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ट्रेन से गिरकर हुई थी मौत, 23 वर्षों के बाद मुआवजा देगा रेलवे

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23 वर्ष पहले चलती ट्रेन से गिर कर एक यात्री की मौत होने के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए मृतक के परिजन को सूद के साथ आठ लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.

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संवाददाता, कोलकाता

23 वर्ष पहले चलती ट्रेन से गिर कर एक यात्री की मौत होने के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए मृतक के परिजन को सूद के साथ आठ लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. रेलवे ट्रिब्यूनल के आदेश को खारिज करते हुए गुरुवार को कलकत्ता हाइकोर्ट की न्यायमूर्ति शंपा (दत्ता) पाल ने यह निर्देश दिया. अदालत ने रेलवे बोर्ड को 23 साल पहले हुई इस दुर्घटना से प्रभावित मृतक के परिजनों को ब्याज सहित आठ लाख रुपये से अधिक का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

यह राशि रेलवे को कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार के पास जमा करनी होगी. इसके साथ ही मृतक के परिजन उचित सबूत पेश कर छह सप्ताह के भीतर इस राशि को अदालत के रजिस्ट्रार दफ्तर से कलेक्ट कर सकेंगे. अदालत सूत्र बताते हैं कि न्यायाधीश ने कहा कि यह सबूत मिले हैं कि मुआवजे के आवेदन में उल्लेखित टिकट नंबर और मृतक का टिकट नंबर एक समान है. इसके अलावा मृतक के पोस्टमार्टम और पुलिस की जांच में यह साबित हुआ है कि यात्री की मौत दुर्घटनावश ट्रेन से गिरने से हुई है. मृतक के परिजनों ने मुआवजे का दावा करते हुए कहा कि वह चलती ट्रेन से गिर गये थे. ट्रेन में भीड़ और धक्कामुक्की के कारण वह गिर गये थे. यात्री के पास यात्रा के लिए वैध द्वितीय श्रेणी का टिकट भी मिला था.

इससे पहले, रेलवे ट्रिब्यूनल ने यह कहते हुए मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया था कि घटना की जगह ठीक से नहीं बतायी गयी. घटना का कोई गवाह नहीं है और दुर्घटना के बाद पीड़ित के सामान से उसका टिकट बरामद नहीं हुआ था. लेकिन हाइकोर्ट ने उस दलील को नहीं माना और मृतक के परिजन को आठ लाख रुपये मुआवजा देने का रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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