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नये साल में राज्य में पहली से पांचवीं कक्षा तक की शिक्षा में होगा बड़ा बदलाव

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शिक्षाविदों के अनुसार, इस स्थिति में, किसी भी छात्र पर वर्ष के अंत में पूरे पाठ्यक्रम का बोझ नहीं होता है. साथ ही पाठ्यक्रम का हर भाग अच्छी तरह से अध्ययन कराया जाता है.

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अमरशक्ति, कोलकाता

नये वर्ष के आगाज के साथ ही राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव होने जा रहा है. प्राथमिक स्तर से ‘क्रेडिट बेस्ड सेमेस्टर सिस्टम’ चालू होना है. हाल में राज्य के प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने नयी व्यवस्था शुरू करने की घोषणा की है. लेकिन नया सिस्टम कैसे लागू होगा, इस पर अब भी असमंजस की स्थिति है. नया सिस्टम पहले की शिक्षा व्यवस्था से बिल्कुल अलग है. मुख्य रूप से प्राथमिक स्तर पर केंद्रीय शिक्षा नीति के तहत बड़ा बदलाव किया जा रहा है. यह परिवर्तन वर्ष 2025 से शुरू होने वाले शैक्षणिक वर्ष में प्रभावी होगा. क्या है ‘सेमेस्टर सिस्टम’: इस प्रणाली में पूरे पाठ्यक्रम को दो भागों में बांट कर वर्ष में दो बार परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं. शिक्षाविदों के अनुसार, इस स्थिति में, किसी भी छात्र पर वर्ष के अंत में पूरे पाठ्यक्रम का बोझ नहीं होता है. साथ ही पाठ्यक्रम का हर भाग अच्छी तरह से अध्ययन कराया जाता है. प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने घोषणा की है कि अब से प्राइमरी यानी पहली से पांचवीं कक्षा तक सेमेस्टर प्रणाली में परीक्षा आयोजित की जायेगी.

जनवरी से जून तक पढ़ाई के बाद पहला सेमेस्टर जून में होगा. दूसरा सेमेस्टर जुलाई से दिसंबर तक पूरा होगा.

खास बात यह है कि सेमेस्टर के अलावा इस सिस्टम में सबसे नयी चीज है क्रेडिट स्कोर. यह स्कोर विद्यार्थियों के जीवन के लिए उपयोगी होगा. प्रत्येक कक्षा के लिए 100 अंक आवंटित किये जायेंगे. पहला सेमेस्टर 40 अंकों का होगा, जिसमें कक्षा के अंदर और बाहर छात्रों की गतिविधियों पर जोर दिया जायेगा. दूसरा सेमेस्टर 60 अंकों का होगा. इन 60 अंकों में से 15 अंक एमसीक्यू, 20 एसएक्यू व 25 अंक के बड़े प्रश्न पूछे जायेंगे. प्राइमरी में कुल पांच विषय पढ़ाये जाते हैं. इनमें तीन भाषाएं (हिंदी, बांग्ला और अंग्रेजी), गणित, पर्यावरण, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा शामिल हैं.

क्यों शुरू हो रही है नयी व्यवस्था: केंद्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इस व्यवस्था का उल्लेख किया गया है. हालांकि, राज्य सरकार ने प्राथमिक स्तर के शिक्षा प्रणाली में यह व्यवस्था लागू कर दी है. दरअसल, केंद्रीय शिक्षा नीति में हमेशा पाठ्येतर पढ़ाई पर जोर दिया गया है. कक्षा एक से पांच तक में पास-फेल की व्यवस्था पहले भी नहीं थी, अब भी नहीं है. बोर्ड के मुताबिक, इस नयी व्यवस्था से छात्रों की पढ़ाई में सुधार होगा. माना जाता है कि सिलेबस के बाहर पढ़ाई करने से छात्रों का ज्ञान बढ़ता है. गौरतलब है कि यह सेमेस्टर प्रणाली अब छठी से नौवीं कक्षा तक लागू की जा सकती है. राज्य सरकार ने इस पर भी मंथन शुरू कर दिया है.

सिस्टम को लागू करने में कहां हो सकती है समस्या

सबसे बड़ी समस्या है, प्राथमिक विद्यालयों की वर्तमान स्थिति, जहां पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं. इसके अलावा विद्यालय के बिल्डिंगों की हालत खराब है. साथ ही प्रत्येक प्राथमिक स्कूल में कंप्यूटर भी नहीं हैं. ऐसे में क्रेडिट स्कोर का आवंटन कैसे होगा, छात्रों के क्रेडिट स्कोर का मूल्यांकन कैसे होगा, यह गंभीर सवाल है. क्या कहना है शिक्षक संगठनों का: इस संबंध में हुगली जिले के प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष मानस रंजन भंज ने कहा कि स्कूलों को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती और न ही यहां पर्याप्त शिक्षक हैं. उन्होंने कहा कि स्कूलों को बिजली बिल का भुगतान अपने पैसे से करना होता है. प्रधानाध्यापकों को पहले जो ग्रांट मिलता था, अब वह बंद हो गया है. यहां तक कि स्कूलों में चॉक-डस्टर खरीदने के भी पैसे नहीं आते. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि वे पश्चिम देशों की नकल कर ऐसी प्रणाली शुरू करने के बारे में कैसे सोच रहे हैं. इससे छात्रों को कोई खास लाभ नहीं होगा. वहीं, इस संबंध में बंगीय शिक्षक व शिक्षाकर्मी समिति के महासचिव स्वपन मंडल ने कहा कि राज्य सरकार की इस पहल से बंगाल की शिक्षा व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. राज्य सरकार की शिक्षा नीति ने पूरी शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि वाममोर्चा सरकार के कार्यकाल के दौरान राज्य में 67 हजार प्राथमिक स्कूल थे, जो अब घट कर मात्र 49 हजार ही रह गये हैं.

मायने रखेगा क्रेडिट स्कोर

आंध्र प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां शिक्षा प्रणाली में यह क्रेडिट स्कोर देने की प्रथा लागू है. एक छात्र का क्रेडिट स्कोर इस बात पर निर्भर करेगा कि वह कक्षा में ध्यान से अध्ययन कर रहा है या नहीं. पूरे वर्ष में किस विषय पर, कितने घंटे की पढ़ाई छात्र ने की है, ये घंटे संख्या के आधार पर निर्धारित किये जायेंगे और वह स्कोर विद्यार्थी के पास जीवन भर रहेगा. प्रत्येक छात्र के लिए एक अद्वितीय नंबर और अलग प्रोफाइल तैयार की जायेगी. हर किसी का क्रेडिट स्कोर अलग होगा. छात्र के प्रोफाइल में संग्रहित किया जायेगा.

पढ़ाई के घंटे

प्रथम व द्वितीय श्रेणी के छात्रों के लिए कुल 800 घंटे की क्लास करना अनिवार्य है. उन 800 घंटों के लिए 27 क्रेडिट स्कोर तय किये गये हैं. यानी अगर आप 800 घंटे तक मन लगाकर पढ़ते हैं, होमवर्क करते हैं, टीचर के सवालों के सही जवाब देते हैं, तो आपको क्रेडिट स्कोर के तौर पर 27 अंक तक मिलेंगे. तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के लिए 1000 घंटे की कक्षाएं अनिवार्य है, जिसके लिए क्रेडिट स्कोर 33 निर्धारित है. हालांकि, इस पूरे सिस्टम में पहले की तरह पास-फेल सिस्टम नहीं है. यानी पहली से पांचवीं कक्षा तक सभी पास होंगे.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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