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यूपी निकाय चुनाव: आयोग ने रिपोर्ट में आरक्षण पर उठाए कई सवाल, ओबीसी के खाते में जा सकती हैं ‘मेयर’ की कई सीटें

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यूपी निकाय चुनाव: प्रदेश में अप्रैल के अंत तक निकाय चुनाव हो सकते हैं. इस बीच कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई खामियों को जाहिर किया है. इस लिहाज से आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण में बड़ा उलट-फेर तय माना जा रहा है.

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Lucknow: प्रदेश में नगर निकाय चुनाव को लेकर सियासी तपिश एक बार फिर तेज हो गई है. निकाय चुनाव में पिछड़ों का आरक्षण तय करने के लिए गठित आयोग के अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद अब योगी सरकार इसे उच्चतम न्यायालय में पेश करेगी. संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल के अंत तक निकाय चुनाव हो सकते हैं. इसमें पिछड़े वर्ग को पूरा 27 फीसदी आरक्षण मिलेगा.

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आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई खामियों को किया जाहिर

इस बीच कहा जा रहा है कि नगर निकाय चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कई खामियों को जाहिर किया है. आयोग ने आरक्षण प्रक्रिया को पुख्ता बनाने के लिए मौजूदा कानून में बदलाव के साथ कई अहम सिफारिश की हैं. 350 पेज की रिपोर्ट में ऐसी कई सीटों का जिक्र है, जहां 30 साल से आरक्षण बदला ही नहीं गया. इसके साथ ही इन तथ्यों को रिपोर्ट में रखा गया है कि कैसे इन सीटों को एक ही जाति या श्रेणी के लिए आरक्षित किया जाता रहा. इन पर ध्यान आकर्षित करते हुए सवाल उठाए गए हैं.

आरक्षण ठीक तरह से लागू नहीं होने के कारण उम्मीदवारी पर पड़ा असर

आयोग ने ये भी कहा है कि मौजूदा चुनाव के लिए कराए गए रैपिड सर्वे और चक्रानुक्रम आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. ये बिंदु इसिलए भी बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि रिपोर्ट में सबसे अधिक जोर चक्रानुक्रम आरक्षण प्रक्रिया के पालन पर दिया गया है. इसके अभाव में आरक्षण से संबंधित लोग प्रभावित हुए हैं. खास बात है कि सर्वे के दौरान जनपदों में यह भी देखने को मिला है कि कई ऐसी जातियां हैं, जिनकी आबादी अधिक होने के बाद भी उस जाति को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है.

कई सीटें जा सकती हैं ओबीसी वर्ग के खाते में

इस लिहाज से आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण में बड़ा उलट-फेर तय माना जा रहा है. इसमें मेयर से लेकर अध्यक्ष पद की सीटों पर बदलाव देखने को मिल सकता है. बदले समीकरण में कई सीटें ओबीसी आरक्षित होना तय माना जा रहा है. ऐसे में इन सीटों पर अपनी दावेदारी कर रहे सामान्य जाति के उम्मीदवारों को निराशा हाथ लग सकती है.

मतदाता सूची में नाम जोड़ने-संशोधन का मौका

इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को लेकर वोटर्स लिस्ट में मतदाताओं के नामों को जोड़ने तथा संशोधन करने का मौका दिया है. इसके तहत 11 से लेकर 17 मार्च तक हफ्ते भर में मतदाता लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए आवेदन किए जा सकते हैं. आयोग की वेबसाइट www.sec.up.nic.in पर जाकर यह आवेदन किया जा सकता है. वहीं बूथों पर भी आवेदन फॉर्म उपलब्ध हैं. आपत्ति लेने, उसके निस्तारण के बाद अंतिम मतदाता सूची 1 अप्रैल को आम जनता के लिए प्रकाशित की जाएगी. इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त ने निर्देश जारी कर दिए हैं.

आपत्तियां भी की जाएंगी स्वीकार

ड्राफ्ट निर्वाचक नामावली का प्रकाशन होने के बाद 11 मार्च से लेकर 17 मार्च तक ड्राफ्ट के रूप में प्रकाशित निर्वाचक नामावली का निरीक्षण किया जाएगा. इस दौरान नए नामों की एंट्री के लिए आवेदन भी लिए जाएंगे. साथ ही नामावली को लेकर आपत्तियां भी स्वीकार की जाएंगी. आपत्तियों और दावों के निस्तारण के लिए 18 मार्च से लेकर 22 मार्च तक का समय रखा गया है.

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एक अप्रैल को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन

राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक 23 मार्च से लेकर 31 मार्च तक दावे और आपत्तियों के निस्तारण के बाद पूरक सूचियों की पांडुलिपियां तैयार की जाएंगी और उन्हें पूरक सूची-1 में समाहित किया जाएगा. जनसामान्य के लिए अंतिम रूप से तैयार वोटर्स लिस्ट का प्रकाशन 1 अप्रैल को किया जाएगा. चुनाव आयुक्त के निर्देश के मुताबित, 11 से 17 मार्च तक अगर किसी मतदाता का नाम किसी गलत वार्ड में दर्ज हो गया है तो उसे दुरुस्त करा सकता है.

एक जनवरी को 18 वर्ष पूरी करने वाले युवा कर सकते हैं आवेदन

एक जनवरी 2023 तक 18 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले युवा भी आवेदन कर सकते हैं. 18 से 22 मार्च तक दावे व आपत्तियाें का निपटारा होगा. 23 से 31 मार्च के बीच पूरक सूची में नए मतदाताओं का नाम शामिल किया जाएगा. एक अप्रैल को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होगा.

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