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इसीएल प्रबंधन पर आदिवासियों की जिंदगी से खेलने का आरोप

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गुरुवार को इसीएल के केंदा क्षेत्र के अधीन न्यू केंदा सालडांगा आदिवासी पाड़ा से दिशोम आदिवासी गांवता के बैनर तले सैकड़ों आदिवासियों ने रैली निकाल कर हटाये जाने से पहले अपने लिए पुनर्वास की मांग की. न्यू केंदा पैच ओसीपी में ब्लास्टिंग से घरों को हो रही क्षति के खिलाफ आवाज उठायी गयी.

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अंडाल.

गुरुवार को इसीएल के केंदा क्षेत्र के अधीन न्यू केंदा सालडांगा आदिवासी पाड़ा से दिशोम आदिवासी गांवता के बैनर तले सैकड़ों आदिवासियों ने रैली निकाल कर हटाये जाने से पहले अपने लिए पुनर्वास की मांग की. न्यू केंदा पैच ओसीपी में ब्लास्टिंग से घरों को हो रही क्षति के खिलाफ आवाज उठायी गयी. दिशोम आदिवासी गांवता के राज्य अध्यक्ष रोबिन सोरेन ने जोर देते हुए कहा कि जल, जंगल व जमीन पर आदिवासियों का पूरा हक है. पुनर्वास की व्यवस्था किये बगैर आदिवासियों को उनकी जगह से विस्थापित नहीं किया जा सकता.

विरोध रैली न्यू केंदा एजेंट ऑफिस के पास पहुंच कर प्रतिवाद सभा में बदल गयी. सभा के मंच से रोबिन सोरेन ने ब्लास्टिंग व अन्य मसलों को लेकर इसीएल प्रबंधन पर हमला बोला. बाद में दिशोम आदिवासी गांवता की ओर से अपनी मांगों पर एक ज्ञापन न्यू केंदा एजेंट ऑफिस में इसीएल के अधिकारी को सौंपा गया. इससे पहले रोबिन सोरेन ने कहा कि इसीएल प्रबंधन सालडांगा में रहनेवालों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है, कोयला उत्पादन के चक्कर में इसीएल प्रबंधन अवैज्ञानिक ढंग से ब्लास्टिंग करा रहा है, जिससे लोगों के घर दरक रहे हैं. कहा कि इसीएल प्रबंधन कोयला उत्पादन करे, पर स्थानीय सालडांगा क्षेत्र में रहनेवालों को पहले सुरक्षित स्थान पर बसाये. ऐसा नहीं करने पर दिशोम आदिवासी गांवता की ओर से बड़ा आंदोलन किया जायेगा, सालडांगा आदिवासी पाड़ा निवासी मिथुन बाउरी ने कहा कि इसीएल प्रबंधन पिछले 50 वर्षों से कंपनी का जमीन होने का दावा कर जमीन काट कर कोयला उत्पादन कर रही है, जबकि सालडांगा क्षेत्र के लोग 150 सालों से इस जमीन पर रह रहे हैं. इसलिए इसीएल प्रबंधन से पहले स्थानीय लोगों का इस भूमि पर मालिकाना हक बनता है, आदिवासियों का जल, जंगल व जमीन पर पूरा अधिकार है.

मांग है कि इसीएल प्रबंधन, सालडांगा में रहनेवाले आदिवासियों का आरआर पॉलिसी के तहत पुनर्वास करे और उचित मुआवजा भी दे. विरोध सभा में आदिवासियों ने तय किया कि सालडांगा क्षेत्र में रहनेवालों को पुनर्वास नहीं दिया गया, तो बड़ा आंदोलन किया जायेगा. सभा में दिशोम आदिवासी गांवता के पश्चिम बर्दवान जिलाध्यक्ष दिलीप सोरेन, राज्य पर्यवेक्षक बबून मांडी, परिमल हेम्ब्रम, राजेश टुडू, जलधार हेम्ब्रम, मिथुन बाउरी, संजय सोरेन, होली बाउरी, अशोक बाउरी, गुड्डू बर्नवाल आदि मौजूद रहे. न्यू केंदा ऑफिस के एजेंट प्रदीप विश्वास ने बताया कि आदिवासियों की मांगों पर चर्चा के लिए उच्चाधिकारियों ने आगामी 30 जनवरी तक का समय मांगा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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