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सीएम खेत सुरक्षा योजना: सोलर फेंसिंग का झटका फसलों को बचाने का करेगा काम, सरकार देगी 1.43 लाख, जानें खासियत

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यूपी में मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना किसानों की फसलों को लेकर सबसे बड़ी समस्या खत्म करने में कारगर साबित हो सकती है. इस योजना के जरिए योगी सरकार पशुओं से फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने जा रही है. इसके लिए बजट की राशि को भी बढ़ा दिया गया है. साथ ही योजना को पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.

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Lucknow News: यूपी में छुट्टा पशु किसानों के​ लिए बड़ी समस्या है. इनकी वजह से किसानों की फसलें आए दिन बर्बाद हो जाती हैं. ऐसे में कई किसान कंटीले तार लगाकर अपने खेतों की सुरक्षा करते थे. लेकिन, पशुओं के जख्मी होने के कारण सरकार ने इस पर पाबंदी लगा दी. वहीं अब किसानों की फसल और पशुओं दोनों की सुरक्षा के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ सरकार ने अहम निर्णय किया है.

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मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना पूरे प्रदेश में होगी लागू

प्रदेश सरकार ‘मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना’ के जरिए किसानों को राहत प्रदान करेगी. योजना की उपयोगिता के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ सरकार ने अब इसे सिर्फ बुंदेलखंड में नहीं, पूरे प्रदेश में एक साथ लागू करने का निर्णय किया है. इसीलिए योजना के संबंध में प्रस्तावित बजट 75 करोड़ से बढ़ाकर 350 करोड़ रुपए कर दिया गया है.

क्या है योजना की खासियत

मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना किसान के खेत की फसल को पशुओं से बचाने के लिए सोलर फेंसिंग की योजना है. इसके तहत लगाई जाने वाली सोलर फेंसिंग की बाड़ में मात्र 12 बोल्ट का करंट प्रवाहित होगा. इससे सिर्फ पशुओं को झटका लगेगा और उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.

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खास बात है कि हल्के करंट के साथ सायरन की आवाज भी होगी. इससे छुट्टा या जंगली जानवर जैसे नीलगाय, बंदर, सुअर आदि खेत में खड़ी फसल को क्षति नहीं पहुंचा सकेंगे. इसके लिए सरकार लघु-सीमांत किसानों को प्रति हेक्टेयर लागत 60 फीसद या 1.43 लाख रुपए का अनुदान भी देगी. यूपी का कृषि विभाग इस योजना का ड्राफ्ट तैयार कर चुका है. जल्द ही इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा. वहां से मंजूरी मिलने के बाद अब इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा.

गोचर भूमि को कब्जा मुक्त करने के लिए चल रहा अभियान

पशु खेत में खड़ी फसल का नुकसान तब अधिक करते हैं, जब उनको पास में कुछ खाने को नहीं मिलता. गोचर भूमि इसके लिए जरूरी है. गोचर भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग 11 जुलाई से अभियान चल रहा है. यह अभियान 25 अगस्त तक चलेगा.

उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या में इजाफा

दूसरी पशुधन जनगणना-2019 अखिल भारतीय रिपोर्ट’ के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या में इजाफा हुआ है. एक तरफ पूरे देश में 2012 से 2019 तक देश में आवारा पशुओं की कुल संख्या में 3.2 प्रतिशत की कमी आई है, वहीं इस दौरान उत्तर प्रदेश में इनकी आबादी में 17.34 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई. 2019 के पशुगणना के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 11.8 लाख से ज्यादा आवारा मवेशी थे. वर्तमान में ये संख्या कहीं ज्यादा पहुंच चुकी है.

किसानों को करनी पड़ती है पहरेदारी

इनकी वजह से किसानों को कड़ाके की सर्दी में भी खेतों की पहरेदारी करनी पड़ती है. इसके बावजूद उनका नुकसान कम नहीं होता है. अवारा पशुओं के झुंड के आगे उनका बस नहीं चलता. ऐसे में किसानों ने कंटीले तारों से खेतों की घेराबंदी की, जिससे फसलों को पशुओं के हमले से बचाया जा सके. हालांकि सरकार ने इस पर रोक लगा दी.

कंटीले तार के इस्तेमाल पर लग चुकी है पहले ही रोक

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में एक आदेश पारित किया. इसके तहत खेतों की बाड़ लगाने के लिए कांटेदार या ब्लेड के तार का इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की बात कही गई. कंटीले तारों की जगह आदेश में कहा गया है कि किसान अपने खेत को सुरक्षित करने के लिए सादे तार या रस्सी का इस्तेमाल करें. यह फैसला गो सेवा आयोग की एक बैठक के बाद लिया गया था. जहां यह चर्चा की गई थी कि कांटेदार तार की बाड़ जानवरों को घायल कर रही है.

अतिरिक्त मुख्य सचिव (पशुपालन) ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा, जिसमें उनसे यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसान अपने खेतों में बाड़ लगाने के लिए कांटेदार तारों का उपयोग नहीं करें. इसके बजाय उन्हें इस उद्देश्य के लिए रस्सियों या साधारण तारों का उपयोग करने की सलाह दी गई.

आदेश में कहा गया कि मवेशियों की सुरक्षा के मद्देनजर किसानों द्वारा कांटेदार तारों के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है. इन्हें एक ऐसी प्रणाली से बदला जाना चाहिए जो जानवरों को नुकसान न पहुंचाए. जिलाधिकारियों को आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.

भाजपा सांसद मेनका गांधी ने भी इस संबंध में एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कहा कि लगभग तीन लाख आवारा मवेशी अभी भी खुले में घूम रहे हैं और सरकार मार्च 2023 तक उन्हें पशु आश्रयों में लाने के लिए समानांतर अभियान चला रही है. इन शेल्टरों में पहले से ही करीब आठ लाख आवारा मवेशी हैं.

छुट्टा पशुओं के समाधान को पहले से कई योजनाएं संचालित

दरअसल आवारा पशुओं की बढ़ती समस्या के समाधान के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने कई योजनाएं और परियोजनाएं शुरू की हैं. इनमें गोशालाओं की स्थापना, आवारा गायों को गोद लेना, कर लगाना, कुपोषित परिवारों को आवारा गाय देना, गो संरक्षण केंद्र सहित अन्य योजनाएं शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग के के अनुसार, राज्य में 545 से ज्यादा पंजीकृत गौशालाएं हैं.

इन गोशालाओं के अलावा राज्य में आवारा पशुओं के लिए पांच हजार से ज्यादा संरक्षण केंद्र भी बनाए गए. गोशाला काफी बड़े क्षेत्र में बनी एक स्थायी इमारत होती है, जबकि गो संरक्षण केंद्र बंजर जमीन पर बना एक अस्थायी मवेशी शेड होता है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री निराश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ भी शुरू की. इस येाजना के जरिए गाय पालने के लिए पर लोगों को 900 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है. एक आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 56 से ज्यादा लोगों ने एक लाख से ज्यादा गायों को गोद लिया है.

इन तमाम कवायद के बावजूद छुट्टा पशु बड़ी समस्या बने हुए हैं. ऐसे में सरकार ने मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना के जरिए किसानों को राहत देने का निर्णय किया है, जिससे उनकी फसलों की सुरक्षा हो सके.

चुनाव में विपक्ष बनाता रहा है मुद्दा

दरअसल छुट्टा पशुओं की यह समस्या कमोबेश पूरे प्रदेश में एक जैसी है. इसकी वजह से किसानों को जहां काफी नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं विरोधी दल भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटे रहते हैं. इसके ​अलावा जनप्रतिनिधियों को भी स्थानीय स्तर पर आम जनता के बीच जाने पर इस मुद्दे पर जवाब देना पड़ता है. चुनाव के दौरान भी छुट्टा पशुओं की समस्या किसानों के बीच बड़ा मुद्दा रहती है. माना जा रहा है कि इन तमाम बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने का मन बनाया है.

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