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UP: आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिले मामले में हर कदम पर हुई धांधली, CBI जांच में बेनकाब होंगे बड़े चेहरे

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सीबीआई के मामले की जांच शुरू करने के बाद कई चर्चित चेहरे इसकी जद में आ सकते हैं. फर्जी दाखिलों के खेल में शामिल बड़े चेहरों का बेनकाब होना तय माना जा रहा है. जिम्मेदार पदों पर बैठे इन लोगों को ही नियमानुसार काम कराना था, लेकिन इनकी आंखों के सामने जमकर खेल हुआ.

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Lucknow News: योगी सरकार ने मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होने वाली NEET-2021 परीक्षा में शामिल हुए बगैर कई छात्रों के एडमिशन आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ कालेजों में कराने के मामले में सख्त निर्णय किया है.

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मुख्यमंत्री के कड़ा रुख अपनाने के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2021 में आयुष कॉलेजों में प्रवेश में हुई इस अनियमितता की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति भारत सरकार से कर दी है. सीबीआई के मामले की जांच शुरू करने के बाद कई चर्चित चेहरे इसकी जद में आ सकते हैं.

फर्जी दाखिलों के खेल में शामिल बड़े चेहरों का बेनकाब होना तय माना जा रहा है. जिम्मेदार पदों पर बैठे इन लोगों को ही नियमानुसार काम कराना था, लेकिन इनकी आंखों के सामने जमकर खेल हुआ. विभागीय अफसरों की मिलीभगत को लेकर भी कई अहम खुलासे हो सकते हैं. हर कदम पर जमकर धांधली की गई और किसी ने मुंह नहीं खोला.

वहीं अब सीबीआई के मामला हाथ में लेने से पहले गड़बड़ी वाले कॉलेजों में हड़कम्प मच गया है. अपनी गर्दन फंसने के डर से सम्बन्धित लोग जहां कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, वहीं गलत तरीके से दाखिला लेने वाले छात्रों के परिजन बेहद परेशान हैं. ऐसे छात्रों के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है.

वहीं सीएम योगी के निर्देश के बाद इस पूरे प्रकरण में कार्यवाहक निदेशक, आयुर्वेद सेवाएं (सदस्य सचिव काउंसिलिंग मूल पद प्रिसिंपल) प्रो. डॉ. एसएन सिंह व प्रभारी अधिकारी शिक्षा निदेशालय, आयुर्वेद सेवाएं (मूल पद प्रोफसर राजकीय आयुर्वेद मेडिकल कालेज, लखनऊ) डॉ. उमाकांत यादव को निलम्बित कर दिया गया है.

इसके अलावा प्रभारी अधिकारी यूनानी निदेशालय डॉ. मोहम्मद वसीम और कार्यवाहक संयुक्त निदेशक शिक्षण होम्योपैथी निदेशालय प्रो. विजय पुष्कर के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है.

प्रदेश के आयुष कालेजों में शैक्षिक सत्र 2021 में कुल 891 फर्जी दाखिले की बात सामने आयी है. दाखिले के नाम पर सीटों की जमकर सौदेबाजी की गई. आरोप है कि आयुर्वेद के सरकारी कालेज में दाखिले के लिए पांच लाख रुपये और प्राइवेट कालेज में दाखिले के लिए साढ़े तीन लाख रुपये तक लिए गए. वहीं होम्योपैथिक कॉलेजों में सरकारी कालेजों में प्रवेश के लिए चार लाख और प्राइवेट कालेज में दाखिले के लिए ढाई लाख रुपये वसूले गए. यूनानी कॉलेजों में भी ढाई लाख रुपये तक वसूले गए.

मामले में अब हेराफेरी को लेकर आये दिन नए खुलासे हो रहे हैं. दाखिले के काउंसिलिंग कमेटी में शामिल सदस्यों के कॉलेजों में भी हेराफेरी की बात सामने आई है. प्रदेश के 41 निजी और 13 सरकारी कॉलेज में हेराफेरी की बात कही जा रही है.

दरअसल प्रदेश के आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसिलिंग कमेटी बनी थी, जिसमें आयुष विभाग के विशेष सचिव सुखलाल भारती और सदस्य सचिव आयुर्वेद निदेशक प्रो. एसएन सिंह को अध्यक्ष बनाया गया था. इसके अलावा सदस्य और निजी क्षेत्र के कॉलेजों के प्रतिनिधि भी कमेटी में थे.

अब फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद गड़बड़ी करने वाले जांच के दायरे में हैं. इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में डाटा फीडिंग का काम कर रही कम्पनी अपट्रान पावरट्रानिक्स तथा उसके द्वारा नामित वेंडर कम्पनी वी-3 साफ्ट साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह समेत अन्य अज्ञात लोगों के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज करायी जा चुकी है.

प्रकरण की जांच वर्तमान में एसटीएफ कर रही है. इसमें कॉलेजों सहित निदेशालय में रखे दाखिलों से जुड़े दस्तावेज सील किए जा चुके हैं. अब सीबीआई जांच में आयुर्वेद निदेशालय, होम्योपैथिक निदेशालय और यूनानी निदेशालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी गहराई से जांच की जाएगी, जिससे कई लोगों की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है.

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