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केंद्रीय योजनाओं के फंड से वंचित रखने के मामले में मदद नहीं कर सकता वित्त आयोग : पनगढ़िया

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अभी भी 15 राज्यों का दौरा किया जाना बाकी है. उन्होंने कहा कि मई 2025 तक सभी राज्यों का दौरा पूरा हो जायेगा.

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सीएम के आरोपों पर 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने दिया जवाब

कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा केंद्र सरकार पर मनरेगा, आवास योजना सहित अन्य योजनाओं के वंचित करने के मुद्दे पर 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया ने साफ कर दिया कि वित्त आयोग के पास इन समस्याओं के समाधान करने या इस पर विचार करने का कोई अधिकार नहीं है. संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आयोग के अध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग के प्रतिनिधि देश के सभी 28 राज्यों का दौरा कर वहां की योजनाओं की समीक्षा कर रिपोर्ट पेश करेंगे. अब तक आयोग ने पश्चिम बंगाल को लेकर 13 राज्यों का दौरा किया है. अभी भी 15 राज्यों का दौरा किया जाना बाकी है. उन्होंने कहा कि मई 2025 तक सभी राज्यों का दौरा पूरा हो जायेगा. सभी राज्यों से आये प्रस्ताव व सुझावों की समीक्षा कर तीन महीने बाद केंद्र सरकार के समक्ष रिपोर्ट पेश की जायेगी. डॉ अरविंद पनगढ़िया ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर राज्य को विभिन्न परियोजनाओं से वंचित करने का आरोप लगाया है. लेकिन ये पैसा बजट आवंटन से आता है. इसके पीछे आयोग का कोई हाथ नहीं है, इसलिए जहां तक हम जानते हैं हमें इस मामले पर स्टैंड लेने का कोई अधिकार नहीं है. हालांकि, हमने इस मुद्दे को नोट किया है और इसे संबंधित अथॉरिटी तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे. बंगाल सरकार की ओर से वित्त आयोग के प्रतिनिधि के समक्ष राज्य से लिये गये कर का 50 प्रतिशत वापस करने की मांग की गयी. फिलहाल राज्य को कर हिस्सेदारी के रूप में 41 फीसदी मिलता है.

राज्य सरकार ने शहरीकरण का दायरा बढ़ाने की उठायी है मांग

श्री पनगढ़िया ने बताया कि राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल में शहरीकरण का दायरा बढ़ाने का आवेदन किया है. राज्य सरकार ने कहा है कि अभी बंगाल का लगभग 12.5 प्रतिशत क्षेत्र शहरीकरण के अंतर्गत आता है, जिसे बढ़ा कर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव राज्य सरकार ने दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने एससी व एसटी बहुल क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर विशेष जोर देने का प्रस्ताव दिया है.

राज्य सरकार ने 15वें वित्त आयोग के तहत मिले सभी फंड का किया है प्रयोग

वित्त आयोग के प्रतिनिधियों से पत्रकारों ने यह जानना चाहा कि 15वें वित्त आयोग द्वारा कितनी अप्रयुक्त धनराशि दी गयी है. उन्होंने साफ कहा कि ऐसा कोई पैसा नहीं है, जिसे राज्य सरकार खर्च नहीं कर सकी है. यानी राज्य ने अब तक 15वें वित्त आयोग द्वारा दिया गया सारा पैसा खर्च कर लिया है. उनके मुताबिक वित्त आयोग द्वारा दिया गया पैसा तभी दोबारा आवंटित किया जाता है, जब उसे खर्च करने के बाद यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा हो जाता है. उनसे पूछा गया कि विपक्षी राजनीतिक दलों के जिस प्रतिनिधिमंडल से उन्होंने बात की, उन्होंने राज्य की मांगों के बारे में उन्हें क्या बताया. इस संबंध में वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल की ओर से बताया गया है कि उनमें से भी अधिकांश ने राज्य सरकार की मांग का समर्थन किया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा राज्य से लिया गया टैक्स का 50 फीसदी पैसा वापस करने की मांग की है. उनकी ओर से भी यही दावा किया गया है. गौरतलब है कि इस बैठक के दौरान माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम भी मौजूद रहे.

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