21.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 02:02 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

महारानी-अब्दुल की नजदीकियों से शाही परिवार को होती थी जलन, विक्टोरिया ने अंतिम समय में नौकर को दिया खास उपहार

Advertisement

Queen Victoria Death Anniversary 2023: इतिहास में अब्दुल करीम को क्वीन विक्टोरिया का खास मुंशी बताया जाता है, लेकिन उसका क्वीन विक्टोरिया से काफी करीबी रिश्ता भी रहा है. यह बात है वर्ष 1887 के जून महीने की जब महारानी विक्टोरिया को ब्रिटेन की राजगद्दी संभाले 50 साल पूरे हो चुके थे और ....

Audio Book

ऑडियो सुनें

Agra News: भारत की साम्राज्ञी और ग्रेट ब्रिटेन व आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम की महारानी अलेक्जेंड्रिना विक्टोरिया का निधन 22 जनवरी 1901 को ऑस्बोर्न ईस्ट काउज, यूनाइटेड किंगडम में 81 वर्ष की उम्र में हुआ था. क्वीन विक्टोरिया भारत पर ब्रिटिश शासन में सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी थीं. वैसे तो क्वीन विक्टोरिया के बारे में कई सारे किस्से मशहूर हैं, लेकिन विक्टोरिया का आगरा से एक खास रिश्ता रहा, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है.

- Advertisement -

दरअसल, आगरा के रहने वाले मुंशी हाफिज मोहम्मद अब्दुल करीम को उनका कतिथ प्रेमी भी बताया जाता है. वैसे तो इतिहास में अब्दुल करीम को क्वीन विक्टोरिया का खास मुंशी बताया जाता है, लेकिन उसका क्वीन विक्टोरिया से काफी करीबी रिश्ता भी रहा है. मोहम्मद अब्दुल करीम को क्वीन विक्टोरिया ने आगरा में एक जागीर उपहार में दिलवाई थी, जहां उसका परिवार रहा करता था.

क्या था रानी विक्टोरिया और अब्दुल करीम का रिश्ता?

हालांकि, इस जागीर पर इमारत के नाम पर कुछ भी शेष नहीं बचा है, लेकिन जो जागीर अब्दुल करीम को क्वीन विक्टोरिया ने उपहार के तौर पर दी थी, वहां अब कई आधुनिक मकान बन चुके हैं. लेकिन खास बात यह है कि इन सभी मकान की रजिस्ट्री, बिजली व अन्य जरूरतों के जो बिल आते हैं. उन पर आज भी पते के स्थान पर अब्दुल करीम लॉज लिखा हुआ है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस जागीर पर क्यों लिखकर आता है अब्दुल करीम लॉज और क्या था रानी विक्टोरिया और अब्दुल करीम का रिश्ता.

50 साल पूरे होने पर मनाया गया गोल्डन जुबली समारोह

अब्दुल करीम लॉज के बारे में जानने के लिए हमें इतिहास में थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा. यह बात है वर्ष 1887 के जून महीने की जब महारानी विक्टोरिया को ब्रिटेन की राजगद्दी संभाले 50 साल पूरे हो चुके थे और इन 50 सालों का जश्न मनाने के लिए ब्रिटेन में गोल्डन जुबली समारोह का आयोजन किया गया था. इस समारोह में ब्रिटिश हुकूमत के तमाम अधिकारियों ने हिस्सा लिया और महारानी विक्टोरिया की खिदमत में महंगे उपहार पेश किए गए.

महारानी विक्टोरिया को उपहार के रूप में मिले दो नौकर

इस खास मौके पर आगरा जेल के तत्कालीन सुप्रिटेंडेंट जॉन टाइलर ने उपहार के रूप में दो नौकर पानी के जहाज से इंग्लैंड भेजे, जिसमें झांसी के पास स्थित ललितपुर के रहने वाले अब्दुल करीम भी शामिल थे. अब्दुल करीम और उसके साथ मौजूद एक नौकर को इंग्लैंड भेजने से पहले उनके लिए खास किस्म की सिल्क की वर्दियां सिलवाए गईं थीं. बताया जाता है कि जब अब्दुल करीम और उसका साथी रानी के सामने पेश हुए तो पहली ही नजर में रानी विक्टोरिया ने अब्दुल को पसंद कर लिया और अपने साथ रख लिया. आपको बता दें अब्दुल करीम इंग्लैंड जाने से पहले आगरा जेल में बतौर क्लर्क काम करते थे.

महारानी विक्टोरिया को पसंद थी अब्दुल के हाथ की चिकन करी

बताया जाता है कि अब्दुल ने पहली बार महारानी विक्टोरिया को शाही महल में चिकन करी बना कर खिलाया था. चिकन करी खाने के बाद महारानी इतना खुश हुईं कि उन्होंने अब्दुल के हाथ से बनी चिकन करी को हफ्ते में दो बार खाना शुरू कर दिया और कुछ समय तक अब्दुल उनके खानसामा भी रहे. महारानी विक्टोरिया को हिंदुस्तान की महारानी कहा जाता था, लेकिन वह कभी भारत में नहीं आईं. ऐसे में वह भारत के लोगों और उनकी सभ्यता को करीब से जानना चाहती थीं, लेकिन क्योंकि अब्दुल अंग्रेजी ना तो बोलना जानते थे और ना ही समझना ऐसे में उनका ट्यूशन लगवा दिया गया, और अब्दुल महारानी को हिंदी और उर्दू की मिली जुली भाषा हिंदुस्तानी जबान सिखाने लगे.

महारानी विक्टोरिया ने अब्दुल को बनाया अपना खास सचिव

महारानी जहां भी जाती थीं अब्दुल उनके साथ रहता था. जिसकी वजह से महारानी का अब्दुल से लगाव काफी बढ़ गया और महारानी विक्टोरिया ने उसे अपना खास सचिव बना दिया. बातों बातों में एक बार जब महारानी को पता पड़ा कि अब्दुल की शादी हो चुकी है तो उन्होंने उसकी पत्नी को भी इंग्लैंड बुलवा लिया. अब्दुल और महारानी विक्टोरिया की बढ़ती हुई नज़दीकियां बताती है कि महारानी ने अब्दुल को आगरा में मौजूद एक जागीर उपहार में दी थी. जहां पर महारानी के मरने के बाद जब अब्दुल को वापस आगरा भेज दिया गया तो वह अपने निधन से पहले के सालों में उसी जागीर में अकेले रहा करते थे. यह सभी जानकारी लेखिका और इतिहासकार शर्बानी बासु से मिली है.

क्यों की जाने लगी थी अब्दुल को वापस भेजने की मांग

महारानी विक्टोरिया अपने पति प्रिंस अल्बर्ट की मौत के बाद अकेली पड़ गईं थीं. ऐसे में जब उनकी मुलाकात अब्दुल करीम से हुई तो वह उसके काफी करीब आ गईं. अब्दुल और महारानी का रिश्ता काफी घनिष्ठ होने लगा, और इस रिश्ते की चर्चा शाही परिवार में भी फैलने लगी, लेकिन शाही परिवार नहीं चाहता था कि महारानी और अब्दुल एक साथ रहे क्योंकि इससे राजघराने की काफी बदनामी हो सकती थी. ऐसे में अब्दुल को वापस हिंदुस्तान भेजने की मांग की जाने लगी.

अब्दुल करीम के साथ भारत घूमने की थी इच्छा

अब्दुल करीम की एक बार तबीयत अत्यधिक खराब होने के चलते वह अस्पताल में भर्ती हो गए. ऐसे में महारानी विक्टोरिया सभी बंदिशों को तोड़कर उन्हें अस्पताल में दिन में दो बार देखने जाने लगी. महारानी अस्पताल में अपना बस्ता भी साथ लेकर जाती थीं, जिससे कि अब्दुल उन्हें बिस्तर पर लेट कर ही उर्दू पढ़ा सके. महारानी विक्टोरिया की अब्दुल के परिवार के साथ भारत में जाकर आम खाने की ख्वाहिश थी, लेकिन महारानी अचानक से बीमार हो गईं और इसकी वजह से 22 जनवरी 1901 में महारानी विक्टोरिया का निधन हो गया .

