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बदायूं में आत्महत्या करने वाली महिला जज ने सुसाइड नोट में लिखी यह बात, पिता ने दर्ज करवाई हत्या की एफआईआर

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बदायूं में सिविल जज जूनियर डिवीजन ज्योत्सना राय (29) ने अपने सरकारी आवास में आत्महत्या कर ली. पुलिस के अनुसार उनके कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. जिसमें उन्होंने सरयू नदी के तट पर अंतिम संस्कार करने की बात कही है.

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बदायूं में सिविल जज जूनियर डिवीजन ज्योत्सना राय (29) ने अपने सरकारी आवास में आत्महत्या कर ली. कर्मचारी सुबह काम करने उनके आवास पर पहुंचे तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया. उन्हें कई बार कॉल भी की लेकिन कोई जवाब नहीं आया. कर्मचारियों ने इसकी सूचना पर आसपास रह रहे जज और कोतवाली पुलिस को दी. पुलिस ने उनके आवास का दरवाजा तोड़ा और उनके परिवार वालों को सूचना दी. शाम करीब साढ़े पांच बजे उनके माता-पिता मौके पर पहुंचे. पुलिस के अनुसार, उनके कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है. जिसमें उन्होंने सरयू नदी के तट पर अंतिम संस्कार करने की बात कही है. महिला जज ने बदायूं में तैनाती के दौरान के एक सहकर्मी से अयोध्या में आवासीय प्लाट लेने की जिक्र किया था. यह मंशा अधूरी होती देखकर ही शायद उन्होंने सुसाइड नोट में सरयू तट पर अंतिम संस्कार किए जाने की बात लिखी है. मूल रूप से मऊ के तहसील घोसी के गांव तराईडीह निवासी ज्योत्सना राय के पिता अशोक कुमार राय सहायक अभियोजन अधिकारी के रूप में अयोध्या में दो दशक पूर्व तैनात थे. उस समय ज्योत्सना राय पांच वर्ष की थीं और पिता के साथ यहीं रहती थीं. वर्ष 2018 में जब उनका उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में चयन हुआ, तब भी उनके पिता यहीं पर संयुक्त निदेशक अभियोजन के पद पर तैनात थे. 15 नवंबर 2019 को उनकी पहली कर्मभूमि भी अयोध्या रही तो यहां से उनका लगाव और गहरा हुआ. 12 अप्रैल वर्ष 2021 तक वह अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन, 13 अप्रैल से चार जुलाई 2022 तक न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम व पांच जुलाई 2022 से 28 अप्रैल 2023 तक अतिरिक्त सिविल जज जूनियर डिवीजन के पद पर उन्होंने दायित्व का निर्वहन किया. अपने सरल व्यवहार व सौम्य व्यक्तित्व से वरिष्ठ अधिकारियों और वादकारियों के बीच भी उनकी अच्छी साख रही.

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अयोध्या से कम नहीं हुआ लगाव

इस बीच उनका तबादला बदायूं हुआ तब भी उनका लगाव अयोध्या से कम नहीं हुआ. अपने सहकर्मियों से वह फोन के माध्यम से बराबर संपर्क में रहीं. 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिव्य व भव्य समारोह को देखकर उन्होंने उसी दिन अयोध्या में निवास करने का संकल्प भी किया. अपने एक सहकर्मी से उन्होंने फोन पर इसका जिक्र किया था लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. शनिवार को उन्होंने बदायूं में ही अंतिम सांस ली और उनका यहां निवास करने का सपना अधूरा रह गया. अंतिम संस्कार में शामिल सहकर्मियों में भी यह चर्चा रही कि अयोध्या से जुड़े इसी लगाव के कारण ही शायद उन्होंने सरयू तट पर अपने अंतिम संस्कार की इच्छा जताई होगी.

पिता ने दर्ज करवाया एफआईआर

वहीं महिला जज ज्योत्सना राय की मौत के मामले में उनके पिता अशोक कुमार राय ने बेटी की हत्या की एफआईआर दर्ज कराई है. पिता ने कहा कि मेरी बेटी ऐसा नहीं कर सकती. वह दूसरों को न्याय देती थी. उसने सुसाइड नहीं किया. उसे किसी ने मारकर लटका दिया है, ताकि यह सुसाइड लगे. पिता की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की एफआईआर दर्ज की है. ज्योत्सना के पिता अशोक कुमार राय ने तहरीर में कहा कि मेरी बेटी सरकारी आवास में अकेले रहती थी. 2 फरवरी की रात को उसने अपनी मां से खुशी-खुशी बात की थी. वो आत्महत्या करेगी, इसकी कोई वजह नहीं है. मुझे शक है कि किसी ने मेरी बेटी को मारकर लटका दिया है. वहीं ज्योत्सना राय के भाई हिमांशु शेखर राय रेलवे में इंजीनियर हैं. पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर बदहवास बैठे हिमांशु ने कहा कि ज्योत्सना का घर का नाम जूही था. आज लखनऊ में वो मम्मी के साथ जमीन देखने जाने वाली थी. हमें कुछ नहीं पता कि ऐसा क्यों हुआ या कैसे हुआ? हमें कुछ भी पता होता, तो मैं नौकरी छोड़कर अपनी बहन के पास होता. इस दौरान जब हिमांशु से पूछा गया कि क्या यह सुसाइड है या मर्डर? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हम कुछ भी नहीं जानते और अभी कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं हैं. हमारी बहन अब इस दुनिया में नहीं है. बस यह स्वीकार करने में कठिनाई हो रही है.

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बचपन से ही मेधावी थीं ज्योत्सना राय

बता दें कि महिला जज ज्योत्सना राय बचपन से ही मेधावी थीं. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से उन्होंने दूरस्थ शिक्षा में एलएलएम की डिग्री ली थी. एलएलबी उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से किया था. लघु शोध प्रबंध उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विधि संकाय अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार राय के पर्यवेक्षण में किया. वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा का परिणाम घोषित हुआ तो उन्हें प्रदेश में छठवीं रैंक मिली थी. उनके पिता के साथ कलेक्ट्रेट में तैनात रहे एक वरिष्ठ लिपिक ने बताया कि बचपन से ही वह विलक्षण प्रतिभा की धनी थीं. पढ़ लिखकर जीवन में सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने का उनमें जज्बा था.

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