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किस्सा नेताजी का: उत्तर प्रदेश में एक सीएम ऐसा भी, जिनका घर ढूंढने में लखनऊ पुलिस को दो घंटे लगे

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12 नवंबर 1999 को रामप्रकाश गुप्ता को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. वो एक साल तक यूपी के मुख्यमंत्री रहे. बाद में उनकी जगह राजनाथ सिंह को यूपी की कमान सौंपी गई थी.

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UP Political Story: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं. इसे लेकर सियासी खींचतान जारी है. उत्तर प्रदेश की सियासत से जुड़े कई किस्सों को नेतागण चुनावी मंच से बता रहे हैं. आज हम आपको बताते हैं एक ऐसे नेता के बारे में जिनका घर खोजने में लखनऊ पुलिस की हालत पस्त हो गई थी. खुद वो नेता पीएम हाउस गए और तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकुर ने उनका परिचय रामप्रकाश गुप्ता के रूप में कराया था. वो यूपी में कल्याण सिंह की जगह लेने वाले थे.

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1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह के रिश्ते ठीक नहीं थे. दोनों नेताओं का बैकग्राउंड जनसंघ और आरएसएस का था. इसके बावजूद उनके बीच दरार बढ़ी थी. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दोनों नेताओं के बीच के संकट का जिक्र किया गया था. दोनों बड़े नेता थे. अटल बिहारी वाजपेयी ब्राह्मण तो कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग के नेता थे. कल्याण सिंह को हिंदू हृदय सम्राट कहा जाता था. 1999 के लोकसभा चुनाव में नेतृत्व की लड़ाई ने बीजेपी को दो खेमों में बांटने का काम किया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक वाजपेयी जी लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव जीतते थे. 1998 में उन्होंने लखनऊ सीट से 4.31 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता. 1999 में वोटों का अंतर 70,000 पहुंच गया. उत्तर प्रदेश में 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 58 सीटें जीती थी. 1999 में सीटें 29 पर आ चुकी थी.

कल्याण सिंह बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं कलराज मिश्र और लालजी टंडन के खिलाफ झंडा बुलंद कर रहे थे. इसी बीच अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो कल्याण सिंह को हटाने का फैसला लिया गया.

वाजपेयी जी ने 10 अक्टूबर 1999 को पीएम पद की शपथ ली और कल्याण सिंह की छुट्टी कर दी गई. कल्याण सिंह ने पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का फोन रिसीव नहीं किया था. इसके बाद पीएम आवास में कल्याण सिंह के उत्तराधिकारी की चर्चा होने लगी. लालजी टंडन और कलराज मिश्रा के नामों पर चर्चा हो रही थी. वाजपेयी जी की नजर में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह थे. काफी मंथन के बाद रामप्रकाश गुप्ता (76) को कल्याण सिंह के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया.

पार्टी के दिग्गज नेताओं ने रामप्रकाश गुप्ता का नाम फाइनल किया. उन्हें दिल्ली बुलाया गया. उनका पता किसी के पास नहीं था. लखनऊ पुलिस को रामप्रकाश गुप्ता का घर खोजने में दो घंटे लग गए थे. रामप्रकाश गुप्ता दिल्ली पहुंचे तो पीएम हाउस में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष कुशाभाऊ ठाकरे ने उनका परिचय कराया. 12 नवंबर 1999 को रामप्रकाश गुप्ता को प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. वो एक साल तक मुख्यमंत्री रहे. बाद में राजनाथ सिंह को यूपी की कमान सौंपी गई थी.

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