कोलकाता.
देश के 24 राज्यों में 25 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के आरोप में लालबाजार के साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने साइबर फ्रॉड गिरोह के शातिर को गिरफ्तार किया है. उसका असली नाम डेन्जो लालेंग जौवा काइपेंग है.कोलकाता निवासी से 21 लाख की रंगदारी वसूलने के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया है. वह इस महीने की शुरुआत से ही ओडिशा की भुवनेश्वर जेल में बंद है. भुवनेश्वर कोर्ट की अनुमति से डेन्जो से लालबाजार साइबर पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने भुवनेश्वर जेल में पूछताछ की. इसके बाद वे उसे कोलकाता में दर्ज साइबर मामले में यहां ले आये. रविवार को उसे बैंकशाल कोर्ट में पेश करने पर 26 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेजने का निर्देश दिया गया है. पुलिस के मुताबिक, डेन्जो के गिरोह ने विभिन्न तरीके से साइबर धोखाधड़ी की. कुछ महीने पहले उन्होंने वाट्सएप पर निवेश करने पर मोटी रकम मिलने का प्रलोभन कुछ लोगों को दिया था. इसके बाद टेलीग्राम ऐप में ग्रुप खोलकर निवेश करने के लिए कहा.शिकायतकर्ता से 21 लाख रुपये निवेश के नाम पर लेने के बाद पीड़ित से संपर्क करना बंद कर दिया गया. इस मामले में लालबाजार साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करायी गयी. बैंक खाते के आधार पर जांच करने पर साइबर विभाग की टीम को पता चला कि साइबर ठगी में डेन्जो गिरोह शामिल है. इसके बाद लालबाजार के साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने भुवनेश्वर जेल में उससे पूछताछ करके इस बात की पुष्टि की. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ओडिशा पुलिस ने डेन्जो और उसके चार साथियों त्रिपुरा से जितेन काइपेंग, आंध्र प्रदेश से शेख तेजुद्दीन और माचुमारी और असम से जेम्स को गिरफ्तार किया था.
इनके पास से 20 मोबाइल फोन, 30 सिम कार्ड, कई पासपोर्ट बरामद किये गये हैं. तब पुलिस को पता चला कि डेन्जो ही इस साइबर फ्रॉड गिरोह का मास्टरमाइंड है.”बॉस ऑफ त्रिपुरा” नाम से ऐसे हुआ विख्यात
विदेश में चीनी ठगों के कहने पर डेन्जो ने पैसे को क्रिप्टोकरेंसी में बदल कर चीनी ठगों तक पहुंचाए थे. इसलिए उसे ”बॉस ऑफ त्रिपुरा” के नाम से जाना जाता है. पुलिस ने कहा कि वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि इस गिरोह ने कोलकाता में अबतक कितने लोगों को ठगा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है