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आगरा विश्वविद्यालय के दो कुलपतियों के लिए दो तरह का कानून, एक पर हुई कार्रवाई दूसरे पर नरमी

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डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर पिछले साल 5 जुलाई को अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने कार्य से विरत कर दिया था. प्रोफेसर मित्तल पर भ्रष्टाचार प्रशासनिक व वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे.

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Agra University News: डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति विनय पाठक पर गंभीर आरोपों को लेकर अभियोग दर्ज हुआ है. अभी तक उनके ऊपर कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई. दूसरी तरफ आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर अशोक मित्तल पर सिर्फ आरोप लगे थे. इसके बाद उन्हें उनके पद से विरक्त कर दिया गया. आखिर यह कैसा कानून है जो दो लोगों के लिए अलग-अलग है. एक को सजा देता है और दूसरे पर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी सिर्फ खानापूर्ति हो रही है.

कुलाधिपति को अपना इस्तीफा सौंपा

डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल को कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर पिछले साल 5 जुलाई को अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने कार्य से विरत कर दिया था. प्रोफेसर मित्तल पर भ्रष्टाचार प्रशासनिक व वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे थे. प्रो मित्तल के के ऊपर लगे आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया गया था. जांच समिति में प्रोफेसर विनय कुमार पाठक भी सदस्य थे. इसके बाद प्रो मित्तल ने न्यायालय की शरण ली लेकिन वहां भी उन्हें असफलता हाथ लगी. इसके बाद प्रोफ़ेसर मित्तल ने जनवरी में कुलाधिपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

कड़ा निर्णय नहीं लिया गया

दूसरी तरफ डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति और कानपुर की छत्रपति शाहूजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. लखनऊ के एक थाने में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ लेकिन फिर भी प्रो विनय पाठक को उनके पद से नहीं हटाया गया. दूसरी तरफ विनय पाठक ने इस अभियोग के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इसकी सुनवाई 10 नवंबर को होनी है. एक तरफ जहां प्रोफेसर मित्तल पर लगने वाले आरोपों के बाद उन्हें कार्य से विरत कर दिया गया. दूसरी तरफ प्रोफेसर विनय पाठक पर अभी तक राजभवन की तरफ से कोई भी कड़ा निर्णय नहीं लिया गया है.

पूरे मामले पर चुप्पी साध ली

विश्वविद्यालय में सुगबुगाहट है कि दोनों ही कुलपति पर आरोप लगे. प्रोफेसर मित्तल के बाद प्रोफेसर विनय पाठक पर और गंभीर आरोप लगे और उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ. उनके एक साथी को गिरफ्तार भी किया गया लेकिन अभी तक सिर्फ प्रोफेसर विनय पाठक से एसटीएफ ने पूछताछ की है जबकि राजभवन इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे हुए है. अभी तक राजभवन की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया इस मामले पर नहीं आई है. लोगों का कहना है कि आखिर यह कैसा कानून है जो एक के लिए सख्त तो एक के लिए नरम है.

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र‍िपोर्ट : राघवेंद्र गहलोत

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