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कांकसा जंगलमहल में दलों का चुनाव प्रचार बेजुबान दरख्तों पर भारी

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आम चुनाव के चौथे दौर में बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट पर भी 13 मई को वोटिंग हो गयी, लेकिन राजनीति दलों की ओर से कांकसा के जंगलमहल इलाके में सड़क किनारे पेड़ों पर कीलें ठोक-ठोक कर लगाये गये झंडे, बैनर व पोस्टर अब तक नहीं हटाये गये हैं. पर्यावरण को हरा-भरा रखनेवाले दरख्तों पर राजनीतिक दलों का यह चुनाव प्रचार भारी पड़ा है. सैकडो़ं पेड़ आज तक बेशुमार कीलों के दर्द से मानो कराह रहे हैं.

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पानागढ़.

आम चुनाव के चौथे दौर में बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा सीट पर भी 13 मई को वोटिंग हो गयी, लेकिन राजनीति दलों की ओर से कांकसा के जंगलमहल इलाके में सड़क किनारे पेड़ों पर कीलें ठोक-ठोक कर लगाये गये झंडे, बैनर व पोस्टर अब तक नहीं हटाये गये हैं. पर्यावरण को हरा-भरा रखनेवाले दरख्तों पर राजनीतिक दलों का यह चुनाव प्रचार भारी पड़ा है. सैकडो़ं पेड़ आज तक बेशुमार कीलों के दर्द से मानो कराह रहे हैं. लेकिन उनसे किसी को हमदर्दी नहीं है. इस बीच, वन विभाग की ओर से ऐसे पेड़ों से झंडे व बैनरों को हटाया जा रहा है. मामले को लेकर भले ही जिला प्रशासन मौन है, पर वन विभाग इस दिशा में उपयुक्त कदम उठाने जा रहा है. स्थानीय ग्रामीणों व पर्यावरण संरक्षण के लोगों का कहना है कि समाज के लिए लोगों की लड़ाई लड़ते-लड़ते राजनीति दलों की लड़ाई पर्यावरण के खिलाफ चली जा रही है. तृणमूल, भाजपा व माकपा के झंडों को लगाने के लिए पेड़ों में कीलें ठोक दी गयीं और वोटिंग के बाद भी दलों के झंडे व बैनर आज तक लटके पड़े हैं. ऐसी राजनीति का खामियाजा बेजुबान पेड़ों को चुकाना पड़ रहा है. गत 13 मई को बर्दवान-दुर्गापुर सीट के लिए वोटिंग हो गयी है. इससे पहले तीनों राजनीतिक दल मैदान छोड़ने से कतरा रहे थे. हालांकि प्रत्याशी तो नजर नहीं आये, पर कांकसा के जंगलमहल के कोने-कोने में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस, भाजपा व माकपा-कांग्रेस के झंडे-बैनर देखे गये. तृणमूल, भाजपा और माकपा के झंडे व बैनरों से पेड़ बोझिल बने हुए हैं. आम चुनाव के लिए मतदान हो गया है और अब राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को नतीजों का इंतज़ार है. ऐसे में पेड़ों पर राजनीतिक झंडे लगे होने पर भी कोई देखनेवाला नहीं है. इस बाबत कांकसा के पर्यावरणविद् प्रकाश दास ने कहा कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हो रहा है. जनता के लिए राजनीतिक दलों की आपसी लड़ाई भटक कर पर्यावरण के खिलाफ चली गयी है. ऐसे अगर दिन-ब-दिन पेड़ों पर कीलें ठोंकी जायेंगी, तो जंगलों का नाश हो जायेगा. राजनीतिक दलों को जागरूक होना चाहिए. इन मामलों को लेकर पर्यावरणविद् हर मोहल्ले में लोगों को जागरूक कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने राजनीतिक दलों को भी पर्यावरण नियम मानने का संदेश दिया. मामले को लेकर पानागढ़ बीट अधिकारी असीम कुमार बाउरी ने कहा, पेड़ पर कील ठोक कर झंडा व बैनर लगाने का यह पूरी तरह से अनैतिक कार्य है. जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उन्हें भी पता है कि इससे कितनी क्षति होती है. उसके बाद भी ऐसा काम किया जा रहा है. वन विभाग की ओर से इस बाबत लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इस बीच, वन विभाग के कर्मचारी पेड़ों से कीलें हटाने में लग गये हैं. वन अधिकारी ने कहा कि भविष्य में ऐसी हरकतों को लेकर सख्ती बरती जायेगी. इस संबंध में किसी भी राजनीतिक दल के नेता ने कोई टिप्पणी नहीं की है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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