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मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद पर अब 11 जुलाई को होगी सुनवाई, जानें क्‍या है पूरा मामला?

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Sri Krishana Janambhoomi: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में 11 जुलाई को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई होगी. 13.37 एकड़ भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की गई थी.

प्रार्थना पत्र पर अपना ऑब्जेक्शन दर्ज कराया

जानकारी के मुताबिक, हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही पक्षों के अधिवक्ताओं ने न्यायालय के सामने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. इस दौरान हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष के सीपीसी 7/11 के तहत दायर किए प्रार्थना पत्र पर अपना ऑब्जेक्शन दर्ज कराया. हिंदू पक्ष की ओर से मुस्लिम पक्ष के प्रार्थना पत्र पर अपना ऑब्जेक्शन दाखिल किया गया और इसकी एक कॉपी प्रतिवादी पक्ष यानी मुस्लिम पक्ष को दी गई.

क्‍या कहा, दोनों पक्षों के वकीलों ने 

इस दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने अपनी दलील में कहा, ‘पूर्व में केस के मेंटेनेबल और नॉन मेंटेनेबल को लेकर जिला न्यायालय में सुनवाई हो चुकी है. जहां जिला जज की अदालत मामले को खारिज कर चुकी है. केस को मेंटेनेबल माना गया है.’ वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत से अनुरोध किया गया कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर किए गए ऑब्जेक्शन की कॉपी उन्हें अभी मिली है. ऐसे में उन्‍हें और समय चाहिये.

Sri Krishana Janambhoomi: उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में 11 जुलाई को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई होगी. 13.37 एकड़ भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की गई थी.

प्रार्थना पत्र पर अपना ऑब्जेक्शन दर्ज कराया

जानकारी के मुताबिक, हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही पक्षों के अधिवक्ताओं ने न्यायालय के सामने अपनी-अपनी दलीलें रखीं. इस दौरान हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष के सीपीसी 7/11 के तहत दायर किए प्रार्थना पत्र पर अपना ऑब्जेक्शन दर्ज कराया. हिंदू पक्ष की ओर से मुस्लिम पक्ष के प्रार्थना पत्र पर अपना ऑब्जेक्शन दाखिल किया गया और इसकी एक कॉपी प्रतिवादी पक्ष यानी मुस्लिम पक्ष को दी गई.

क्‍या कहा, दोनों पक्षों के वकीलों ने 

इस दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने अपनी दलील में कहा, ‘पूर्व में केस के मेंटेनेबल और नॉन मेंटेनेबल को लेकर जिला न्यायालय में सुनवाई हो चुकी है. जहां जिला जज की अदालत मामले को खारिज कर चुकी है. केस को मेंटेनेबल माना गया है.’ वहीं, मुस्लिम पक्ष की ओर से सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत से अनुरोध किया गया कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर किए गए ऑब्जेक्शन की कॉपी उन्हें अभी मिली है. ऐसे में उन्‍हें और समय चाहिये.

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