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Agra News: रामवीर उपाध्याय का निधन, लंबे समय से थे अस्वस्थ, आगरा में उपचार के दौरान ली अंतिम सांस

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पूर्व मंत्री और भाजपा नेता रामवीर उपाध्याय का निधन देर रात आगरा में हो गया. वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे. आगरा स्थित आवास से देर रात हालत बिगड़ने पर उन्हें रेनबो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उनका निधन हो गया

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Agra News: पूर्व मंत्री और भाजपा नेता रामवीर उपाध्याय का निधन देर रात आगरा में हो गया. प्राप्त जानकारी के अनुसार वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे. आगरा स्थित आवास से देर रात हालत बिगड़ने पर उन्हें रेनबो अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने उपचार के दौरान मृत घोषित कर दिया. रामवीर उपाध्याय के निधन से उनके चाहने वालों को गहरा झटका लगा है. साथ ही हाथरस और आसपास के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.

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14 महीने से कैंसर के खिलाफ लड़ रहे थे जिंदगी की जंग

हाथरस की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले रामवीर उपाध्याय ने जिंदगी से लंबी जंग लड़ी. वे एक दो महीने नहीं बल्कि 14 महीने से कैंसर के खिलाफ जिंदगी की जंग लड़ रहे थे. शुक्रवार रात जब अचानक उनकी हालत बिगड़ने लगी तो उन्हें आनन-फानन में रेनबो अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां उपचार के दौरान बीजेपी नेता ने अंतिम सांस ली.

रामवीर उपाध्याय का राजनीति करियर

रामवीर उपाध्याय ने अपने राजनीति करियर की शुरुआत भाजपा से ही की थी. बीजेपी से पहले बसपा के कद्दावर नेता माने जाने वाले रामवीर उपाध्याय हाथरस की 3 सीटों हाथरस, सादाबाद, सिकंदराराऊ सीट पर 1996 से लगातार 25 साल तक विधायक रहे. 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा की टिकट पर सादाबाद से चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि हाथरस के ब्राह्मण वोटबैंक के अलावा अन्य लोगों के बीच उनकी मजबूत पकड़ थी.

हाथरस जिले के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय का जन्म बामोली गांव में 1957 में हुआ था. उन्होंने एलएलबी करने के बाद मेरठ और गाजियाबाद में वकालत भी की. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और साल 1996 में हाथरस से बीएसपी की टिकट पर चुनाव लड़ा, जिसमें उन्होंने जबरदस्त जीत दर्ज की और पहली ही बार में मायावती के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का पद प्राप्त कर लिया. इस बात से उनके राजनीतिक कद का अंदाजा लगाया जा सकता है.

हाथरस को अलीगढ़ से अलग करके नया जिला बनवाने का श्रेय भी पूर्व मंत्री और भाजपा नेता रामवीर उपाध्याय को ही जाता है. वे हाथरस सीट से बीएसपी की टिकट पर 1996, 2002 और 2007 में विधायक चुने गए. और हर बार उन्हें मंत्रिमंडल में मंत्री बनने का मौका मिला. हालांकि, बसपा से दूर होने के वक्स साल 2019 से ही शुरू हो गया था, जब उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते मायावती ने निलंबित कर दिया था. इसके बाद जनवरी 2021 में उन्होंने भी उन्होंने बसपा का साथ छोड़ दिया. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रामवीर ने बसपा से इस्तीफा दे दिया था, और 15 जनवरी 2022 को बीजेपी का दामन थाम लिया.

रामवीर उपाध्याय ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर सादाबाद से चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा. रालोद उम्मीदवार प्रदीप सिंह ने सादाबाद विधानसभा सीट से उन्हें हराकर जीत दर्ज की. प्रदीप सिंह को 104874 वोट मिले, जबकि रामवीर उपाध्याय को 98437 वोट मिले. प्रदीप सिंह ने रामवीर उपाध्याय को 6437 वोटों के अंतर से हरा दिया था.

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