूरा करने में मदद मिलेगी. इस संबंध में कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसान सही तरीके से इन बीजों की खेती करें तो आने वाले दिनों में धान की फसल में एक क्रांति आ जायेगी. मानसून के दौरान इस बीज के माध्यम से मिनीकिट चावल की खेती करके किसान बड़ी मात्रा में बोरो धान उगा सकते हैं. उनका मानना है कि किसानों की आर्थिक उन्नति के साथ-साथ पश्चिम बंगाल चावल उत्पादन में भी कई कदम आगे बढ़ेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है