क्या है अब्दुल करीम लॉज का इतिहास

महारानी विक्टोरिया को अपने निधन से पहले एहसास हो गया था कि उनकी मौत के बाद अब्दुल के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाएगा. ऐसे में उन्होंने अपने जीवित रहते भारत के वायसराय से अब्दुल को आगरा में 300 एकड़ की जागीर दिलवाई थी, और अब्दुल से कहा था कि अब उसका भारत चले जाना बेहतर होगा. लेकिन अब्दुल महारानी के देहांत तक इंग्लैंड में ही रहा जब महारानी का देहांत हो गया तो महारानी की आखिरी इच्छा के अनुसार, उनके बेटे किंग एडवर्ड सप्तम ने अब्दुल को रानी के पार्थिव शरीर के पास एकांत में देखने व श्रद्धांजलि देने की इजाजत दी.

महारानी से मिले पत्रों को जब्त कर जला दिया गया

महारानी की मौत के बाद अब्दुल के घर पर सरकारी छापा पड़ा और अब्दुल को निर्देश दिया गया कि जो पत्र महारानी विक्टोरिया ने उसे लिखे हैं उसे किंग एडवर्ड के हवाले कर दिया जाए. ऐसे में छापा मारकर उसके इंग्लैंड स्थित आवास से सभी पत्रों को जब्त कर लिया गया और उन्हें जला दिया गया.

अब्दुल को आगरा में मिली 300 एकड़ जागीर

महारानी विक्टोरिया की वर्ष 1901 में मौत होने के बाद अब्दुल उनके द्वारा दी गई आगरा की 300 एकड़ जागीर पर आकर रहने लगा. इसी जागीर को आज भी ‘अब्दुल करीम लॉज’ के नाम से भी जाना जाता है. इसी जमीन के सहारे अब्दुल ने अपने जीवन के अंतिम 8 वर्ष गुजारे और 1909 में 46 वर्ष की आयु में अब्दुल का निधन हो गया.

महारानी क्वीन विक्टोरिया ने भारत के वायसराय से आगरा में अब्दुल को जो 300 एकड़ की जागीर दिलाई थी, जिसे अब्दुल करीम लॉज के नाम से जाना जाता है. वहां अब इमारत के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है. 300 एकड़ की इस जागीर में करीब 5 से 6 आधुनिक मकान बन चुके हैं जिसमें कई मकान डॉक्टर के तो कई मकान बिजनेसमैन के हैं.

अब्दुल करीम की 300 एकड़ की जागीर के कुछ हिस्से में रहने वाले संदीप शर्मा ने बताया कि उनके पिता ने अब्दुल करीम लॉज के कुछ हिस्से की रजिस्ट्री रामचंद्र से खरीद कर 1999 में करवाई थी. कुछ समय बाद उनके पिता का निधन हो गया. ऐसे में अब उनका पूरा परिवार यहीं इस मकान में रहता है.

उन्होंने बताया कि रामचंद्र से पहले यह जगह पाकिस्तान के रहने वाली किसी हिंगोरानी के नाम से थी. जिससे रामचंद्र ने खरीदी और रामचंद्र के बाद हमारे पिताजी ने खरीदी. संदीप शर्मा का कहना है कि जिस जगह की हमारे पिता ने रजिस्ट्री कराई थी, उस जगह का एड्रेस अब्दुल करीम लॉज 4/11 है और यहां आस-पास जितने भी मकान मौजूद है उन सभी का पता भी अब्दुल करीम लॉज 4/11 ही है.

आज भी इन सभी घरों में बिजली के बिल, पानी के बिल, भारत संचार निगम लिमिटेड के बिल और रजिस्ट्री में पते की जगह पर अब्दुल करीम लॉज लिखा हुआ है. जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह सभी पांच से छह मकान उसी 300 एकड़ जागीर में बने हैं. जो महारानी विक्टोरिया ने मोहम्मद अब्दुल करीम को दिलवाई थी.

रिपोर्ट- राघवेन्द्र गहलोत

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें