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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी केस पर वाराणसी कोर्ट का फैसला 12 सितंबर को, दलीलें हुईं पूरी

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वादिनी महिलाओं की दलीलों पर अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी ने अपनी जवाबी बहस आज खत्म की. हिंदू पक्ष ने भी अपना पक्ष रखा और अदालत ने पत्रावली को अपने पास सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह 12 सितंबर को इस पूरे मामले पर अपना फैसला सुनाएगी.

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Gyanvapi Case Dispute: ज्ञानवापी-मां श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई में बुधवार को लगातार तीसरे दिन वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में लगभग साढ़े तीन घंटे तक बहस चली. वादिनी महिलाओं की दलीलों पर अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी ने अपनी जवाबी बहस आज खत्म की. हिंदू पक्ष ने भी अपना पक्ष रखा और अदालत ने पत्रावली को अपने पास सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह 12 सितंबर को इस पूरे मामले पर अपना फैसला सुनाएगी.

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वर्ष 1669 में मस्जिद बनी

अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से कोर्ट में कहा गया की ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ संपत्ति है. यह केस वक्फ बोर्ड में जाना चाहिए. सिविल कोर्ट में ये केस नहीं चल सकता है. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया की 1936 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ था. 1944 में यह गजट में सामने आया था की ज्ञानवापी मस्जिद का नाम शाही मस्जिद आलमगीर है. इस पूरी संपत्ति को शहंशाह आलमगीर और बादशाह औरंगजेब की बताई गई थी. वक्फ करने वाले के तौर पर भी बादशाह आलमगीर का ही नाम दर्ज था. बादशाह औरंगजेब के संबंध में यह भी बताया गया कि 1400 साल पुराने शरई कानून के तहत वक्फ को दान की गई इस जमीन पर वर्ष 1669 में मस्जिद बनी और तभी से अभी तक वहां पर नमाज पढ़ी जा रही है.

सम्पत्ति थी बादशाह औरंगजेब की

मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 1883-84 में अंग्रेजों के शासन काल में जब बंदोबस्त लागू हुआ तो सर्वे हुआ और आराजी नंबर बनाया गया. आराजी नंबर 9130 में उस समय भी दिखाया गया था कि वह मस्जिद है. पुराने मुकदमे में यह डिसाइड हो चुका था की ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ की संपति है. साल 1669 में मुगल बादशाह औरंगजेब की सत्ता थी. मुस्लिम पक्ष के अनुसार, उस समय की जो भी सम्पत्ति थी वह बादशाह औरंगजेब की थी. बादशाह द्वारा संपत्ति दान में मिलने पर वहां पर मस्जिद बनी.

‘1991 वार्शिप एक्ट लागू नहीं होता’

हिंदू पक्ष ने कोर्ट से बाहर निकलते हुए मीडिया से बताया कि आज 7/11 के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. हम लोगों ने आज की बहस में पूरी बातें रख दी हैं. इस पर आदेश 12 सितंबर को आएगा. वक्फ बोर्ड के नियम-कानून सिर्फ मुस्लिमों पर लागू होते हैं हिंदू पर नहीं. पुराने तथ्य उन्होंने कोर्ट में रखे. आलमगीर मस्जिद और वक्फ बोर्ड को आधार बनाकर उन्होंने बात रखी. हम लोगों ने सारे साक्ष्य रख दिए कि कहीं से भी ये मस्जिद नहीं है. यह मंदिर है. इस पर 1991 वार्शिप एक्ट लागू नहीं होता है.

‘फैसला हमारे पक्ष में होगा’

हिंदू पक्ष ने कहा कि यह भी एक संयोग ही है कि जिस दिन इसका फैसला आएगा उस दिन भी सोमवार पड़ रहा है और कमीशन की कार्रवाई भी सोमवार को ही शुरू हुई, बाबा भी प्रकट सोमवार को ही हुए. ज्ञानवापी मस्जिद आदि विश्वेश्वर नाथ का मंदिर है जिसे तोड़ फोड़कर ये मस्जिद बनाकर नमाज पढ़ रहे हैं. इन्होंने कागज भी बिंदु माधव मंदिर का लगाया है. इनके पास कोई कागज नहीं है. इन लोगों ने आलमगीर मस्जिद का कागज लगाया है जो कि बिंदु माधव मंदिर को तोड़कर बनाया गया है. फैसला हमारे पक्ष में होगा, इसका पूर्ण विश्वास है.

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