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बेनतीजा रही सीएलसी की मीटिंग, मिनट्स की कॉपी पर सेल प्रबंधन का साइन नहीं

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भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड(सेल) में यूनियन और प्रबंधन के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर मंगलवार केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त (सीएलसी) कार्यालय दिल्ली में हुई बैठक बेनतीजा रही.

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आसनसोल.

भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड(सेल) में यूनियन और प्रबंधन के बीच चल रहे गतिरोध को लेकर मंगलवार केंद्रीय मुख्य श्रमायुक्त (सीएलसी) कार्यालय दिल्ली में हुई बैठक बेनतीजा रही. किसी भी मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ. सीएलसी कार्यालय के क्षेत्रीय श्रमायुक्त-सह-कंसीलियेशन अधिकारी ने लंबी चर्चा के बाद कहा कि दिसंबर 2024 के मध्य तक उप समिति की बैठक की जाए और उसके बाद गतिरोध दूर करने के मामले में ठोस निर्णय लेने के लिए 15 जनवरी 2025 या उससे पहले नेशनल जॉइंट कमिटी फॉर सेल (एनजेसीएस) की बैठक बुलाने की सलाह दी. जिसपर यूनियन और प्रबंधन दोनों पक्षों ने अपनी सहमति जतायी. कंसीलियेशन अधिकारी ने दोनों पक्षों को औद्योगिक शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 33(1)(ए) के प्रावधानों का अक्षरशः पालन करने का सलाह दी. चर्चा की अगली तारीख समय पर बताने को कहा गया. प्रबंधन ने इस बैठक की मिनिट्स पर हस्ताक्षर नहीं किया. इसके अलावा बैठक में उपस्थित पांच यूनियनों इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस और बीएमएस में से सीटू के प्रतिनिधि ने भी इस मिनट्स पर हस्ताक्षर नहीं किया. जिससे यूनियनों के बीच का आपसी विवाद भी खुलकर सामने आ गया. इंटक नेता सह एनजेसीएस के सदस्य हरजीत सिंह ने बताया कि समझौता के बावजूद प्रबंधन ने कर्मचारियों को एक जनवरी 2017 से 31 मार्च 2020 तक के एरियर का भुगतान नहीं करने, यूनियनों के साथ बैठक में किसी निर्णय के बगैर ही अपने हिसाब से बोनस की राशि कर्मचारियों के खाता में डालने, हाउस रेंट अलाउंस, ग्रेच्यूइटी की राशि 20 लाख रुपये सीलिंग करने, सर्वोच्च न्यायालय के गाइडलाइंस के अनुसार परमानेंट नेचर के कार्य में ठेका श्रमिकों को नियुक्त नहीं करने, ठेका श्रमिकों को नाइट शिफ्ट अलाउंस पहले की तरह भुगतान करने, ठेका श्रमिकों को राज्य सरकार के बजाय केंद्र सरकार के वेज के हिसाब से वेतन का भुगतान करने, जिससे हर श्रमिक को प्रतिमाह औसत चार हजार रुपये अधिक मिलेगा. इन मुद्दों पर प्रबंधन के साथ गतिरोध चल रहा है. जिसे लेकर यूनियनों ने संयुक्तरूप से हड़ताल की थी. प्रबंधन अपने फैसले पर अड़ा हुआ है. यदि ऐसा ही रहा तो गतिरोध बना रहेगा जो सभी के लिए नुकसानदेह होगा. उन्होने कहा कि मिनट्स पर सीटू नेता का हस्ताक्षर नहीं करना दुःखद है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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