16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

वाराणसी का रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर 400 साल से 9 डिग्री के एंगल पर है झुका, सावन में यहां नहीं चढ़ता जल

Advertisement

यह मंदिर स्थित है वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के ठीक बगल में. इस मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं. इन्हें रत्नेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. रत्नेश्वर महादेव घाट के बिल्कुल किनारे गंगा नदी के तलहटी पर बना हुआ है. लगभग 400 वर्ष पहले इसे महारानी अहिल्याबाई की दासी रत्नाबाई ने बनवाया था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Varanasi Swan 2022: आपने पीसा की मीनार के बारे में तो सुना ही होगा जो 4 डिग्री झुके होने के बावजूद ज्यों का त्यों खड़ा है, लेकिन धर्म नगरी वाराणसी में एक ऐसा मंदिर है जो 9 डिग्री झुके होने के बावजूद अपनी खूबसूरती से विश्व में प्रसिद्ध है. औघड़दानी भगवान शिव और उनकी प्रिय नगरी काशी दोनों ही निराली है. केदारखंड में तिल-तिल बढ़ते बाबा तिलभांडेश्वर विराजमान हैं तो विशेश्वर खंड में अंश-अंश झुकता रत्नेश्वर महादेव का मंदिर है. सावन के महीने में भी रत्नेश्वर महादेव मंदिर में न तो बोल बम के नारे गूंजते हैं और न ही घंटा घड़ियाल की आवाज सुनाई देती है. महाश्मशान के पास बसा करीब 400 बरस पुराना यह दुर्लभ मंदिर आज भी लोगों के लिए आश्चर्य ही है.

- Advertisement -
तमाम दंत कथाएं प्रचलित

इस मंदिर के बारे में तमाम दंत कथाएं प्रचलित हैं. कहा जाता है कि 12 महीनों में से 10 महीने तक यह मंदिर डूबा रहता है. यह मंदिर गंगाजल और मिट्टी से सना रहता है. यही वजह है कि सावन जैसे पवित्र महीने में भी यहां कोई शिवभक्त जलाभिषेक नहीं कर पाता. काशी के कण-कण में शिव का वास है. मगर रत्‍नेश्‍वर महादेव एकमात्र यहां ऐसे शिव मंदिर है जहां भक्तों को दर्शन-पूजन का सौभाग्य नहीं मिल पाता है. अपनी स्थापत्य कला शैली के लिए प्रचलित यह मंद‍िर लगभग 400 साल से 9 डिग्री के एंगल पर झुका हुआ. यह मंदिर गंगा नदी की तलहटी पर बना हुआ है. काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने इस मंदिर के बारे में विस्तार से यह जानकारी दी है.

Undefined
वाराणसी का रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर 400 साल से 9 डिग्री के एंगल पर है झुका, सावन में यहां नहीं चढ़ता जल 3
मंदिर बनाने की इच्छा जताई

पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया क‍ि यह मंदिर स्थित है वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के ठीक बगल में. इस मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं. इन्हें रत्नेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. रत्नेश्वर महादेव घाट के बिल्कुल किनारे गंगा नदी के तलहटी पर बना हुआ है. लगभग 400 वर्ष पहले इसे महारानी अहिल्याबाई की दासी रत्नाबाई ने बनवाया था. कहा जाता है कि यह मंदिर बनने के ठीक बाद ही यह नदी के दाहिने ओर झुक गया था. बताया जाता है कि रानी अहिल्याबाई की दासी रत्नाबाई ने मंदिर बनाने की इच्छा जताई थी.

