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UP Election 2022: अक्टूबर में BJP की मदद से विधानसभा उपाध्यक्ष बने नितिन अग्रवाल ने अब दिया SP से इस्तीफा

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विधानसभा उपाध्यक्ष की कुर्सी की चर्चा अचानक बुधवार को दोबारा शुरू हो गई. खबर मिली कि भाजपा की मदद से विधानसभा उपाध्यक्ष बनने वाले नितिन ने बुधवार को सपा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया है. अब वह भाजपा के अधिकृत सदस्य बनेंगे.

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Lucknow News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी नितिन अग्रवाल 18 अक्टूबर को यूपी विधानसभा सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. इससे पहले वे सपा के सदस्य थे. मगर बुधवार को उन्होंने सपा से इस्तीफा दिया. भाजपा की मदद से वे भले ही विधानसभा सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हो गए थे. मगर पार्टी की सदस्यता लेने का होश उन्हें अब आया है.

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अब बनेंगे भाजपा के अधिकृत सदस्य

बता दें कि नितिन अग्रवाल को 304 वोट मिले थे. वहीं, सपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह वर्मा को महज 60 वोटों से संतोष करना पड़ा था. जीत के बाद नितिन अग्रवाल को डिप्टी स्पीकर की कुर्सी पर बैठाया गया था. उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव 14 वर्षों बाद हुआ था. भाजपा के राजेश अग्रवाल को इस पद के लिए जुलाई 2004 में निर्विरोध चुना गया था. उनका कार्यकाल मई 2007 तक था. उसके बाद विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव हुआ ही नहीं हुआ था. यह कुर्सी तबसे खाली थी. इस कुर्सी की चर्चा अचानक बुधवार को दोबारा शुरू हो गई. खबर मिली कि भाजपा की मदद से विधानसभा उपाध्यक्ष बनने वाले नितिन ने बुधवार को सपा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया है. अब वह भाजपा के अधिकृत सदस्य बनेंगे.

पिता नरेश अग्रवाल से किया वादा अब तक है अधूरा

गौरतलब है कि सपा के कद्दावर मंत्री रह चुके नरेश अग्रवाल ने जब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की सदस्यता ली थी, तब उन्हें सम्मानजनक जिम्मेदारी देने के साथ ही राज्यसभा भेजे जाने का आश्वासन दिया गया था. नरेश अग्रवाल के भाजपा में आने से पार्टी को हरदोई के साथ ही आसपास की कई विधानसभा सीटों पर फायदा भी हुआ था, लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी पार्टी अपना वादा पूरा नहीं कर सकी है. नरेश अग्रवाल को न तो राज्यसभा भेजा गया और न ही उन्हें किसी महत्वपूर्ण पद पर समायोजित किया गया.

ऐसे बनी नितिन अग्रवाल की राह 

सूत्रों के मुताबिक, ऐसे में एक बीच का रास्ता निकाला गया. नितिन अग्रवाल चूंकि सपा के बागी विधायक थे. वे कई मौके पर समाजवादी पार्टी को घेरते हुए भी नजर आ चुके थे. इसीलिए उन्हें भाजपा ने अपने समर्थन से विधानसभा में उपाध्यक्ष बनने में मदद की और वे बने भी. मगर उन्होंने भाजपा की सदस्यता नहीं थी. इसी क्रम में उन्होंने अब सपा से इस्तीफा दिया है.

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