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लखनऊ: एएसपी के बेटे की मौत के मामले में सपा के पूर्व जिला पंचायत सदस्य भी आरोपी, साक्ष्य मिटाने का आरोप

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डीसीपी पूर्वी ने बताया कि कि हादसे के बाद सार्थक घर में जाकर परिजनों को पूरी जानकारी दी. इसके बाद उसके पिता ने गाड़ी को धुलवाकर उसको छिपाने का प्रयास किया. इसके साथ ही अभियुक्तों को भगाने में मदद की इसलिए सार्थक सिंह के पिता के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है.

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Lucknow News: राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार में एएसपी श्वेता श्रीवास्तव के बेटे की एसयूवी से कुचलने से मौत के मामले में पुलिस ने गाड़ी चलाने वाले सार्थक सिंह के पिता समाजवादी पार्टी के पूर्व जिला पंचायत सदस्य रवींद्र सिंह को भी आरोपी बनाया गया है. बताया जा रहा है कि बेटे के जानकारी देने के बाद उन्होंने एसयूवी को धुलवाकर खून के धब्बे मिटाए थे, जिससे साक्ष्य मिटाने के मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया है. डीसीपी पूर्वी ने बुधवार को इस प्रकरण में बताया कि घटना से पहले देवश्री वर्मा ने सार्थक सिंह को गाड़ी चलाने को दी थी. हादसे के वक्त सार्थक ही गाड़ी ड्राइव कर रहा था. इस दौरान देवश्री वर्मा उसे अपना रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाने के लिए उकसा रहा था. सार्थक काफी तेज गति से गाड़ी चला रहा था और स्पीड और रेसिंग की वजह से ये हादसा हुआ. डीसीपी पूर्वी ने बताया कि कि हादसे के बाद सार्थक घर में जाकर परिजनों को पूरी जानकारी दी. इसके बाद उसके पिता ने गाड़ी को धुलवाकर उसको छिपाने का प्रयास किया. इसके साथ ही अभियुक्तों को भगाने में मदद की इसलिए सार्थक सिंह के पिता के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. उन्होंने बताया कि यदि इस प्रकार के साक्ष्य आते हैं कि इस घटना में किसी आने की भी किसी तरह की भूमिका या लापरवाही थी, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.


सार्थक के पिता ने पुलिस को गुमराह करने का किया प्रयास

बताया जा रहा है कि सीसीटीवी की मदद से जब खोजबीन करते हुए लखनऊ पुलिस सार्थक के ​घर पहुंची तो पिता ने बेटे के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कही. उन्होंने पुलिस के सामने ऐसे जताया कि उन्हें घटना को लेकर कोई जानकारी नहीं है. छानबीन में सामने आया है कि सार्थक के पास सिर्फ लर्निंग लाइसेंस है. हादसे के वक्त गाड़ी की स्पीड 120 किमी की बताई जा रही है. पुलिस मामले में और जांच पड़ताल में जुटी है.

घटनास्थल पर पहले भी युवक करते रहे हैं स्टंट

राजधानी लखनऊ में एडिशनल एसपी श्वेता श्रीवास्तव के नौ साल के बेटे नामिश की मौत मंगलवार को सड़क हादसे में हुई. नामिश गोमतीनगर विस्तार इलाके में जनेश्वर मिश्र पार्क के बाहर स्केटिंग कर रहा था, तभी तेज रफ्तार कार ने उसे टक्कर मार दी. टक्कर इतनी तेज थी कि नामिश कई फीट उछल गया. हादसे के वक्त एडिशनल एसपी श्वेता श्रीवास्तव भी मौके पर ही थीं. राजधानी की जिस जी-20 रोड पर ये हादसा हुआ, वहां पहले भी कई बार लोग कार रेस और स्टंट करते नजर आते रहे हैं. उनके खिलाफ अभियान भी चलाया गया है. लेकिन, पुलिस के ढील देते ही एक बार फिर लोगों की जान पर बन आई है.

स्थायी तौर पर लगे रहेंगे जिग जैग बैरियर

डीसीपी पूर्वी ने बताया कि राजधानी में जहां पर ट्रैफिक का लोड कम होता है, वहां पर तेज रफ्तार से गाड़ियां चलाने के मामले सामने आए हैं. गोमतीनगर के लोहिया पथ, ताज होटल से जनेश्वर मिश्र पार्क की ओर जाने वाला मार्ग इनमें प्रमुख रूप से है. इन सभी मार्गों पर पुलिस अब जिग जैग बैरियर लगाए जा रहे हैं, जो स्थायी रहेंगे, ताकि यहां पर गाड़ियों की स्पीड नियंत्रित रहे. इसके साथ ही जो तेज रफ्तार गाड़ी चलाते हैं, उनकी गिरफ्तारी या सुबह के वक्त जब इस तरह के मामले देखने को मिलते हैं, उस दौरान विशेष टीम गठित कर कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही तेज शोर करने वाली गाड़ियों को लेकर भी कार्रवाई की जाएगी.

गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज

कार चला रहे युवकों के नाम सार्थक सिंह और उसका दोस्त देवश्री है. सार्थक एमिटी से पढ़ाई कर रहा है. उसके पिता रविन्द्र सिंह सपा नेता हैं. वह बाराबंकी रामनगर से पूर्व जिला पंचायत सदस्य रहे हैं. पुलिस ने सार्थक सिंह और देवश्री के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है. दोनों ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस को दिए बयान में तेज रफ्तार के कारण हादसे की बात कही है.

युवकों की शर्त में चली गई बालक की जान

इंदिरानगर में रहने वाले देवश्री ने बताया कि कानपुर से आए चाचा की एक्सयूवी-700 गाड़ी लेकर सार्थक सिंह के साथ वह मंगलवार तड़के अपने घर से निकला. वहां से जनेश्वर मिश्र पार्क जी-20 रोड पहुंचे. यहां पहले देवश्री ने करीब 100 से 120 की रफ्तार से गाड़ी चलाई. तय हुआ था 100 से ऊपर जितनी स्पीड से जो गाड़ी चलाएगा, वही विजेता माना जाएगा. इसके बाद सार्थक ने शर्त के हिसाब से उससे ऊपर चलाने की कोशिश की. सार्थक गाड़ी को तेज स्पीड से दौड़ा रहा था. उसी वक्त बच्चा सामने आ गया. इतनी स्पीड पर बच्चा को बचाना संभव नहीं था. सार्थक ने बताया कि टक्कर इतनी जोर से लगी थी कि हमें पता था कि वो बच्चा बच नहीं पाएगा। इसलिए वह लोग भाग निकले. उन्होंने कहा कि हमें हादसे का अफसोस है, लेकिन हमने जानबूझकर किसी को नहीं मारा है.

इस तरह अभियुक्तों तक पहुंची पुलिस

डीसीपी ईस्ट आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि घटना के बाद पांच पुलिस टीम गठित की गई थीं. इन टीमों ने जनेश्वर पार्क, गोमतीनगर, गोमतीनगर विस्तार, पॉलीटेक्निक चौराहा, कमता चौराहा, समतामूलक समेत कई चौराहों तक लगे 40 सीसीटीवी की फुटेज का खंगाला. इस दौरान जनेश्वर मिश्र पार्क गेट नंबर-6 पर लगे एक कैमरे में संदिग्ध कार दौड़ती नजर आई. उसी कार का पीछा करते हुए पुलिस को गाड़ी का सही नंबर मिल गया. इसके बाद आरोपियों तक पहुंचा जा सका. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, नामिश के पेट और सिर पर गंभीर चोट आई थी. हालांकि शॉक एंड हैमरेज से उसकी मौत हुई.

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