Undefined
वाराणसी का रत्‍नेश्‍वर महादेव मंदिर 400 साल से 9 डिग्री के एंगल पर है झुका, सावन में यहां नहीं चढ़ता जल 4
नाराज होकर दे द‍िया श्राप

उन्‍होंने बताया क‍ि रानी अहिल्याबाई ने गंगा किनारे की यह जमीन रत्नाबाई को दे दी थी, जिसके बाद रत्नाबाई ने इस मंदिर को बनवाना शुरू किया. मंदिर निर्माण के दौरान कुछ रुपयों की कमी आई तो रत्नाबाई ने रानी अहिल्याबाई से रुपए लेकर के इस मंदिर का निर्माण पूर्ण कराया. मंदिर बनने के बाद जब रानी अहिल्याबाई ने मंदिर देखने की इच्छा जताई और मंदिर के पास पहुंचीं तो इसकी खूबसूरती देखकर उन्होंने दासी रत्नाबाई से इस मंदिर को नाम न देने की बात कही. इसके बाद रत्नाबाई ने इसे अपने नाम से जोड़ते हुए रत्नेश्वर महादेव का नाम दिया. इससे नाराज होकर अहिल्याबाई ने श्राप दिया और माना जाता है कि जैसे मंदिर का यह नाम पड़ा यह दाहिनी ओर झुक गया.

भगवान शिव का दर्शन नहीं हो पाता

मंदिर की कलाकृति व कारीगरी देखते ही बनती है. गुजरात शैली पर बने इस मंदिर में अलग-अलग कलाकृति बनाई गई है. पिलर से लेकर दीवारें तक सभी पत्थरों पर नक्काशी का नायाब नमूना पेश कर रहे हैं. 330 से 400 साल पहले बिना किसी मशीन के सहारे ऐसी नक्काशी अपने आप में इस मंदिर के अनोखे होने की दास्तान बयां कर रही है. इस मंदिर के अनोखी खूबसूरती को देखने के लिए दूरदराज से लोग आते हैं. चाहे देश के हो चाहे विदेश के हो जो भी इस घाट पर आता है वह इस मंदिर को देखता रह जाता है. विश्व के कोने-कोने से लोग इस मंदिर के बारे में जानते हैं और इसकी खूबसूरती देखने विशेषकर बनारस आते हैं. इस मंदिर में भगवान शिव के रूप में शिवलिंग स्थापित किया गया है जो कि जमीन के 10 फीट नीचे है. हालांकि, यह मंदिर साल में 8 महीने गंगाजल से आधा डूबा हुआ रहता है और 4 महीने पानी के बाहर,इसके कारण इस मंदिर के गर्भगृह में कभी भी भगवान शिव का दर्शन नहीं हो पाता है. वह मिट्टी में दबे ही रहते हैं.

कहते हैं, शिव की लघु कचहरी

सावन के महीने में भी रत्नेश्वर महादेव में न तो बम भोले की गूंज सुनाई देती है न ही दर्शन- पूजन होता है. स्थानीय लोगों की मानें तो यह मंदिर श्रापित होने के कारण ना ही कोई भक्त यहां पूजा करता और ना ही मंदिर में विराजमान भगवान शिव को जल चढ़ाता है. आसपास के लोगों का कहना है की यदि मंदिर में पूजा की तो घर में अनिष्ट होना शुरू हो जाता है. खास बात यह है कि मंदिर के झुकने का क्रम अब भी कायम है. मंदिर का छज्जा जमीन से आठ फुट ऊंचाई पर था, लेकिन वर्तमान में यह ऊंचाई सात फुट हो गई है. मंदिर के गर्भगृह में कभी भी स्थिर होकर खड़ा नहीं रहा जा सकता है. गर्भगृह में एक या दो नहीं बल्कि, कई शिवलिंग स्थापित हैं. इसे शिव की लघु कचहरी कहा जा सकता है. सावन के इस पवित्र महीने में भी इस शिवालय में जल और दूध अर्पित करना तो दूर बल्कि दर्शन भी दुर्लभ है. यही वजह है कि सावन के पवित्र महीने में दूर-दूर से आने वाले कांवड़िए हों या शिवभक्त हर शिवालय में पहुंचकर दर्शन और जलाभिषेक जरूर करते हैं लेकिन, यहां पर आकर उन्हें मायूसी हाथ लगती है, क्योंकि बाबा के दर्शन संभव ही नहीं हो पाते हैं.

स्‍पेशल स्‍टोरी : व‍िप‍िन स‍िंह

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें