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लखीमपुर खीरी केस में आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ दी जमानत, दिल्ली और यूपी में एंट्री पर बैन

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सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को शर्तों के साथ आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है. जमानत याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्वरी की बेंच ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने जमानत के साथ ही आशीष को अपनी लोकेशन के बारे में कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया है.

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Lakhimpur Kheri Case: लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को शर्तों के साथ आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है. जमानत याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे के माहेश्वरी की बेंच ने फैसला सुनाया है. पिछली सुनवाई में ट्रायल जज ने रिपोर्ट में बताया था कि मामले का ट्रायल पूरा होने में कम से कम पांच साल लगेंगे.

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दिल्ली और यूपी में नहीं रहने की शर्त पर दी जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत के साथ ही आशीष मिश्रा को अपनी लोकेशन के बारे में कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि आशीष मिश्रा या उनके परिवार द्वारा गवाहों को प्रभावित करने और मुकदमे में देरी करने की कोशिश करने पर उनकी जमानत रद्द हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को इस शर्त पर अंतरिम जमानत दी है कि वह दिल्ली और उत्तर प्रदेश में नहीं रहेंगे और जमानत पर रिहा होने के एक सप्ताह बाद वह उत्तर प्रदेश छोड़ देंगे.

यूपी सरकार ने कोर्ट में किया था जमानत का विरोध

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका का विरोध किया था. साथ ही कोर्ट को बताया कि घटना के चश्मदीद गवाह ने आरोपी मिश्रा को मौके से भागते देखा था और यह बात चार्जशीट में भी है. सरकार ने कोर्ट में कहा कि, यह अपराध गंभीर श्रेणी का है और ऐसे में आरोपी को जमानत देना समाज पर बुरा असर डाल सकता है. दरअसल, आरोपी मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से जमानत न मिलने पर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.

आशीष मिश्रा के वकील ने कहा- मेरे क्लाइंट का क्या होगा?

आशीष मिश्रा के वकील मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, आशीष मिश्रा बीते 1 साल से जेल में है. एक बार उसको जमानत मिली, फिर कोर्ट ने बेल खारिज कर दी थी. इस मामले में 400 से अधिक गवाह हैं, जिनके बयान होने हैं. ऐसे में 5 साल तक ट्रायल चलेगा और ऐसे में मेरे क्लाइंट का क्या होगा? रोहतगी ने आगे कहा कि, दूसरा एफआईआर जो दर्ज किया गया है, उसमें आरोपों को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया गया है. मामले में कोई चश्मदीद सामने नहीं आया है.

क्या था पूरा मामला

देश के लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हुई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर थार जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था. घटना में 4 लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा भड़कने के बाद इस पूरे घटनाक्रम में 8 लोगों की जान गई थी. मामले में तब से अब तक सुनवाई का सिलसिला जारी है.

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