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Kanpur News: GSVM मेडिकल कॉलेज में बंद पड़े हैं बर्न यूनिट, नहीं हो रहा आग व एसिड से जले मरीजों के इलाज

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Kanpur News: कानपुर के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज जीएसवीएम में अब आग और एसिड से जले मरीजों को इलाज तक नसीब नहीं हो पा रहा है. क्योंकि यहां पर बन रहे बर्न यूनिट वार्ड का निर्माण कार्य करीब 11 महीने से बंद पड़ा है.

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Kanpur News: कानपुर के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज जीएसवीएम में अब आग और एसिड से जले मरीजों को इलाज तक नसीब नहीं हो पा रहा है. क्योंकि यहां पर बन रहे बर्न यूनिट वार्ड का निर्माण कार्य करीब 11 महीने से बंद पड़ा है. जिसके कारण हैलट इमरजेंसी में आ रहे बर्न मरीजों को इलाज़ के बिना ही लौटना पड़ रहा है. यहां पर आ रहे मरीजों को सिर्फ रेफरल लेटर ही दिया जा रहा है. इसके अलावा यहां पर कुछ नहीं मिल रहा और मरीजो के दर्द और घावों पर मरहम-पट्टी तक नहीं हो रही है. क्योंकि तीन साल से यहां जिम्मेदार तमाशा देख रहे हैं और अब तो कोरोना भी खत्म हो गया लेकिन बर्न यूनिट चलाने की जहमत तक किसी ने नहीं उठाई.

2020 से बंद है बर्न यूनिट

बताते चलें कि 2020 में जब देशभर में कोरोना का संक्रमण बढ़ा था तो हैलट इमरजेंसी में 50 वर्षों से चल रही बर्न वार्ड को बंद कर दिया गया था. उसी समय कोरोना की पहली लहर में ही GSVM के पूर्व प्राचार्य डॉ.आरबी कमल ने हैलट इमरजेंसी के सामने 4.31 करोड़ की लागत से बर्न-प्लास्टिक यूनिट के निर्माण का भूमि पूजन कराकर निर्माण कार्य शुरू कराया था. लेकिन टुकड़ों में मिल रही धनराशि से राजकीय निर्माण निगम ने बर्न यूनिट का निर्माण बीती जनवरी तक किया. फिर ओमीक्रोन लहर में 1.23 करोड़ की धनराशि पर ब्रेक लग गया. तो निगम ने भी निर्माण कार्य को बंद कर दिया. तब से बर्न यूनिट का निर्माण कार्य बंद पड़ा है. राजकीय निर्माण निगम ने मेडिकल कॉलेज प्रशासन को साफ कहा हुआ है कि बची हुई धनराशि मिलने पर ही निर्माण पूरा करेंगे अन्यथा अपना यहां से सामान उठा लेंगे.

लौट रहे बर्न मरीज

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला लगातार निर्माण कार्य करवाने के लिए प्रदेश सरकार से बची हुई धनराशि पास करवाने की कोशिश कर रहे हैं, मगर उनको भी सिर्फ आश्वासन मिल रहा है. जिसके कारण यहां पर आ रहे बर्न मरीजों को कराहने और तड़पने के बाद बिना इलाज के लौटाया जा रहा है. दो दिन पहले ही ऐसा यहां की हैलट इमरजेंसी में देखने क मिला. इमरजेंसी में चौबेपुर से आये युवक आनंद को इलाज भी नहीं मिल पाया. उसको हैलट इमरजेंसी से उर्सला रेफर कर दिया गया.

आधे अधूरे वार्ड में इलाज करना आफ़त

डेढ़ साल से हैलट इमरजेंसी में बर्न वार्ड को लेकर बैठके हुई है. जिसमें डॉक्टरों ने अपनी दलील दी है कि बिना बर्न यूनिट के मरीजों को नहीं भर्ती कर सकते हैं. उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ नहीं हो सकता. बर्न मरीजों को आधे-अधूरे वार्ड में इलाज देने को शुरू करना आफत बन जाएगा. जीएसवीएम के प्राचार्य प्रो संजय काला का कहना है कि बर्न यूनिट का काम महीनों से लटका पड़ा है. शासन को कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं लेकिन शेष धनराशि नहीं मिली है.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी

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