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UP News : निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस इस साल भी नहीं बढ़ेगी, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जारी किया ये आदेश

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सरकार ने यह मेहरबानी दूसरी बार दिखाई है. यानि यह दूसरा वर्ष होगा जब निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में फीस वृद्धि नहीं की गई है.सरकार यदि यह कदम न उठाती तो कई परिवारों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन जाती.

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लखनऊ. प्राइवेट मेडिकल व डेंटल कॉलेज में दाखिला लेने वाले छात्र-छात्राओं के लिए बड़ी राहत भरी खबर है. इस बार छात्र-छात्राओं को बढ़ी हुई फीस नहीं चुकानी होगी. गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निजी कॉलेजों में स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों के फीस संबंधी दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं. सरकार ने यह मेहरबानी दूसरी बार दिखाई है. यानि यह दूसरा वर्ष होगा जब निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में फीस वृद्धि नहीं की गई है.निजी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस और पीजी के क्लीनिकल कोर्स की ट्यूशन फीस बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इस निर्णय के अनुसार, छात्रों को अधिकतम फीस देनी थी. सरकार यदि यह कदम न उठाती तो कई परिवारों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन जाती. सरकार ने अभिभावकों को इस साल इस चिंता से मुक्त कर दिया है.

एमबीबीएस की ट्यूशन फीस अब 10.77 लाख से 13.73 लाख

एमबीबीएस के लिए ट्यूशन फीस अब 10.77 लाख रुपए से शुरू होकर 13.73 लाख रुपए तक हो गई है. साथ ही, छात्रावास शुल्क और विविध शुल्क के रूप में भी अन्य खर्च जुटाने होंगे. छात्रावास शुल्क देने के लिए हर साल डेढ़ लाख रुपए लगेंगे. इसके अलावा, विभिन्न सेवाओं के लिए 85600 रुपए विविध शुल्क भी देना होगा. छात्रों को दाखिले के समय एक बार तीन लाख रुपए की धरोहर राशि जमा करानी होगी. पीजी के क्लीनिकल कोर्स के छात्रों के लिए भी फीस में वृद्धि की गई है. ट्यूशन फीस 14.43 लाख रुपए से शुरू होकर 25.09 लाख रुपए तक हो गई है. इसमें भी छात्रावास शुल्क और विविध शुल्क जुटाए जाएंगे. छात्रावास शुल्क देने के लिए सालाना 1.75 लाख रुपए से 3 लाख रुपए तक का खर्च होगा. विविध शुल्क के रूप में छात्रों को 1.28 लाख रुपए भी देने होंगे. दाखिले के समय छात्रों को तीन लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि भी जमा करानी होगी.

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बढ़ी फीस का निर्णय छात्रों और उनके परिवारों के लिए चिंता का विषय

बढ़ी फीस का निर्णय छात्रों और उनके परिवारों के लिए चिंता का विषय बन गया है. कई छात्र ऐसे हैं जो इन मेडिकल कालेजों में एडमिशन लेना चाहते हैं लेकिन इतनी बड़ी फीस के कारण अपने सपनों को पूरा करने से पीछे हटने का सामना कर रहे हैं. सरकार से भी यह अपेक्षा है कि वह इस मुद्दे पर ध्यान दें और छात्रों को सहायता प्रदान करें ताकि उनके शिक्षा के सपने पूरे हो सकें. इससे पहले भी निजी शिक्षण संस्थानों में फीस वृद्धि के मुद्दे को लेकर विवाद उठा हुआ था, लेकिन इस नए फैसले के साथ, छात्रों को और भी ज्यादा विचार करके अपना भविष्य स्थायी बनाने की ज़रूरत है। उन्हें सही और सकारात्मक दिशा में जाकर अपने उच्चतम लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

नॉन क्लीनिक जिसमें एनॉटमी, फिजियोलॉजी समेत दूसरे पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों की आठ लाख रुपए से लेकर अधिकतम 9.77 लाख रुपये ही देना होगा. रेडियोलॉजी, पैथोलाजी, बायोकेमेस्ट्री से जुड़े कोर्स के विद्यार्थियों की 10.80 लाख रुपये से अधिकतम 13.68 लाख रुपये होगी. हर साल 1.75 लाख रुपये से तीन लाख रुपये तक छात्रावास शुल्क अदा करना होगा. 1.28 लाख रुपये विविध शुल्क के होंगे.

प्राइवेट डेंटल कालेजों में बीडीएस 3.84 लाख

प्राइवेट डेंटल कालेजों में बीडीएस कोर्स की प्रति वर्ष ट्यूशन फीस 2.93 लाख रुपये से अधिकतम 3.84 लाख रुपए लिए जाएंगे. 85 हजार रुपए से 1.05 लाख रुपए प्रति वर्ष छात्रावास शुल्क और 40 हजार रुपए विविध शुल्क लिया जाएगा. दाखिले के समय एक बार तीन लाख रुपए धरोहर राशि के जमा करना होगा. पीजी की ट्यूशन फीस 5.42 लाख रुपए होगी. यह फीस अधिकतम 8.59 लाख रुपए होगी. 87 हजार रुपये से डेढ़ लाख रुपए प्रति वर्ष छात्रावास शुल्क देना होगा. एक लाख विविध शुल्क देना होगा. वहीं तीन लाख रुपये सिक्योरिटी मनी दाखिले के समय जमा कराई जाएगी.

मेडिकल कॉलेज खुलने बढ़ेंगी सीटें

उत्तर प्रदेश में 157 से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं. जिनमें एक सौ पंद्रह सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं, बाकी 42 प्राइवेट हैं. यूपी में 16 जिलों में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज (PPP Mode Medical College) खोले जाने हैं. छह जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने में लगभग 1525 करोड़ रुपए खर्च आएगा. केंद्र सरकार इसमें 1012 करोड़ रुपए सब्सिडी देगी. एक कॉलेज को औसतन 160 करोड़ रुपए की सब्सिडी मिलेगी. महराजगंज और शामली में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए निवेशकर्ता का चयन कर कार्य शुरू हो गया है. अगले साल तक महराजगंज में इलाज शुरू होने की संभावना है. इसके अलावा शामली और मऊ में मेडिकल कॉलेज खोलने की प्रकिया चल रही है.

हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव

तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया किसीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के नेतृत्व में पिछले साढ़े पांच वर्षों में यूपी के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आया है. साथ ही नए डॉक्टर भी तैयार हो रहे हैं. मेडिकल कॉलेजों-अस्पतालों में बेड की संख्या भी बढ़ रही है. यूपी में वर्तमान में सरकारी और निजी 65 मेडिकल कॉलेज हैं. केंद्रीय संस्थानों में रायबरेली (Raebareli Aims)और गोरखपुर (G0rakhpur Aims)में दो एम्स, एक बीएचयू और एक अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज है.

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