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बांग्ला केवल भाषा नहीं, बल्कि जीवनशैली है : राज्यपाल

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उन्होंने कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कविता ‘बांग्लार माटी, बांग्लार जल, बांग्लार वायु, बांग्लार फल’ का उल्लेख करते हुए बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देश की धरोहर बताया.

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कोलकाता. बांग्ला केवल भाषा नहीं, बल्कि जीवनशैली है. फिल्म निर्देशक सत्यजीत राय की इस प्रसिद्ध उक्ति को नेशनल लाइब्रेरी सभागार में बांग्ला ध्रुपदी भाषा : इतिहास, संस्कृति और भविष्य की अपेक्षाएं विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के अवसर पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहीं. उन्होंने कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की कविता ‘बांग्लार माटी, बांग्लार जल, बांग्लार वायु, बांग्लार फल’ का उल्लेख करते हुए बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को देश की धरोहर बताया. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ सुकांत मजूमदार ने भी इस तरह के कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि बांग्ला को ध्रुपदी भाषा की मान्यता मिलना पूरे बंगाल के लिए गौरव का विषय है. इसके लिए पूरे बंगाल में लोगों को समारोह आयोजित करने की आवश्यकता है. कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में राष्ट्रीय पुस्तकालय के महानिदेशक प्रोफेसर अजय प्रताप सिंह ने कहा कि बांग्ला केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि यह एक पहचान, दर्शन और सांस्कृतिक विरासत भी है. हमें इस भाषा की विरासत को संरक्षित करने तथा संवर्धन करने की जरूरत है. कार्यक्रम के अन्य विशिष्ट अतिथियों में साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष प्रोफेसर कुमुद शर्मा, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ मंजुश्री सरदेशपांडे ने भी भाषा के संरक्षण और विकास के साथ अस्मिता के जुड़ाव की बात कहीं. सारे वक्ताओं ने मातृभाषा में शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया. दो दिवसीय कार्यक्रम में पूरे राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों व प्रोफेसरों की उपस्थिति थी. जिसमें विभिन्न शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र भी सम्मिलित किए. कार्यक्रम के आयोजन में प्रोफेसर राजेश साहा, राष्ट्रीय पुस्तकालय के डॉ पार्थ सारथी दास की मुख्य भूमिका रही.

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