25.1 C
Ranchi
Monday, February 24, 2025 | 07:39 pm
25.1 C
Ranchi
No videos found

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

वयस्क आरोपियों की तरह नाबालिगों को भी अग्रिम जमानत लेने का अधिकार, चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनाया फैसला

Advertisement

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने व्यवस्था दी है कि एक किशोर या कानून के साथ संघर्ष करने वाले बच्चे को उसकी गिरफ्तारी या गिरफ्तारी की आशंका के समय तक लावारिस नहीं छोड़ा जा सकता है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

लखनऊ. कानून का उल्लंघन करने वाले किशोरों को अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने का अधिकार है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि एक बच्चा, जिस पर किसी भी अपराध का आरोप लगाया गया है, उसको भी अन्य नागरिक की तरह आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत (पूर्व-गिरफ्तारी जमानत) का उपाय करने का अधिकार है.हालांकि इस प्रावधान में ही लगाए गए प्रतिबंध उस पर भी लागू होंगे. एकल बेंच द्वारा दिए गए संदर्भ पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने यह व्यवस्था दी है.

मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर ने सुना मामला

मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम एक बच्चे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद कानून के साथ संघर्ष में अग्रिम जमानत के आवेदन को बाहर नहीं करता है. क्योंकि किशोर अधिनियम 2015 में सीआरपीसी को अनुपयुक्त बनाने के लिए कोई प्रावधान नहीं है.एक किशोर या कानून के साथ संघर्ष करने वाले बच्चे को उसकी गिरफ्तारी या गिरफ्तारी की आशंका के समय तक लावारिस नहीं छोड़ा जा सकता है. इसलिए, जरूरत पड़ने पर वह अग्रिम जमानत के उपाय तलाश सकते हैं.

किशोर न्याय अधिनियम अग्रिम जमानत में बाधक नहीं

खंडपीठ ने 24 मई को अपने फैसले में कहा कि किशोर न्याय अधिनियम किसी भी तरह से अदालत की अग्रिम जमानत देने की शक्ति पर रोक नहीं लगाता है. एक उपाय के रूप में अग्रिम जमानत तक पहुंच का बहिष्कार मानव स्वतंत्रता पर अतिक्रमण करता है. एक बच्चे को अन्य व्यक्तियों के साथ समान अधिकार प्राप्त हैं. इसलिए,अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करने के अधिकार का प्रयोग करने के अवसर से इनकार करना सभी सिद्धांतों और प्रावधानों का उल्लंघन होगा.

शाहब अली और अन्य बनाम यूपी राज्य मामले में फैसला

शाहब अली (नाबालिग) और अन्य बनाम यूपी राज्य के मामले में वर्तमान खंडपीठ के समक्ष एक संदर्भ दिया गया था, जिसमें एकल न्यायाधीश द्वारा यह माना गया था कि संघर्ष में एक बच्चे के इशारे पर अग्रिम जमानत की याचिका कानून के साथ बनाए रखने योग्य नहीं होगा. दूसरी ओर, किशोर के एक अन्य मामले में, एक अन्य एकल न्यायाधीश की पीठ ने पाया कि किशोर को अग्रिम जमानत बहुत अच्छी तरह से दी जा सकती है और यह तब तक जारी रहेगी जब तक कि बोर्ड द्वारा कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चे के संबंध में जांच नहीं की जाती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर