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लॉकडाउन में 5000 आभूषण कारीगरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट गहराया

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प्रयागराज : कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन सरकार को लगाना पड़ा. अब लॉकडाउन के कारण आभूषण कारोबार से जुड़े करीब 5000 कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. जरूरतमंदों की मदद को बहुत से लोगों के हाथ बढ़े हैं लेकिन परिवार के साथ गुजर-बसर करने वाले इन कारीगरों को नियमित मदद नहीं […]

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प्रयागराज : कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन सरकार को लगाना पड़ा. अब लॉकडाउन के कारण आभूषण कारोबार से जुड़े करीब 5000 कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. जरूरतमंदों की मदद को बहुत से लोगों के हाथ बढ़े हैं लेकिन परिवार के साथ गुजर-बसर करने वाले इन कारीगरों को नियमित मदद नहीं मिल पा रही है, जिससे उनके समक्ष खाने के भी लाले पड़ गये हैं. इन कारीगरों को प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गयी सहायता राशि भी नहीं मिल सकी है, अन्यथा हफ्ते-10 दिन के लिए राशन आदि का प्रबंध हो जाता. कारीगर किसी तरह अपने परिवार की आजीविका चलाते हैंजिले की सबसे बड़ी सराफा मंडी मीरगंज में छोटे-छोटे कारीगर खुद आभूषण बनाने का काम करते हैं.

लोग इनसे अपने आभूषण बनवाते ही हैं, सराफा कारोबारी भी इनसे ज्वेलरी तैयार कराते हैं. बदले में इन्हें मेकिंग चार्ज यानी बनवायी का खर्च देते हैं. इससे यह कारीगर अपने परिवार की आजीविका चलाते हैं. इन कारीगरों की संख्या करीब पांच हजार है. इसमें से ज्यादातर पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, जो किराये का कमरा लेकर परिवार के साथ यहां रहते हैं। पहले सोने का आसमान छूता रेट और अब लॉकडाउन से कमाई ठपपहले आभूषण कारीगरों का धंधा सोने की कीमत आसमान छूने से चौपट हो गया था, क्योंकि सोना महंगा होने से लोग आभूषण कम बनवा रहे थे.

अब करीब तीन सप्ताह से दुकानें लॉकडाउन के कारण बंद हैं, जिससे इनकी कमाई भी ठप हो गयी है. प्रयाग सर्राफा व्यापार मंडल के अध्यक्ष कुलदीप सोनी कहते हैंप्रयाग सर्राफा व्यापार मंडल के अध्यक्ष कुलदीप सोनी कहते हैं कि ज्यादातर कारीगर बाहर के हैं. वह यहां किराये पर कमरा लेकर रहते हैं. मजदूर वर्ग से जुड़े होने के कारण ज्यादा से ज्यादा सप्ताह भर का राशन आदि का प्रबंध इनके पास होता है. इससे ज्यादा इनके पास रखने का भी इंतजाम नहीं होता है. काम बंद होने से इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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