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अखिलेश यादव से आज मिलेंगे अरविंद केजरीवाल, अध्यादेश के सहारे दोस्ती चढ़ेगी परवान, बन सकते हैं नए सियासी समीकरण

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात लोकसभा चुनाव 2024 के नए सियासी समीकरणों की शुरुआत हो सकती है. हालांकि, इस बार मुद्दा केंद्र का अध्यादेश है. लेकिन, जिस तरह से अखिलेश यादव ने उनका इस मामले में समर्थन किया, वह नए रिश्तों की ओर संकेत दे रहा है.

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Lucknow: केंद्र सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार से संबंधित बिल को लेकर यूपी में बुधवार को सियासी पारा गरमाने के आसार हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दल बल के साथ राजधानी लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे. इस दौरान वह इस मुद्दे पर सपा का संसद में सहयोग मांगेंगे.

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केजरीवाल बुधवार को लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे. उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, यूपी के पार्टी प्रभारी सांसद संजय सिंह, दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना सिंह और राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा भी रहेंगे.

अरविंद केजरीवाल के साथ सभी नेता लखनऊ एयरपोर्ट से दोपहर में सपा मुख्यालय पहुंचकर अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे. दरअसल दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मुद्दे पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल विपक्ष से समर्थन जुटाने में लग हैं. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव केंद्र के इस कदम को न्यायपालिका का अपमान बता चुके हैं. ऐसे में अब लखनऊ में दोनों नेता इस मुद्दे पर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे.

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आम आदमी पार्टी की कोशिश है कि राज्यसभा में इस बिल का विरोध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा दलों का समर्थन हासिल किया जा सके. राज्यसभा में गैर भाजपा दलों के सदस्यों की संख्या अधिक है. अरविंद केजरीवाल का प्रयास है कि इस ताकत के जरिए बिल को राज्यसभा में पारित नहीं होने दिया जाए. समाजवादी पार्टी के राज्यसभा और लोकसभा में तीन-तीन सदस्य हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी और सपा की दोस्ती भविष्य के नए समीकरणों के लिहाज से भी अहम है.

कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव की मौजूदगी में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भी चर्चा हो सकती है. आप यूपी में लगातार अपनी जड़ें मजबूत करने में लगी है. ऐसे में सपा का साथ उसके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. वहीं जिस तरीके से आम आदमी पार्टी ने भाजपा को पंजाब में शिकस्त दी, उससे उसकी रणनीति का लाभ सपा को यूपी में भी गठबंधन होने पर मिलने की बात कही जा रही है.

अखिलेश यादव हालांकि, अब ‘एकला चलो’ की राह पर हैं. बड़ी पार्टियों से गठबंधन सपा के लिए नुकसानदायक रहा है. ऐसे में वह जल्दबाजी में निर्णय नहीं करना चाह रहे हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के मुताबिक अभी दोनों नेताओं के बीच सिर्फ मुलाकात तय हुई है. अध्यादेश के अलावा किन विषयों पर बातचीत होगी, यह पहले से नहीं बताया जा सकता.

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