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यूपी का प्रदूषण से फूला दम, दिल्ली से ज्यादा मेरठ की हवा जहरीली, दुनिया के प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर

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AQI का लेवल बढ़ने के कारण लोगों में सांस लेने अन्य सहित समस्याओं में इजाफा हुआ है. अस्पतालों में अस्थमा, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों की समस्या वालों मरीजों की संख्या बढ़ रही है. चिकित्सकों के मुताबिक इंसान की सेहत के लिए AQI का बढ़ना काफी घातक है.

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Air Pollution: उत्तर प्रदेश में दीपावली से पहले ही प्रदूषण बढ़ गया है. यहां के शहरों में प्रदूषण से लोगों का दम घुटने लगा है, जिसके चलते अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है. सबसे अधिक सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. यूपी के मेरठ की हवा दिल्ली से भी अधिक जहरीली है. मेरठ दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में दूसरे नंबर पर आ गया है. गुरुवार सुबह मेरठ का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 463 दर्ज किया गया. हरियाणा का भिवाड़ी दुनिया के प्रदूषित शहरों में पहले स्थान पर कायम है. यहां का AQI 698 है. वहीं 9वें स्थान पर यूपी का हापुड़ है. हापुड़ का AQI 399 है. गाजियाबाद 388 AQI के साथ 11वें स्थान पर है. 18वें स्थान पर मुजफ्फरनगर का AQI 339 है. 21वें स्थान पर कैराना का AQI 336 है. 67वें स्थान पर सहारनपुर का AQI 307 है. 72वें स्थान पर यूपी की राजधानी लखनऊ का AQI 302, 83वें स्थान पर इलाहबाद का 281, 85वें स्थान पर फैजाबाद का 276 और 97वें स्थान पर बुलंदशहर का AQI 250 है. इसके साथ ही बरेली का AQI बेहद खराब स्थिति में हैं. यहां का AQI गुरुवार सुबह 216 दर्ज किया गया. बरेली के सिविल लाइंस का AQI 233, राजेंद्र नगर का 227 और सुभाष नगर का AQI 187 है. हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने का दुष्प्रभाव भी सामने आने लगा है. चिकित्सकों के मुताबिक सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए. इसके नीचे ऑक्सीजन होने से नुकसान होता है. जिस तरह से प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ रही है, उससे लोगों में कई तरह की बीमारियों में इजाफा हो रहा है.

आंखों में जलन, सांस से संबंधित बीमारियों के बढ़ रहे मरीज

इस बीच AQI का लेवल बढ़ने के कारण लोगों में सांस लेने अन्य सहित समस्याओं में इजाफा हुआ है. अस्पतालों में अस्थमा, आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों की समस्या वालों मरीजों की संख्या बढ़ रही है. प्रदूषण बढ़ने के साथ ही बीमारियां बढ़ रही हैं. चिकित्सकों के मुताबिक इंसान की सेहत के लिए AQI का बढ़ना काफी घातक है. वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है. दरअसल, प्रदूषित कणों से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है. इसका असर फेफड़े और आस-पास की मांसपेशियों पर पड़ता है. वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती है. इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है.

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कई बीमारियों का कारण है प्रदूषण

वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है. इसका सीधा संबंध किडनी से होता. इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है. वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है. वायु प्रदूषण से दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण में इजाफा के चलते धड़कनों का असंतुलित होना, हार्ट फेल होना और हाइपरटेंशन जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.

इन समस्याओं के लक्षण शरीर पर दिखाई देने लग जाते हैं. प्रदूषित हवा का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है. डॉक्टरों के मुताबिक उम्रदराज लोगों और बुजुर्गों के मस्तिष्क पर प्रदूषित के कण हमला करते हैं. इससे उन्हें बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है. जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है. इससे प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा बन जाता है. इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है, जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है. इंसान की त्वचा में रूखापन, जलन, रेडनेस और एक्जिमा जैसी तकलीफें आपको हो रही हैं, तो समझ जाए कि वायु प्रदूषण आपकी त्वचा पर वार कर रहा है.

प्रदूषित हवा में मौजूद कणों की वजह से त्वचा काफी प्रभावित हो सकती है. वायु प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रेडान, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन, एस्बेस्टस के अलावा, कुछ केमिकल समेत अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है. यह कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है.

सरकार ने प्रदूषण को लेकर बनाया प्लान

यूपी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सरकार चिंतित है. इसका स्थायी समाधान निकालने के लिए पहली बार प्रदूषण के खात्मे को प्रोजेक्ट बनाया जा रहा है. प्रत्येक इलाके में प्रदूषण के मुख्य कारणों की खोज के लिए शोध करने का प्लान है. प्रत्येक क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार होगी. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग गांव से लेकर शहरों तक के प्रदूषण को विभिन्न श्रेणी में बांटेगा. प्रदूषण में किस कारक का कितना योगदान है और किस शहर में किस तरह का प्रदूषण है. इस पर विश्वविद्यालयों के पर्यावरण विभाग प्रोजेक्ट तैयार करेंगे. इसके बाद डाटा को मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी से तैयार कर जिले वार प्रदूषण की रिपोर्ट तैयार होगी.जिससे जड़ से खात्मा हो सके.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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