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Lucknow News : लोकबंधु अस्पताल में जल्द शुरू होगी ईको कार्डियोग्राफी जांच, हार्ट के मरीजों को मिलेगी बड़ी राहत

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लोकबंधु श्री राजनारायण संयुक्त अस्पताल में हृदय का इलाज कराने आने वाले मरीजों का ईको कार्डियोग्राफी जांच फरवरी महीने में ही शुरू हो जाएगा. इसके लिए विशेषज्ञों की निगरानी में यहां के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

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राजधानी लखनऊ में कानपुर रोड पर स्थित लोकबंधु श्री राजनारायण संयुक्त अस्पताल में हृदय का इलाज कराने आने वाले मरीजों के लिए अच्छी खबर है. अस्पताल में हृदय रोगियों का ईको कार्डियोग्राफी जांच फरवरी महीने में ही शुरू हो सकता है, इसके लिए विशेषज्ञों की निगरानी में यहां के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वहीं सहायक टीम भी इस जांच की बारीकियों को समझ रहे हैं. दरअसल अस्पताल को सीएसआर फंड की तरफ से पहले ही जांच के लिए मशीन मिल चुकी हैं. पिछले साल ये मशीन अस्पताल परिसर में आने के बावजूद अब तक जांच नहीं शुरू हो सकी थी. इस बीच कार्डियोलॉजी के कुछ विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में अस्पताल के फिजीशियन को इस जांच को लेकर प्रशिक्षण दी जा रही है. वही अस्पताल प्रशासन की माने तो इसी महीने इस जांच की शुरुआत भी हो सकेगी. बता दें कि दिल के मरीजों के लिए ईसीजी के अलावा ईको जांच बेहद अहम होती हैं. कई बार जब ईसीजी से बहुत कुछ साफ नही होता तो विशेषज्ञ ईको जांच की सलाह भी देते हैं.

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अस्पताल को मिला है 5 लाख की मशीन

हालांकि अस्पताल में कार्डियो विभाग स्थापित नही हैं. साथ ही ट्रॉप टी और टीएमटी जांच की भी सुविधा नहीं है. बहरहाल यहां सीने में दर्द की शिकायत लेकर आने वाले मरीजों की तादाद बेहद ज्यादा हैं. इसके अलाव हृदय के भी मरीज कई बार जांच के लिए या इमरजेंसी में अस्पताल का रुख करते हैं. कुछ यही कारण रहा कि ईको जांच शुरू करने पर जोर दिया जा रहा हैं. वहीं लोकबंधु अस्पताल के निदेशक डॉ. सुरेश चंद्र कौशल की मुताबिक सीएसआर फंड की तरफ से अस्पताल को करीब 5 लाख की कीमत की एक मशीन मिल चुकी हैं. हृदय के मरीजों की सहूलियत के लिए जल्द ही जांच की ईको जांच की सुविधा भी उपलब्ध होगी. इसके अलावा हृदय के मरीजों के लिए अस्पताल में कई अन्य सुविधाओं को शुरू करने पर जोर है.

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केजीएमयू में इलेक्ट्रिक थेरेपी से कम होगी दारू की तलब

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में अब शराबियों की लत छुड़वाने पर महारथ हासिल कर ली हैं. चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक रोग विभाग ने 2 साल में करीब 50 मरीजों को इलेक्ट्रिक शॉक देकर शराब से मुक्ति दिला दी. अहम बात ये हैं कि ये इलेक्ट्रिक शॉक भी ऐसा रहा जिससे मरीजों को फायदा ज्यादा हुआ, पर शॉक कम लगा, यानी बेहद मामूली करंट पास करके ही इस समस्या से निजात दिलाया जा रहा हैं. इस बड़ी सफलता पर मुहर लगाते हुए इंडियन जर्नल ऑफ सायकोलॉजिकल मेडिसिन ने जनवरी 2024 में इसे प्रकाशित भी किया है. डॉ. सुजीत कर कहते हैं कि अल्कोहल छुड़ाना बहुत कठिन नही हैं. बस थोड़ा मजबूत विल पॉवर चाहिए. सबसे अहम बात ये हैं कि शराब छोड़ने के कुछ दिन बाद इसकी तलब जोर पकड़ती हैं. धीरे-धीरे इसका अटैक तेज होता हैं. इसका असर ये होता हैं कि उसी दौरान कई बार मरीज दोबारा शराब पीना शुरू कर देता हैं. तलब कम करने के लिए ब्रेन के फ्रंटल हिस्से में वापस से इलेक्ट्रिक करंट का फ्लो करना होता है. इलेक्ट्रिक करंट के फ्लो होने से तलब कम होती हैं और इसका असर ये होता हैं कि माइंड कही और डाइवर्ट हो जाता है.

34 मरीजों पर हुआ शोध

साल 2021 से 2023 के बीच हुए इस शोध में 34 ऐसे मरीजों को चुना गया जो पहले से शराब के लती रहे. उन सभी को 2 अलग-अलग समूहों में बांटा गया. इस तकनीक में मरीज को बेहोश नहीं किया जाता है. उसे बिठाकर सिर के कुछ विशेष हिस्सों में खास उपकरणों से करंट दिया जाता हैं. फिर इसका एनालिसिस किया गया. करीब एक सप्ताह में 20-20 मिनट के 5 सत्र के बाद ये पाया गया कि करंट पाने वाले सभी मरीजों में शराब की लत छूट गई. अहम बात ये रही कि करंट दिए जाने का दुष्प्रभाव भी नहीं दिखा. न ही मरीजों को कोई विशेष परेशानी हुई. डॉ. सुजीत कर ने बताया कि इस थेरेपी में महज 2 मिली एम्पीयर के करंट का प्रयोग होता हैं. जिसके चलते मरीज को कोई शॉक नही महसूस होता. ये पूरी तरह पेनलेस थेरेपी है. इसके जरिए स्ट्रोक, पैरालिसिस, डिप्रेशन जैसे कई अन्य बीमारियों के मरीज को भी इलाज चल रहा है.

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