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World Day Against Child Labour: ‘छोटू’ पर आज भी नहीं जाता किसी का ध्यान, कानून सिर्फ कागजों में

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विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day against Child Labour) हर साल 12 जून काे मनाया जाता है. इस बार बाल श्रम निषेध दिवस की थीम "बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण" (Universal Social Protection to End Child Labour) है. इसका उद्देश्य बाल श्रम को हर हाल में खत्म करना है.

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Anti Child Labour Day: अभी कुछ दिन पहले ही यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र में एक जूस की दुकान पर काम करने वाले बच्चे के साथ उसका मालिक मारपीट कर रह था. मालिक के इस कुकृत्य को वहां से गुजर रहे एक नागरिक ने देख लिया, जब उसने मालिक को मारपीट करने से रोका तो वह उस नागरिक से ही भिड़ गया. इस पूरे प्रकरण का वीडियो भी वायरल हुआ, लेकिन इसके बाद नतीजा वही ढाक के तीन पात.

राजधानी लखनऊ का ही एक और मामला आशियाना क्षेत्र का है. यहां हर दिन सुबह-सुबह दो बच्चियां सड़क पर झाड़ू लगाती है. इसके लिये उन्हें नगर निगम का ठेकेदार बकायदा मजदूरी भी देता है. बड़े लोगों की कालोनी आशियाना में इन बच्चियों के झाड़ू लगाने की मजबूरी कोई भी सामने नहीं लाना चाहता है. न ही सरकार को इसकी चिंता है.

Also Read: World Day Against Child Labour: दुनिया भर के 1.5 अरब बच्चों को नहीं मिलता कोई नकद लाभ
कानून फाइलों में, छोटू ढाबों पर

ये दो मामले आज सामने रखने का सबसे बड़ा कारण ये है कि हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day against Child Labour) मनाया जाता है. विश्व में एक दिन उन बच्चों के नाम किया जाता है जो स्कूल न जाकर साल में 365 दिन कहीं न कहीं मजदूरी करने को मजबूर है.

कोरोना महामारी ने भी बढ़ाया बालश्रम

बाल श्रम पर शोध करने वाले डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि बाल श्रम की सबसे बड़ी वजह गरीबी है. ढाबों और चाय की दुकानों पर ‘छोटू’ का काम करते हुए दिखना आम बात है. इसी तरह बड़े घरों में मेम साहब लोगों के बच्चों की देखभाल के लिए गरीब घरों के बच्चे रखे जाते हैं. इनमें लड़कियों संख्या अधिक है. इन कारणों के अलावा कोरोना महामारी ने भी बाल श्रम को बढ़ावा दिया है. ऐसे बच्चे जिनके सिर से पिता या फिर माता-पिता दोनों का साया हट गया है, वह भी किसी न किसी के पास मजदूरी करने को मजबूर हो गये हैं.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय है बाल श्रम

डॉ़ राजेश कुमार बताते हैं कि बच्चों से काम कराना सिर्फ यूपी या फिर अन्य राज्यों का ही मामला नहीं है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसको लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation) और संयुक्त राष्ट्र (United Nations) 2022 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर बाल श्रम खत्म करने के लिए विश्व भर में संरक्षण को लेकर चिंतित हैं.

2002 में बना कानून

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संघ (ILO) ने पहली बार बाल श्रम रोकने का मुद्दा उठाया था. इसके बाद वर्ष 2002 में सर्वसम्मति से 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना अपराध माना गया. इस बार बाल श्रम निषेध दिवस 2022 का थीम “बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण” (Universal Social Protection to End Child Labour) है.

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