Lucknow news: लखनऊ में काउंटिंग के बीच सपा और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में चले लात घूसे, मारपीट में कई लोग घायल
UP Chunav 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सूबे की सियासी सरगर्मी तेजी से बढ़ रही है. चुनाव से पहले सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी सियासी बिसात में दूसरों को फांसने में लगी हुईं हैं. उत्तर प्रदेश में आए दिन नेताओं के दल बदल का सिलसिला भी जारी है. वहीं मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) बीजेपी में शामिल होने के बाद से उनके चुनावी सीट को लेकर भी कई कयास लगाए जाने लगे. अब अपर्णा यादव को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. मीडिया में चल रही खबरों की माने तो अपर्णा यादव के विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना न के बराबर है.
कैंट विधानसभा सीट पर फंसा पेंच
अपर्णा यादव अपना पिछला चुनाव लखनऊ के कैंट से लड़ा था. वहीं इस समय लखनऊ कैंट विधानसभा सीट की हालत एक अनार सौ बीमार वाली हो गयी है. अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने के बाद इस वीआइपी सीट पर मारामारी वाले हालात पैदा हो गये हैं. दरअसल, भाजपा के गढ़ कैंट सीट से लगातार दो बार विधायक रहीं डॉ रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए टिकट की पैरवी कर रही हैं. परिवारवाद का आरोप न लगे, इसके लिए खुद सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने और अपनी सांसदी की कुर्सी छोड़ने के लिए भी तैयार हैं.
वहीं, लखनऊ की मेयर संयुक्ता भाटिया ने अपनी बहू रेशू भाटिया के लिए खेमेबंदी शुरू कर दी है. इस बीच, डिप्टी सीएम डॉ़ दिनेश शर्मा के चुनाव लड़ने का भी एलान हो गया है. कैंट सीट उनकी पसंदीदा सीटों में एक मानी जा रही है. वहीं, कैंट से निवर्तमान विधायक सुरेश तिवारी ने भी टिकट की दावेदारी करते हुए जनसंपर्क शुरू कर दिया है. योगी सरकार में मंत्री रहे महेंद्र सिंह भी कैंट सीट के दावेदार माने जा रहे हैं.
इस सीट पर रीता बहुगुणा का अच्छा प्रभाव माना जाता है. उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर साल 2012 में सुरेश तिवारी को करीब 22 हजार वोटों से हराया था. फिर साल 2017 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और सपा की प्रत्याशी अपर्णा यादव को 34 हजार वोटों से शिकस्त दी थी.