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यूपी के पहले मंडलीय गजेटियर का मुरादाबाद में हुआ विमोचन, यहां जानें क्या हैं इसकी खासियत

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देश के इतिहास में पहली बार किसी मंडल का गजेटियर बन कर तैयार हुआ है. अभी तक तमाम सरकारें जनपदों के गजेटियर बनवाती रही हैं, लेकिन किसी मंडल का गजेटियर पहली बार तैयार हुआ है. मुरादाबाद मंडल में पहले गजेटियर को जनता के सामने रखा गया है.

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यूपी के मुरादाबाद मंडल में पहले गजेटियर के पंचायत भवन का कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने विमोचन किया. यह प्रदेश का मंडल स्तर पर पहला गजेटियर है. गजेटियर में मंडल की भौगोलिक संरचना, इतिहास, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पक्ष को दर्शाया गया है. गजेटियर को तैयार करने में लगभग 50 लोगों की टीम ने काम किया और 6 महीने में यह बनकर तैयार हुआ है. मुरादाबाद के लोगों को 55 साल बाद गजेटियर मिला है. पंचायत भवन सभागार में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में तमाम आला अधिकारी, जन प्रतिनिध, कवि, शायर, लेखक, पत्रकार और समाज सेवक मौजूद रहे. इस दौरान कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने बताया इस गजेटियर में मंडल के पांचों जनपदों मुरादाबाद, बिजनौर, अमरोहा, संभल और रामपुर की पूरी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, भौगोलिक संरचना और आर्थिक विकास के साथ-साथ विभिन्न विभूतियों, कलाओं और तथ्यों व आकंड़ों की सही सटीक जानकारी को संकलित किया गया है. गूगल पर भ्रामक सूचनाएं चलती रहती हैं. सही सूचना को जानने के लिए गजेटियर तैयार करने की आवश्यकता पड़ी. क्योंकि कुछ लोग गूगल देखकर नरेटिव सेट (कथा गढ़ने) करते हैं. अधिकारी किसी नरेटिव पर नहीं चलते हैं. वे मजबूत साक्ष्य लेकर कोई बात करते हैं. गजेटियर में छपे तथ्य प्रामाणिक होते हैं.

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विभागों के आंकड़ों गजेटियर में किया गया है शामिल

गजेटियर में सभी विभागों से उनके आंकड़े व जानकारी लेने के बाद उनकी भिन्नता को ठीक करते हुए उसे तार्किक कसौटी पर परखने के बाद जगह दी गयी है. सभी आंकड़ों को हर तरह से कसौटी पर आंकने के बाद पारदर्शी तरीके से उन्हें मिलाकर गजेटियर में शामिल किया गया है, ताकि पूर्ण रूप से त्रुटी विहीन हो और जनता इसका इस्तेमाल एक दस्तावेज़ के रूप में कर सके. जानकारी के अनुसार मुरादाबाद जनपद का आखरी बार गजेटियर 1968 में प्रकाशित हुआ था. उसके बाद इस पर कोई काम नहीं हुआ, इसलिए अब आधुनिक दौर में इसकी बहुत बड़ी आवश्यकता महसूस हो रही थी ताकि जनता को अपने जनपद की सही जानकारी मिल सके. ऐसे में पूरे मंडल का गजेटियर तैयार किया गया. जिसमें सभी विभागों के अधिकारियों ने इसमें भाग लिया और इसे कामयाब बनाया.

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50 अधिकारियों ने तैयार किए हैं गजेटियर को

बताया जा रहा है कि गजेटियर को तैयार करने के लिए लगभग 50 से अधिक कुशल अधिकारियों को लगाया गया है और सभी विभागों से उनके आंकड़े मंगवाए गए. जिन आंकड़ों को दूसरे विभागों से तुलनात्मक तरीके से मिला कर चैक किया गया, ताकि मुरादाबाद मंडल के सही संकलित आंकड़े और जानकरी लोगों तक पहुंचाई जा सके.

जानें क्या है गजेटियर

मुरादाबाद के बारे में कहा जाता है कि शाहजहां रुस्तम से नाराज होकर इस शहर को बनाया था लेकिन ये तथ्य इतिहास से मेल नहीं खाते हैं. इसलिए गजेटियर में गांवो से लेकर शहरों तक का इतिहास उसकी प्रमाणिकता और उनके विकास की यात्रा का विवरण पढ़ने को मिलेगा. गजेटियर के प्रथम अंक में मुरादाबाद, संभल, अमरोहा, रामपुर, बिजनौर जिलों के तीर्थ स्थल, धार्मिक स्थल, व्यावसायिक गतिविधि, पुलिस फोर्स और अन्य विभाग के आंकड़ों को दर्शाया गया है.

रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी का भी है विशेष उल्लेख

इसके साथ ही मंडल के हर जिले के प्रसिद्ध स्थान, प्रसिद्ध व्यवसाय, मुरादाबाद के पीतल हैंडी क्राफ्ट, बिजनौर का लकड़ी का सामान, संभल के हड्डी और सींग के उत्पाद, अमरोहा की ढोलक, रामपुर के वाद्य यंत्र, रजा लाइब्रेरी सहित एतिहासिक इमारतें और पुस्तकालय, स्कूल कॉलेज, रेलवे स्टेशन सहित अन्य पुरातन स्थानों को एक साथ समेटा गया है. इस गजेटियर में मुरादाबाद के शिल्प गुरु पद्मश्री दिलशाद हुसैन के साथ बिजनोर की विदुर कुटी, संभल के हरी हर मंदिर, रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी का भी विशेष उल्लेख किया गया है.

गजेटियर की थीम कला और कला का सम्पोषण और पुनर्जीवन पुनर्स्थापना पर आधारित है. इस अवसर पर जिला अधिकारी मानवेन्द्र सिंह, डी आई जी रेंज मुनिराज जी , अपर आयुक्त बी एन यादव , उपयुक्त गजेन्द्र प्रताप सिंह, भाजपा विधायक रितेश गुप्ता , शायर मंसूर उस्मानी, कवि महेश्वर तिवारी, संघ प्रचारक वतन जी , मेयर विनोद अग्रवाल , जिला पंचायत अध्यक्ष शेफाली सिंह आदि मौजूद रहे.

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