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संसद की सुरक्षा में चूक मामला: आरोपी सागर ने ऐसे मंगवाया था आधार कार्ड, फंड जुटाने के लिए कर चुका है यह काम

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सागर शर्मा फंड जुटाने की कोशिश कर रहा था. इसके लिए उसने ई-रिक्शा मालिक नन्हे शुक्ला के नाम से फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करवाए थे. वह बैंक से लोन लेने की कोशिश कर रहा था. यह बात नन्हें शुक्ला के बेटे हिमांशु ने खुलासा किया कि सागर स्वभाव से सीधा लगता था.

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संसद की अभेद सुरक्षा व्यवस्था को भेदकर कार्यवाही के दौरान सदन में उपद्रव करने वाले आरोपी सागर शर्मा के घर पर शुक्रवार को एक बार फिर जांच एजेंसियों की टीम पहुंची. साथ में एटीएस की टीम भी मौजूद थी. इस दौरान सागर के कमरे को खंगाला गया. टीम ने कई और किताबें बरामद कर कब्जे में लीं. परिजनों से दोबारा पूछताछ की. करीब एक घंटे तक तहकीकात करने के बाद टीम ई-रिक्शा मालिक के घर पहुंची. उससे भी सागर के बारे में जानकारी ली. आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया है कि सागर, अमोल, ललित और मनोरंजन की मुलाकात पहले गुरुग्राम में हुई थी. सागर सप्ताह में दो या तीन बार मनोरंजन को फोन करता था. इस दौरान यह भी जानकारी सामने आई है कि सागर ने यूपी रोडवेज की बस से लखनऊ से अपना आधार कार्ड मंगवाया था. उसके पारिवारिक मित्र अंश ने यूपी रोडवेज के बस ड्राइवर के माध्यम से कार्ड भेजा था. सागर संसद में हंगामा वाले दिन आधार कार्ड लेने हुडा सिटी सेंटर से मेट्रो से आनंद विहार पहुंचा था. इसके बाद वह राजीव चौक पहुंचा. फिर राजीव चौक से भारतीय झंडे खरीदने सदर बाजार गया. इसके बाद साथियों के पास इंडिया गेट वापस आया. अब दिल्ली पुलिस सागर के दोस्त अंश से पूछताछ करने की बात कह रही है. जानकारी के मुताबिक सभी आरोपी करीब नौ महीने पहले मिले थे. इन्होंने अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए संसद का उपयोग करने का निर्णय लिया. मार्च में बजट सत्र के दौरान मनोरंजन विजिटर पास के जरिये संसद भवन के अंदर गया और रेकी की. जुलाई में सागर दिल्ली आया, मगर उसे संसद में जाने का मौका नहीं मिला. संसद में प्रवेश किए बिना वह लखनऊ वापस चला गया था.

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फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करवाए थे- ई-रिक्शा मालिक

वहीं जांच में यह भी पता चला है कि सागर शर्मा फंड जुटाने की कोशिश कर रहा था. इसके लिए उसने ई-रिक्शा मालिक नन्हे शुक्ला के नाम से फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करवाए थे. वह बैंक से लोन लेने की कोशिश कर रहा था. मीडिया के साथ हुई बातचीत में नन्हें शुक्ला के बेटे हिमांशु ने यह खुलासा किया कि सागर स्वभाव से सीधा लगता था. इसलिए उसको 100 रुपए कम किराए पर रिक्शा दिया था. अब फ्रॉड सामने आया. वो क्या करना चाहता था, क्या-क्या डॉक्यूमेंट बनवाए थे. ये रुपया कैसे इस्तेमाल करने वाला था? ये सब मुझे नहीं पता. बेंगलुरु से लौटने के बाद सागर ने लखनऊ में कुछ महीने किराए पर लेकर ई-रिक्शा चलाया था. वहीं सागर के पिता रोशन लाल ने कहा कि मेरा बेटा बेंगलुरु में दाढ़ी वाले लड़के (मास्टरमाइंड ललित मोहन झा) के चक्कर फंस गया था. उधर, पुलिस के साथ ही अन्य एजेंसियों ने शुक्रवार को सागर के पिता, मां और बहन से अलग-अलग 3 घंटे तक पूछताछ की. उनसे पता करने की कोशिश किया कि सागर किससे मिलता था. वो क्या-कुछ कहता था, उसके फाइनेंशियल लेन-देन क्या और कितने हैं? रिश्तेदार कहां-कहां रहते हैं? उनके सागर के कैसे रिश्ते हैं. जानकारी के मुताबिक शनिवार शाम या रविवार सुबह दिल्ली की स्पेशल टीम भी इस मामले से जुड़े साक्ष्य जुटाने के लिए लखनऊ आ सकती है. अब तक की जांच में पुलिस को ऐसा लग रहा है कि सागर का ब्रेन वॉश किया गया है. जांच से जुड़े एक बड़े अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह बेहद गंभीर मामला है. इसलिए इसमें हर संभावित एंगल की जांच की जा रही है. हालांकि, अभी कहना मुश्किल है लेकिन अगर सिर्फ बेनवॉश ही किया गया है तो भी यह खतरनाक है.

भ्रष्टाचार की खबरें देख परेशान हो जाता था- सागर की मां

वहीं सागर के पिता रोशन लाल ने मीडिया से बातचीत से कहा कि हम लोग करीब 13 साल दिल्ली के सफदरगंज में रहे. वहीं बेटा सागर और बेटी पैदा हुए. मेरा बेटा बेंगलुरु में रह रहे दाढ़ी वाले लड़के के चक्कर (मास्टरमाइंड ललित मोहन झा) में आकर भटक गया. हां, वह भगत सिंह से प्रभावित था, लेकिन इतना बड़ा कदम अकेले कभी नहीं उठाता. बेंगलुरु वाले लड़के के बारे में कई बार हमने उसे समझाने का प्रयास किया, लेकिन सागर नाराज हो जाता था. वह उसके बारे में कुछ नहीं सुनता था. पेशे से कारपेंटर रोशन लाल भावुक होते हुए कहते हैं कि इस घटना के बाद मुझे घर पर ताला डालकर लोगों से दूरी बनानी पड़ रही है. क्योंकि पूरा परिवार रोज-रोज की पूछताछ से टूटता जा रहा है. मैंने पुलिस टीम को कह दिया है कि जांच में पूरा सहयोग किया जाएगा. वहीं सागर की मां रानी कहती हैं कि वह गरीबों पर होने वाले अत्याचार की बातें सुनकर परेशान हो जाता था. जब भी कभी टीवी या शहर में होने वाले कार्यक्रम में गरीबों के मकान तोड़ने या भ्रष्टाचार की खबरें देखता था, तो परेशान हो जाता था.

वह आगे कहती हैं कि सागर सीधा-साधा है. लखनऊ में दिन भर ई-रिक्शा चलाता और रात को घर में आकर सो जाता. कभी किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करता था. पता नहीं कैसे दिल्ली पहुंच गया. घर में कुल मिलाकर चार लोग रहते हैं. बहन, माता-पिता और सागर खुद. घर में कुल मिलाकर चार लोग रहते हैं. परिवार मूल रूप से उन्नाव का रहने वाला है. वहीं बहन का कहना है कि फीस के रुपए नहीं थे, इसलिए भाई पढ़ाई नहीं कर सका. 10वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही सागर की बहन का कहना है कि भाई को पढ़ने का बहुत शौक है. इसलिए वह लिखता-पढ़ता रहता है. परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी. मेरा भाई निर्दोष है, उसको फंसाने की कोशिश की जा रही है. वह शांत स्वभाव का था.

वहीं पुलिस ने रिक्शा मालिक नन्हे शुक्ल और उनके बेटे हिमांशु से करीब 45 मिनट तक पूछताछ की. इस दौरान नन्हें ने बताया कि 400 रुपए हर रोज सागर उन्हें देता था. दिन में सागर और रात को उनका बेटा हिमांशु रिक्शा चलाता था. वहीं, हिमांशु ने बताया कि सागर के पिता रोशन ने उसे एक पुराना ई-रिक्शा 60 हजार में खरीदकर दिया था, लेकिन उसके बेंगलुरु जाने के बाद बेच दिया. बेंगलुरु से लौटने के बाद सागर उनका ई-रिक्शा चलाने लगा. इस दौरान ही उसने लोन लेने की कोशिश की. जिसका पता लोन का सर्वे करने आए युवक से चला. जब इसकी जानकारी करने उसके घर पहुंचे तो सागर के परिजन इधर-उधर की बातें करने लगे. उसके अगले दिन ही संसद में घुसपैठ वाला कांड हो गया.

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