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ट्विन टावर जैसे मामले दोबारा न हों इसके लिए नोएडा प्राधिकरण ने उठाये कदम, सीईओ बोलीं- जवाबदेही तय होगी

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घटना से बिल्डरों को मिले सबक पर माहेश्वरी ने कहा, ‘अगर उल्लंघन हुआ है तो आज नहीं तो कल, निश्चित रूप से इसकी जवाबदेही तय की जाएगी. सभी को सरकार और अदालत द्वारा तय किए गए मानदंडों का पालन करना चाहिए.’

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Noida Twin Towers Demolition: नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी ने शुक्रवार को कहा कि अगर नियमों का उल्लंघन होता है तो आज नहीं तो कल, इसकी जवाबदेही निश्चित तौर पर तय की जाएगी. उन्होंने सभी से सरकार और अदालतों द्वारा निर्धारित मानदंडों का पालन करने की अपील भी की. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की वरिष्ठ अधिकारी माहेश्वरी ने कहा कि सुपरटेक के ट्विन टावर का मामला सरकारी अधिकारियों के लिए एक सबक भी है, क्योंकि परियोजना में संलिप्तता के आरोप में नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है.

‘मानदंडों का पालन करना चाहिए’

उन्होंने कहा कि सुपरटेक की घटना ने नोएडा प्राधिकरण को मानदंडों को संशोधित करने और निर्माताओं को तल क्षेत्र अनुपात (एफएआर) के वितरण के मामले में अधिक सख्ती बरतने के लिए प्रेरित किया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके. नोएडा के सेक्टर-93ए में स्थित सुपरटेक के लगभग 100 मीटर ऊंचे एपेक्स और सियान टावर को 28 अगस्त को दोपहर ढाई बजे ढहाया जाना है. ये दोनों टावर कुतुब मीनार से ऊंचे हैं. इन्हें उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गिराया जा रहा है, जिसने पाया कि सुपरटेक की एमरल्ड कोर्ट सोसायटी में नियमों का उल्लंघन कर दोनों टावर का निर्माण किया गया था. घटना से बिल्डरों को मिले सबक पर माहेश्वरी ने कहा, ‘अगर उल्लंघन हुआ है तो आज नहीं तो कल, निश्चित रूप से इसकी जवाबदेही तय की जाएगी. सभी को सरकार और अदालत द्वारा तय किए गए मानदंडों का पालन करना चाहिए.’

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’बख्शा नहीं जाएगा’

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत से दिशा-निर्देश मिले थे और यह एक पुराना मामला था, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार ने गंभीरता से लिया. नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ने कहा, ‘राज्य सरकार ने एक एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन किया, जिसने मामले में अलग-अलग समय पर 26 अधिकारियों की मिली-भगत पाई. इन सभी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई.’ उन्होंने कहा, ‘सरकार ने इन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. अदालत और सरकार ने सख्त संदेश दिया है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.’

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नोएडा प्राधिकरण ने नक्शों को मंजूरी नहीं दी

माहेश्वरी ने कहा, ‘यह सरकार और नोएडा प्राधिकरण लगातार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि काम पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ किया जाए. इसके अलावा जो भी नए काम और पहल की जा रही हैं, उन्हें बड़ी आबादी के हितों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए, ताकि सभी को उनसे फायदा हो.’ उन्होंने कहा कि ट्विन टावर के मामले में ऐसा नहीं था कि नोएडा प्राधिकरण ने नक्शों को मंजूरी नहीं दी थी. माहेश्वरी के मुताबिक, ‘यहां तक ​​कि अदालत ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों और बिल्डर के बीच मिली-भगत थी. निर्माण की स्वीकृति नोएडा प्राधिकरण ने ही दी थी. तत्कालीन मानदंडों और उपनियमों को ध्यान में रखते हुए एफएआर खरीद को भी मंजूरी दी गई थी.’

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‘नियमों को अधिक कठोर बना दिया’

उन्होंने कहा, ‘उल्लंघन मुख्य रूप से तकनीकी पहलुओं, मसलन टावर के बीच की दूरी आदि से जुड़े हुए थे. इसके अलावा, निवासियों की रजामंदी नहीं ली गई थी.’ भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के उपायों के बारे में पूछे जाने पर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ने कहा कि उन्होंने सहमति के मानदंडों को संशोधित किया है और भुगतान विधियों को सुव्यवस्थित करने के अलावा बिल्डरों को एफएआर के वितरण के नियमों को अधिक कठोर बना दिया है.

‘तीन महीने में पूरा भुगतान करना होगा’

उन्होंने कहा, ‘नोएडा प्राधिकरण ने एक नया प्रारूप तैयार किया है, जिसके तहत निर्माताओं को इस तरह के निर्माण के लिए खरीदारों की मंजूरी लेनी होगी. यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पहले अस्तित्व में नहीं थी. पहले बिल्डर फ्लैट बेचने के दौरान खरीदारों की मंजूरी लेते थे. अब हम नए सिरे से ली गई मंजूरी मांगेंगे.’ माहेश्वरी ने कहा, ‘एफएआर वितरण के मानदंडों को उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट स्वामित्व अधिनियम के अनुरूप सख्त बनाया गया है. पहले बिल्डरों को किस्तों में भुगतान करने के लिए दो साल का समय मिलता था. अब उन्हें तीन महीने में पूरी राशि का भुगतान करना होगा.’

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